हरिद्वार में नियमों को ताक पर रख गंगा के पास काटे जा रहे प्लॉट, एनजीटी ने तलब की रिपोर्ट

एनजीटी ने हरिद्वार में गंगा किनारे 'निजी गंगा घाटों' पर काटे जा रहे आवासीय प्लॉटों के मामले को गंभीरता से लेते हुए पर्यावरण मंत्रालय के साथ अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है
हरिद्वार में बहती गंगा; फोटो: आईस्टॉक
हरिद्वार में बहती गंगा; फोटो: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सात नवंबर 2023 को हरिद्वार में 'निजी गंगा घाटों' के साथ आवासीय भूखंडों के निर्माण को गंभीरता से लेते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट के निर्देशानुसार इस मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट और गंगा हेरिटेज, परियोजना प्रस्तावक को भी नोटिस जारी किए जाएंगें। इस मामले में एनजीटी ने हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट को 22 जनवरी, 2024 से पहले साइट का निरीक्षण करने और उसपर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि यह मामला एक विज्ञापन के आधार पर कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान में लिया गया था। इस विज्ञापन में निजी गंगा घाट के साथ-साथ 25 लाख में आवासीय भूखंड दिए जाने का प्रचार किया गया था, जो एनएच 34 से महज पांच मिनट की दूरी पर हैं।

इस विज्ञापन से खुलासा हुआ कि गंगा नदी कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन प्राधिकरण आदेश 2016 को ताक पर रखते हुए हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे आवासीय भूखंड काटे जा रहे थे। बता दें कि 2016 में जारी यह आदेश नदी क्षेत्र में निर्माण पर रोक लगाता है।

बता दें कि 27 अप्रैल, 2023 और 30 अक्टूबर, 2023 को गंगा हेरिटेज ने अपने विज्ञापन में एनएच 34 पर निजी घाटों के साथ आवासीय भूखंडों का जिक्र किया था। जो अमात्रा रिसोर्ट से केवल 5 मिनट की ड्राइव पर है। आदेश में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि इन आवासीय प्लॉटों को पर्यावरण नियमों का ताक पर रख उचित अनुमति के बिना काटा जा रहा है।

विशेष बख्तरबंद वाहनों के मामले में एसपीजी की अपील, एनजीटी ने किया स्वीकार

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तीन विशेष बख्तरबंद वाहनों के पंजीकरण को बढ़ाने के संबंध में विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) की अपील को स्वीकार कर लिया है। अपनी इस याचिका एसपीजी ने इन वाहनों के पंजीकरण को 23 दिसंबर, 2029 तक पांच वर्षों के लिए बढ़ाने का अनुरोध किया था, क्योंकि इन डीजल वाहनों का मौजूदा पंजीकरण दस वर्ष पूरे होने के साथ 24 दिसंबर, 2024 को समाप्त होने वाला है।

गौरतलब है कि इस मामले में एक आवेदन पहले दिल्ली परिवहन विभाग/पंजीकरण प्राधिकरण को भेजा गया था, लेकिन छह जून, 2023 को उसे खारिज कर दिया गया था। इस बारे में एसपीजी के वकील का कहना है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 16 जनवरी, 2023 को एक अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना के तहत केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में नियम 52ए को शामिल किया गया है।

इस नियम 52ए में कहा गया है कि यह प्रतिबन्ध विशेष प्रयोजन के लिए उपयोग होने वाले वाहनों, जिसमें बख्तरबंद और अन्य विशेष वाहन शामिल हैं, उन पर लागु नहीं होगा। नियम कहता है कि "देश की रक्षा, कानून-व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले विशेष प्रयोजन वाहन कुछ प्रतिबंधों से मुक्त हैं।"

इस मामले में एनजीटी ने दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग को नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 19 जनवरी, 2024 को होगी।

कोटा में नदी तल पर बढ़ते कंक्रीट से चंबल को हो रहा नुकसान, एनजीटी ने नोटिस जारी करने के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने (एनजीटी) ने सात नवंबर 2023 को दिए अपने आदेश में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्थान सिंचाई विभाग और कोटा के जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस भेजने का निर्देश दिया है। उन सभी से कोटा में चंबल नदी के तल पर बढ़ते निर्माण के कारण उसके प्राकृतिक पर्यावरण को होते नुकसान के आरोपों पर अपना जवाब देना होगा।

गौरतलब है कि यह मामला कोटा के श्रीनाथपुरम में रहने वाले राम प्रसाद अग्रवाल द्वारा पत्र द्वारा भेजी गई याचिका के आधार पर दर्ज किया गया है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि यह अवैध गतिविधि एक नेता के इशारे पर की जा रही है, जिससे जैव विविधता और नदी के इकोसिस्टम को नुकसान हो रहा है।

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