यमुना में अवैध खनन पर रोक लगाए हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एनजीटी ने दिया निर्देश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
यमुना में अवैध खनन पर रोक लगाए हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एनजीटी ने दिया निर्देश
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को निर्देश दिया है कि वो यमुना में होते अवैध खनन को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए। मामला हरियाणा के सोनीपत में गन्नौर तहसील का है।

सोनीपत में अवैध खनन को रोकने में विफल रहने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अदालत ने एचएसपीसीबी के सदस्य सचिव को "संबंधित क्षेत्रीय अधिकारी के खिलाफ अपने कर्तव्यों के पालन में लापरवाही बरतने और अप्रत्यक्ष रूप से अवैध खनन की अनुमति देने के कारण राज्य के खजाने को हुए नुकसान के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई करने" का निर्देश दिया है।

इस मामले में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तुरंत उपचारात्मक कार्रवाई करने और खनन गतिविधि को रोकने की बात कही है। साथ ही कोर्ट ने नियमों के अनुसार पर्यावरणीय मुआवजे की वसूली और चार सप्ताह के भीतर इसपर कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

एनजीटी ने अपने 21 जुलाई, 2023 को दिए आदेश में कहा है कि एसपीसीबी रिपोर्ट से पता चलता है कि "मामला एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी की जानकारी में था और इस जानकारी के बावजूद कि इकाई के पास कोई वैध सीटीओ नहीं है, उसे पर्यावरण नियमों की अनदेखी करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से बिना किसी वैध सीटीओ के इस इकाई को चलाने की अनुमति दे दी गई थी।

मामला मैसर्स अल्टीमेट ग्रुप से जुड़ा है, जो हरियाणा के सोनीपत की गन्नौर तहसील में अवैध खनन कर रहा था। आगे यह भी तर्क दिया गया है कि यह यूनिट जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 33 (ए) का उल्लंघन करते हुए और ईसी शर्तों को ताक पर रखते हुए संचालन की सहमति के बिना यमुना से रेत खनन कर रहा था।

वहीं हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह यूनिट एसपीसीबी से जल अधिनियम 1974 और वायु अधिनियम 1981 के तहत संचालन की वैध सहमति (सीटीओ) के बिना ही काम कर रही थी।  इस तरह यह यूनिट पर्यावरण मंजूरी की शर्त का भी उल्लंघन कर रही थी। इतना ही नहीं यूनिट ने  न तो पर्यावरण मंजूरी से जुड़ी शर्तों के बारे में अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है और न ही पर्यावरण मंजूरी की शर्तों के मुताबिक यमुना नदी तल में किए गए खनन की बहाली के लिए कोई अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत की है।

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि यूनिट भूजल स्तर और उसकी गुणवत्ता की निगरानी सम्बन्धी रिपोर्ट को भी दाखिल करने में विफल रही है।

एनजीटी ने लुधियाना नगर निगम को दिया सिधवां नहर की सफाई का निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने लुधियाना नगर निगम को सिधवां नहर से एकत्रित शेष ठोस कचरे को तीन महीने की समय सीमा के भीतर डंप स्थल पर निपटाने का निर्देश दिया है। साथ ही अदालत ने निगम को अगली सुनवाई से पहले आगे की कार्रवाई रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 2 नवंबर, 2023 को होनी है।

नहर की सफाई के संबंध में लुधियाना नगर निगम ने अपनी रिपोर्ट में जानकरी दी है कि करीब  90 फीसदी कूड़ा साफ कर दिया गया है और बाकी 10 फीसदी कचरा अगले तीन महीनों के भीतर साफ कर दिया जाएगा।

यह भी जानकारी दी गई है कि लुधियाना नगर निगम अपने सभी सेकेंडरी डंप साइटों को हटाने और अपने ट्रांसफर स्टेशनों पर कॉम्पैक्टर स्थापित करने की बात कर रहा था। इसके लिए जमीन की पहचान कर ली गई है और इस रिक्त भूमि के आवंटन की प्रक्रिया चल रही है।

लुधियाना नगर निगम एक वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने की कोशिश कर रहा है और 200 टीपीडी की क्षमता वाले बायो-मेथेनाइजेशन/बायो-सीएनजी संयंत्र की मदद से वो गीले कचरे के प्रसंस्करण के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर रहा है।

गौरतलब है कि आवेदन में सिधवां नहर में डाले जा रहे ठोस कचरे, प्लास्टिक बैग, पॉलिएस्टर कपड़ों के अपशिष्ट और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री की डंपिंग की शिकायत की गई थी। इस मामले में ट्रिब्यूनल ने एक संयुक्त समिति से रिपोर्ट मांगी थी। इस रिपोर्ट में पाया गया कि नहर में कचरा फेंका जा रहा है।

दुघनेरी में तय समय सीमा में पूरा हो जाना चाहिए कचरे के प्रबंधन का काम: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे हमीरपुर के दुघनेरी गांव में डंप किए पुराने कचरे का समय पर निपटान करें और इस बारे में एक कार्रवाई रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट करें। यह निर्देश 21 जुलाई, 2023 को दिया गया है। अदालत ने वन विभाग को यह भी निर्देश दिया है कि वन भूमि पर अवैध तरीकों से अतिक्रमण नहीं किया जाएगा या डंपिंग के लिए उसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

इस बारे में हिमाचल के शहरी विकास प्रमुख सचिव ने अदालत को जानकारी दी है कि हमीरपुर नगर परिषद ने सनटैन लाइफ नामक कंपनी के साथ लीगेसी वेस्ट टेंडर पर समझौता किया है और कंपनी द्वारा डेगनेरी में एसडब्ल्यूएम प्लांट पर लीगेसी वेस्ट को निपटाने का काम शुरू कर दिया गया है।

जानकारी मिली है कि 2 जुलाई 2023 तक करीब 3,121.54 टन पुराने कचरे की छंटाई का काम हो चुका दिया है। वहीं प्रधान सचिव का कहना है कि वर्षों से जमा पुराने कचरे की मात्रा 2100 टन के अनुमान से ज्यादा है। हालांकि उन्होंने आश्वासन दिया है कि यह काम कम से कम नौ महीनों में समयबद्ध तरीके से पूरा कर लिया जाएगा।

गौरतलब है कि शिकायतकर्ता रीता शर्मा और अन्य ने 9 दिसंबर, 2022 को एनजीटी को इस मामले में शिकायत की थी जिसमें उनका आरोप था कि कचरा जलाने से वायु दूषित हो रही है, जिसके चलते बीमारियों के साथ-साथ मवेशियों, वन्यजीवन और जंगल में आग जैसी घटनाएं हो रही हैं।

बंदर, जंगली कुत्तों और कौवों एवं  गिद्धों जैसे जीवों की आबादी बढ़ी है। शिकायत में यह भी कहा गया है कि पहाड़ी इलाके में डंप साइट ओवरफ्लो हो रही है, जो जल स्रोत को दूषित कर रही है। इस जलस्रोत को सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।

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