कोर्ट अपडेट : वाराणसी में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन नहीं कर रही टेंट सिटी

प्राधिकरण का कहना है कि यह परियोजना पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा रही और न ही यह गंगा को मैला कर रही है
वाराणसी के एक घाट पर वाद्य यन्त्र बजाते नागा साधु; फोटो: आईस्टॉक
वाराणसी के एक घाट पर वाद्य यन्त्र बजाते नागा साधु; फोटो: आईस्टॉक
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वाराणसी में टेंट सिटी परियोजना से सीवेज गंगा नदी में नहीं छोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही सीवेज और ठोस कचरे का कानून को ध्यान में रखते हुए उचित निपटान की व्यवस्था की गई है। यह जानकारी वाराणसी विकास प्राधिकरण ने 29 नवंबर 2023 को एनजीटी में दाखिल अपने जवाब में कही हैं।

वाराणसी विकास प्राधिकरण ने कोर्ट को यह भी आश्वासन दिया है कि भविष्य में टेंट सिटी पानी के बहाव से 100 मीटर दूर बसाई जाएगी। बता दें कि मौजूदा समय में टेंट सिटी को जल प्रवाह से 60 मीटर की दूरी पर बनाया गया है। प्राधिकरण का यह भी कहना है कि यह परियोजना पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा रही और न ही यह गंगा को मैला कर रही है। इसके साथ ही पर्यावरण सम्बन्धी नियमों का उल्लंघन भी नहीं कर रही है।

जवाब में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि यह टेंट सिटी 100 एकड़ जमीन पर नहीं बल्कि 13.5 हेक्टेयर भूमि पर विकसित की गई है। इस प्रोजेक्ट के बारे में प्रवेग के वेबपेज पर जिक्र किया गया है कि, "यह टेंट सिटी वाराणसी में पवित्र गंगा नदी के खूबसूरत तट पर स्थित एकमात्र शानदार टेंटेड रिसॉर्ट है, जो शांत घाटों, मंदिरों और सीढ़ियों के साथ ऐतिहासिक महलों के मनोरम दृश्य पेश करता है।"

झारखंड के कई जिलों में चल रहा अवैध रेत खनन का कारोबार, आरोपों पर एनजीटी ने दो महीने में मांगी रिपोर्ट

झारखंड में अवैध रेत खनन की शिकायत को ध्यान में रखते हुए, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), 28 नवंबर, 2023 को एक संयुक्त समिति से दो महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

गौरतलब है कि इस शिकायत में धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, लातेहार, पलामू, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, गुमला, गढ़वा और कोडरमा में अवैध रेत खनन के आरोपों का हवाला दिया गया है। ऐसे में एनजीटी की पूर्वी बेंच ने समिति को इन सभी जिलों में होती खनन गतिविधियों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

दिल्ली के पहाड़ गंज में बिना वीडीएस के भूजल का दोहन कर रहे 257 होटल

दिल्ली के पहाड़ गंज इलाके में 536 होटलों और गेस्ट हाउसों का एक संयुक्त निरीक्षण किया गया। इस जांच दल में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) और राजस्व विभाग के प्रतिनिधि शामिल थे। इस जांच से पता चला है कि इनमें से 185 होटलों और गेस्ट हाउसों ने स्वैच्छिक प्रकटीकरण योजना (वीडीएस) के तहत भूजल के उपयोग का खुलासा किया है। वहीं दूसरी तरफ 257 होटल बिना वीडीएस के भूजल का दोहन कर रहे थे।

इस बारे में एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि जो होटल और गेस्ट हाउस वीडीएस का हिस्सा बने बिना भूजल का दोहन कर रहे थे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

गौरतलब है कि यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा चार सितंबर, 2023 को दिए आदेश पर संयुक्त समिति और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के द्वारा कोर्ट में दाखिल की गई है।

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