
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 10 फरवरी, 2025 को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) से टिहरी झील में तैरते होटल और उनके खिलाफ की गई कार्रवाई पर एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
गौरतलब है कि इस मामले में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा 14 जून 2024 को प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर एक विविध आवेदन पंजीकृत किया गया। इस रिपोर्ट को एनजीटी द्वारा 12 फरवरी, 2024 को दिए आदेश के बाद प्रस्तुत किया गया था।
इस मामले को 7 जनवरी, 2024 को टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर के आधार पर एनजीटी ने स्वतः संज्ञान में लिया है। यह मामला टिहरी झील में तैरते होटल पर केंद्रित है, जो लाइसेंस समाप्त होने के बावजूद अभी भी चल रहा है। आरोप है कि इसकी वजह से गंगा दूषित हो रही है।
12 फरवरी, 2024 को एनजीटी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) से यह जांच करने को कहा है कि क्या तैरते हुए होटल को गंगा नदी (कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन) आदेश, 2016 के तहत अनुमति दी गई थी। साथ ही अदालत ने आवश्यक कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है।
14 जून, 2024 की अपनी रिपोर्ट में एनएमसीजी ने स्वीकार किया है कि झील या जल निकाय में तैरते होटलों को गंगा नदी (कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन) आदेश, 2016 द्वारा नियंत्रित किया जाता है। हालांकि, रिपोर्ट में इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि क्या एनएमसीजी ने खुद कोई कार्रवाई शुरू की है।
वहीं एनजीटी ने 12 फरवरी, 2025 के आदेश में कहा था कि "यदि एनएमसीजी को कार्रवाई से रोकने वाला कोई कानूनी मुद्दा या अदालती आदेश नहीं है, तो एनएमसीजी को यह सुनिश्चित करना होगा कि 2016 के आदेश का पालन किया जाए।"
वहीं एनएमसीजी को ओर से पेश वकील ने इस संबंध में निर्देश प्राप्त करने के लिए और समय मांगा है। एनजीटी ने इस अनुरोध पर सहमति जताते हुए अगली सुनवाई एक मई, 2025 के लिए निर्धारित की है।
देवरिया में अवैध ईंट भट्टों से मुआवजा वसूलने के लिए क्या कुछ की गई है कार्रवाई, एनजीटी ने तलब की रिपोर्ट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) से छह महीने के भीतर एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। 10 फरवरी, 2025 को दिए इस निर्देश के मुताबिक रिपोर्ट में दो अवैध ईंट भट्टों से पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) वसूली की स्थिति शामिल होनी चाहिए।
साथ ही यूपीपीसीबी अधिकारियों द्वारा दोबारा निरीक्षण के बाद पाए गए भट्टों की स्थिति के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। अदालत ने इस मामले में छह महीनों के भीतर नई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि इस मामले में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 22 जून, 2024 को दायर रिपोर्ट के आधार पर एक विविध आवेदन पंजीकृत किया गया था। यह रिपोर्ट एनजीटी द्वारा 12 फरवरी, 2024 को दिए आदेश पर सबमिट की गई है।
इस मामले में आवेदक ने अवैध रूप से चल रहे दो ईंट भट्टों को लेकर शिकायत की थी। इनमें से एक देवरिया के पासनपुर गांव में एवीटी ईएनटी उद्योग चकबंदी, और दूसरा देवरिया के गोबराई गांव में मौजूद पीएमटी ईएनटी भट्टा है।
संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि दोनों ईंट भट्टे बंद कर दिए गए हैं। परिणामस्वरूप, अदालत ने 12 फरवरी, 2024 को इस मामले को बंद कर दिया और यूपीपीसीबी को पिछले उल्लंघनों के लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) लगाने का निर्देश दिया था।
वहीं यूपीपीसीबी द्वारा 22 जून 2024 को सबमिट रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने 12 दिसंबर 2023 को दोनों ईंट भट्टों का निरीक्षण किया था। इस दौरान यह दोनों भट्ठे बंद पाए गए। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद, यूपीपीसीबी ने 31 मई 2024 के आदेशों में एवीटी ईएनटी उद्योग पर 15,75,000 रुपए और पीएमटी ईएनटी भट्टा पर 14,62,500 रुपए का पर्यावरण मुआवजा (ईसी) लगाया था।
अदालत ने कहा है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रिपोर्ट में आदेश पारित होने के बाद पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) वसूलने के लिए की गई किसी कार्रवाई का उल्लेख नहीं है।
यूपीपीसीबी के वकील ने कहा है कि मुआवजा राशि की वसूली शुरू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट को एक अनुरोध पत्र भेजा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि यह जांचने के लिए एक नया निरीक्षण किया जाएगा कि क्या दोनों भट्टे अभी भी बंद हैं या अवैध रूप से फिर से चालू हो गए हैं।