एनजीटी ने टेढ़ी नदी बाढ़ क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों पर लगाई रोक

मामला टेढ़ी नदी के बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण से जुड़ा है, जोकि गंगा की एक सहायक नदी है
एनजीटी ने टेढ़ी नदी बाढ़ क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों पर लगाई रोक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निर्देश दिया है कि टेढ़ी नदी के बीच से बाढ़ के उच्च स्तर के 200 मीटर के दायरे में किसी भी निर्माण गतिविधि की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। 18 अक्टूबर 2024 को दिए इस आदेश को लागू करने की जिम्मेवारी गोंडा के जिला मजिस्ट्रेट की है।

मामला टेढ़ी नदी के बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण से जुड़ा है, जोकि गंगा की एक सहायक नदी है। अदालत को जानकारी दी गई है कि जिला मजिस्ट्रेट ने बाढ़ क्षेत्र को उचित रूप से चिह्नित किए बिना 50 मीटर की दूरी पर खंभे लगा दिए, जो कानून का उल्लंघन है।

एनजीटी ने गोंडा के जिला मजिस्ट्रेट को 15 जनवरी, 2025 तक टेढ़ी नदी के बाढ़ क्षेत्र को चिह्नित करने और 17 जनवरी, 2025 तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

यह मुद्दा टेढ़ी नदी के किनारे निषिद्ध क्षेत्रों में अवैध निर्माण और अतिक्रमण से जुड़ा है। अदालत का कहना है कि यदि निर्माण जारी रहने दिया गया तो बाढ़ क्षेत्र को पहचाने और चिह्नित किए जाने के बाद भी मामले में और अधिक जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

पाकुड़ में कोयला परिवहन मार्ग पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अपनाए गए हैं उपाय: हलफनामा

पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (डब्ल्यूबीपीडीसीएल) झारखंड के पाकुड़ में कोयला परिवहन मार्ग पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रहा है। यह जानकारी झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 21 अक्टूबर, 2024 को अपने जवाबी हलफनामे में दी है।

मामला झारखंड के पाकुड़ और दुमका का है, जोकि सड़क के जरिए कोयला के किए जा रहे परिवहन की वजह से होते वायु प्रदूषण से जुड़ा है। इस मामले में डब्ल्यूबीपीडीसीएल के प्रतिनिधियों के साथ एक संयुक्त समिति ने पाकुड़ में 15 किलोमीटर लंबी सड़क का निरीक्षण किया है।

संयुक्त समिति ने पाया कि डब्ल्यूबीपीडीसीएल ने बरमसिया गांव में पहियों को धोने की सुविधा स्थापित की है। इसके साथ ही पाकुड़ में सड़क को गीला करने के लिए मोबाइल वाटर टैंकर का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके।

इसके साथ ही निरीक्षण के दौरान, ट्रकों को तिरपाल से ढंका पाया गया। समिति को पाकुड़ की सीमा के भीतर जिस रास्तों से कोयला ले जाया जा रहा है उसके आसपास बस्ती नहीं मिली। आस-पास के पेड़-पौधों पर धूल की बेहद कम मात्रा देखने को मिली है।

समिति ने सिफारिश की है कि एनजीटी दुमका में स्थिति की जांच के लिए दुमका जिला प्रशासन के सदस्यों सहित एक अलग टीम गठित करे।

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