यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए क्या कुछ उठाए जा रहे हैं कदम, एनजीटी ने मांगी ताजा रिपोर्ट

अदालत ने दिल्ली का जिक्र करते हुए कहा कि यमुना में मिलने वाले 22 नालों में से केवल नौ का समाधान किया गया है। शेष 13 नालों से अभी भी बड़ी मात्रा में सीवेज बह रहा है
यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए क्या कुछ उठाए जा रहे हैं कदम, एनजीटी ने मांगी ताजा रिपोर्ट
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यमुना के कायाकल्प के मुद्दे पर हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों को अपर्याप्त बताता हुए उनसे ताजा रिपोर्ट सौंपने को कहा है। नौ जनवरी, 2024 को दिए अपने इस आदेश में ट्रिब्यूनल ने राज्यों को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

अदालत ने दिल्ली का जिक्र करते हुए कहा कि यमुना में मिलने वाले 22 नालों में से केवल नौ का समाधान किया गया है। शेष 13 नालों से अभी भी बड़ी मात्रा में करीब 2976.4 एमएलडी सीवेज बह रहा है। इसके अतिरिक्त, नजफगढ़ और शाहदरा नाले, जो सीवेज का प्रमुख स्रोत है इनमें करीब 507.4 एमजीडी सीवेज बहता है, जिसे रोकना संभव नहीं है।

ऐसे में इनके प्रवाह को मोड़ने की जो इंटरसेप्टर सीवर परियोजना प्रस्तुत की गई है उसकी समयसीमा का खुलासा इस रिपोर्ट में नहीं किया गया है। अदालत ने बताया कि सीवेज उपचार में 222 एमजीडी का अंतर है, इस प्रकार दूषित बिना साफ किए ही सीवेज को यमुना में छोड़ा जा रहा है।

हरियाणा के मामले में, अदालत ने बताया कि वहां उपचारित और दूषित सीवेज एक साथ मिल रहे हैं, जिससे सभी प्रयास बेकार हो जाते हैं। हरियाणा ने अपनी रिपोर्ट में हर कस्बे के संबंध में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के विशिष्ट स्थानों की जानकारी नहीं दी है। इसी तरह यमुना में मिलने वाले नालों के बारे में भी जानकारी साझा नहीं की गई है। इतना ही नहीं 378,866 घरों को अभी भी सीवर लाइनों से जोड़ा जाना बाकी है।

वहीं उत्तर प्रदेश के मामले में जानकारी दी गई है कि, गाजियाबाद के 14 नालों में से केवल एक को टैप किया गया है। वहीं नोएडा में एक नाले को अब तक समाधान नहीं किया गया है। इसी तरह साफ करने के बावजूद 90 एमएलडी सीवेज का उपयोग करने की जगह उसे गाजीपुर नाले में छोड़ दिया जाता है, जो आखिर में यमुना में मिल जाता है। इसके अतिरिक्त, 150 एमएलडी सीवेज ऐसे ही बिना साफ किए हिंडन के माध्यम से यमुना तक पहुंच रहा है। रिपोर्ट में नोएडा में मौजूद एसटीपी के फीकल कोलीफॉर्म से जुड़े आंकड़ों का खुलासा नहीं किया गया है।

छिंदवाड़ा में होते अवैध खनन पर एनजीटी ने अधिकारियों से मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने छिंदवाड़ा के तामिया में होते अवैध खनन के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, और छिंदवाड़ा के कलेक्टर के साथ-साथ जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं।

नौ जनवरी 2024 को दिए अपने आदेश में एनजीटी ने एमपीपीसीबी के साथ छिंदवाड़ा के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट को मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेने और भोपाल बेंच के सामने अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि यह मामला 18 दिसंबर, 2023 को पत्रिका में प्रकाशित एक समाचार के आधार पर एनजीटी द्वारा स्वत: संज्ञान में लेकर पंजीकृत किया गया था। इस समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैध खनन से क्षेत्र के नदी-नालों को खतरा है और इसके चलते नदियों का जल स्तर नीचे जा रहा है।

पत्रिका में छपी इस खबर में तामिया से 24 किलोमीटर दूर रेत से भरे तीन ट्रैक्टरों को जब्त करने का भी खुलासा किया गया है। साथ ही इसमें आरोप लगाया गया है कि वहां खुलेआम रेत का अवैध खनन किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।

कसौली में डिस्टिलरी ने जल स्रोत को किया दूषित, एनजीटी ने आरोपों की जांच के लिए समिति को जांच के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कसौली में एक डिस्टिलरी द्वारा कचरे को जल स्रोत में डंप करने के मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू की है। मामला हिमाचल प्रदेश के कसौली का है। एनजीटी ने इस बारे में नौ जनवरी 2024 को एक आदेश जारी किया है जिसमें उन्होंने एक संयुक्त समिति से मौके पर जाकर जांच करने और वास्तविक स्थिति का पता लगाने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि यह मामला 15 दिसंबर, 2023 को ट्रिब्यून में छपी एक खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दर्ज किया था। इस खबर के मुताबिक मोहन मीकिन प्राइवेट लिमिटेड के कसौली स्थित संयंत्र ने कसौली कुंड में पानी के प्राकृतिक स्रोत में कचरा छोड़ा था, जिसके चलते पानी दूषित हो गया था। दूषित पानी पीने से लोगों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है, इन आशंकाओं के चलते उस स्रोत से पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई।

इस रिपोर्ट के मुताबिक नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि पानी इंसान और मवेशियों के पीने के लिए उपयुक्त नहीं है। एनजीटी ने पाया कि इस खबर में पर्यावरण मानदंडों का पालन न किए जाने को लेकर महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया है। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सोलन के उपायुक्त/जिला मजिस्ट्रेट सहित विभिन्न अधिकारियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

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