ऑल वेदर रोड पर बन रहे हैं नए लैंड स्लाइड जोन, एक और दुर्घटना हुई

उत्तराखंड में बन रही ऑल वेदर रोड पर भूस्खलन की वजह से एक और बड़ी दुर्घटना हुई है
उत्तराखंड के नन्दप्रयाग के बाद बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन: फोटो: दीक्षा
उत्तराखंड के नन्दप्रयाग के बाद बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन: फोटो: दीक्षा
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उत्तराखंड में बदरीनाथ हाईवे पर नन्दप्रयाग के पास 6 फरवरी को एक बार फिर बड़ा लैंड स्लाइड (भूस्खलन) हो गया। चार धाम यात्रा मार्ग परियोजना यानी ऑल वेदर रोड के लिए हो रही कटिंग के कारण उभरे नये स्लाइडिंग जोन में पहाड़ी से भारी मात्रा में आये मलबे से पांच दुकानें, एक ट्रक और एक कार दब गये। हालांकि, समय रहते मौके से भाग जाने के कारण घटना के समय वहां मौजूद लोगों की जानें बच गई।

2018 में ऑल वेदर रोड पर काम शुरू किया गया था। यह प्रोजेक्ट राज्य के चारों तीर्थस्थलों तक सड़कों का चौड़ीकरण करने के लिए शुरू किया गया है। शुरू होने के बाद से अब तक इस सड़क पर दर्जनों की संख्या में भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं। हालांकि जब तक भूस्खलन से जान-माल का नुकसान नहीं हो जाता, तब तक इन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता। केदारनाथ हाईवे पर बांसबाड़ा में पिछले साल 24 फरवरी को पहाड़ी काटते समय मलबा आने से 12 मजदूर दब गये थे, जिनमें से आठ की मौत हो गई थी। पिछले वर्ष जुलाई में गंगोत्री मार्ग पर नरेन्द्रनगर के पास कार पर पत्थर गिरने से दो लोगों की मौत हो गई थी। बदरीनाथ मार्ग पर तीनधारा में सड़क किनारे खड़े तीर्थयात्रियों के वाहन पर मलबा गिर गया था। तीर्थयात्री उस समय सड़क के दूसरी तरफ ढाबे पर खाना खा रहे थे। जोशीमठ के पास लामबगड़ में बस के ऊपर मलबा गिरने से सात लोगों की मौत हो गई थी। इन तमाम घटनाओं के बावजूद ऑल वेदर रोड के निर्माण में लापरवाही बरती जा रही है।

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ऑल वेदर रोड निर्माण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले हिमांशु अरोड़ा कहते हैं कि उन्होंने इस प्रोजक्ट पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन आज भी काम चल रहा है और भूस्खलन लगातार बढ़ता जा रहा है। वे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई निगरानी समिति के सुझावों का भी पालन नहीं किया जा रहा है। हालांकि, उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने हाल में दावा किया है कि चार धाम यात्रा मार्ग प्रोजेक्ट में समिति के सुझावों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है।

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उत्तराखंड कृषि एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसपी सती इस प्रोजेक्ट में लगातार बढ़ रहे भूस्खलन के लिए राज्य सरकार, वन विभाग और निर्माण एजेंसियों को बराबर का जिम्मेदार मानते हैं। वे कहते हैं कि 12 मीटर चौड़ी सड़क के लिए निर्माण एजेंसियां वन विभाग से सिर्फ 12 मीटर की ही एनओसी ले रही हैं और वन विभाग भी 12 मीटर से ज्यादा कटिंग की एनओसी देने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में पहाड़ियों की वर्टिकल कटिंग की जा रही है। यानी कि पहाड़ियां एकदम सीधी काटी जा रही हैं, ऐसे में पहाड़ियों का टिके रहना संभव नहीं है। डॉ. सती के अनुसार 12 मीटर चौड़ी सड़क के लिए 16 से 1ं8 मीटर तक कटिंग होनी चाहिए, ताकि रिपोज एंगल का सेप बन सके, यानी कि सड़क के ऊपर पहाड़ी को एक निश्चित ढलान मिल सके।

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डॉ. सती कहते हैं कि सीधी कटिंग वाली पहाड़ियों केवल उन्हीं जगहों पर टिकी रह सकती हैं, जहां हॉर्ड रॉक्स मौजूद हों, लेकिन पूरी तरह से सुरक्षित हार्ड रॉक्स वाली पहाड़ियां भी नहीं हैं। वे कहते हैं कि इस क्षेत्र में लगातार आने वाले भूकम्पों के कारण हार्ड रॉक्स वाली पहाड़ियों में भी दरारें हैं और कटिंग किये जाने पर इन हार्ड रॉक्स के दरकने की भी पूरी संभावना रहती है। ऐसे में ऑल वेदर रोड पर भूस्खलन और उससे होने वाली जन-धन हानि को रोकने का एक ही तरीका है कि पहाड़ियों की कटिंग रिपोज एंगल में की जाए, यानी हल्के ढलान के साथ कटिंग की जाए।

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