नर्मदा घाटी में गांव के गांव डूब रहे, मेधा पाटकर अनशन पर बैठी

गुजरात सरकार ने सरदार सरोवर बांध को 131 मीटर तक भरने के बाद भी गेट नहीं खोले हैं। सरदार सरोवर के बैकवाटर से नर्मदा घाटी में बसे मध्यप्रदेश के लगभग 10 गांव बुरी तरह बाढ़ से प्रभावित हैं।
गुजरात सरकार द्वारा बांध के गेट न खोलने के कारण डूबने के कगार पर पहुंच चुके लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर अनशन पर बैठ गई है। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा
गुजरात सरकार द्वारा बांध के गेट न खोलने के कारण डूबने के कगार पर पहुंच चुके लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर अनशन पर बैठ गई है। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा
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पहले खेतों में पानी भर आया तो लोग घर तक सिमटकर रह गए और जब घर में पानी घुसा तो लोगों ने किसी ऊंची जगह पर स्थित मंदिर या कोई सार्वजनिक जगह को आसरे के लिए चुना। अब पानी वहां तक पहुंच गया है। यह स्थिति है मध्यप्रदेश के बड़वानी और धार जिले के करीब 20 गांव की जो सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर से डूबते जा रहे हैं। डूब से सबसे अधिक प्रभावित निसरपुर, राजघाट, चिखल्दा, छोटा बड़दा, एकलवाद, जंगरवा, पिछोरी जैसे गांव हुए हैं। एक गांव से दूसरे गांव तक जाने के लिए पहले रास्ते बने थे लेकिन अब नाव ही एकमात्र साधन है। 

रविवार रात घर डूबने के बाद पानी गांव के बाजार तक आ गया और सोमवार को लोग अपनी दुकानों का सामान दूसरों की दुकानों में रख रहे, या किराए पर दूसरा दुकान लेकर व्यापार करने की कोशिश में लगे हैं। ज्यादातर गांवो की बिजली काट दी गई है और अंधेरे में सांप-मगरमच्छ के डर के बीच लोग जो रहे हैं। गांव वालों के मुताबिक उन्हें घर से खेत तक जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है और सारी नावें प्रशासन के कब्जे में है। इस तरह वे टापू पर कैद होकर रह गए हैं। 
बढ़ रहा नर्मदा का जलस्तर, परेशानी बढ़ेगी 
इधर, नर्मदा के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। रविवार को 133 मीटर के ऊपर पहुंच गया। सुबह 6 बजे 133.200 मीटर था, जो शाम 4 बजे 133.350 मीटर पर पहुंचा। जलस्तर बढ़ने के साथ ही राजघाट जाने वाले मार्ग पर पुराना फिल्टर प्लांट के पास वाली दूसरी पुलिया के ऊपर पानी पहुंच गया है। प्रदेश में बारिश की चेतावनी और गुजरात में बांध के गेट न खोले जाने की वजह से जलस्तर और बढ़ने की आशंका है। 
इतनी परेशानियों के बाद भी लोग अपना घर छोड़कर कहीं और क्यों नहीं जा रहे? इस सवाल का जवाब देते हुए पेमा भिलाला बताते हैं कि वे लोग किसी प्राकृतिक आपदा के शिकार नहीं हुए हैं, बल्कि गुजरात सरकार की बांध भरने की जिद की वजह से इस हालत में पहुंचे हैं। पेमा ने बताया कि मध्यप्रदेश का प्रशासन भी उनके साथ नहीं है और बार बार गांव छोड़ने के लिए कह रहा है, लेकिन बिना उचित पुनर्वास के वो लोग कहां जाएंगे। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से आश्वासन तक नहीं मिला, उल्टा गांव से खदेड़ने के लिए पुलिस की तैनाती हो गई है।
ग्रामीण नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले पीड़ित गुजरात सरकार से सरदार सरोवर बांध के गेट खोलने का आग्रह कर रहे हैं। 
नर्मदा को बांधी राखी, नर्मदा आरती के बाद 24 घंटे से अनशन
रविवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के नेतृत्व में राजघाट की महिलाओं ने पहले नर्मदा को राखी बांधी और उसे बचाने का संकल्प लिया। नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ताओं सहित विस्थापितों ने रविवार को अंजड़ से लेकर डूब गांव छोटा बड़दा तक रैली निकाली। नर्मदा घाट पर सभा हुई। देवराम भाई भिलाला ने बताया कि वो लोग भले ही डूबकर मर जाएंगे लेकिन गांव नहीं छोड़ेंगे। इस दौरान डूब प्रभावित गांव छोटा बड़दा, आवली, गोलाटा, मोहीपुरा, दतवाड़ा सहित अन्य डूब क्षेत्र गांवों के विस्थापित मौजूद रहे। मेधा पाटकर पिछले 24 घंटे से अनशन पर बैठी हैं। उनके साथ क्रमिक अनशन पर कमला यादव, सनोबर बी मंसूरी, निर्मलाबाई और देवकुवर अवास्या भी बैठी हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े रोहित सिंह बताते हैं कि 24 घंटे के समय में मेधा पाटकर से मिलने थाना स्तर के 2 अधिकारी आए, लेकिन अबतक कोई आला अधिकारी गांव वालों की सुध नहीं ले रहा है।
क्या है प्रशासन का पक्ष
बड़वानी के कलेक्टर सोमवार को बात करने के लिए उपलब्ध नहीं थे। डाउन टू अर्थ ने उनसे बात करने को लगातार कोशिश की। हालांकि कलेक्टर ऑफिस ने प्रेस नोट के माध्यम से जानकारी दी कि कलेक्टर अमित तोमर और पुलिस अधीक्षक डीआर तेनीवार ने सरदार सरोवर की डूब प्रभावित ग्राम एकलरा का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने डूब प्रभावित गांव के लोगों को गांव छोड़ने की सलाह दी।  उन्होंने कहा कि नर्मदा का जल स्तर बढ़ रहा है और वे समय रहते डूब की सीमा से बाहर चले जाए।  रविवार को  राजपुर एसडीएम वीरसिंह चौहान छोटा बड़दा पहुंचे। क्षेत्र का दौरा कर वापस लौट आए। इनके साथ अन्य प्रशासनिक अमला में मौजूद था।

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