नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने चार दिसंबर, 2023 को उस याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें विभिन्न उद्देश्यों के लिए गंगा और यमुना से बड़ी मात्रा में पानी के किए जा रहे दोहन की बात कही गई थी। याचिका का कहना है कि इसका भविष्य में नदियों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
इस मामले में अदालत ने निर्देश दिया है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ&सीसी) के अधिकारियों को नोटिस जारी किया जाए। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट और बारा थर्मल पावर प्लांट के साथ-साथ अन्य को भी नोटिस देने का निर्देश दिया है। कोर्ट के आदेशानुसार इन सभी को आठ सप्ताह के भीतर अपने जवाब दाखिल करने होंगें।
यह आवेदन उस पत्र याचिका के आधार पर दायर किया गया है जिसमें चिंता व्यक्त की गई है कि किशनपुर नहर सिंचाई के लिए यमुना से 420 क्यूसेक पानी निकाल रही है। इसके अतिरिक्त, बारा थर्मल पावर प्लांट 96 क्यूसेक, मेजा नगर निगम 80 एमएलडी और करछना नगर पालिका 54 एमएलडी पानी यमुना से ले रही हैं। वहीं एनटीपीसी मेजा यमुना के 90 क्यूसेक पानी का उपयोग करता है।
आवेदक ने चिंता व्यक्त की है कि जिस तरह से पानी का दोहन किया जा रहा है उसके चलते प्रयागराज में यमुना और गंगा में पानी की कमी पैदा हो रही है। ऐसे में आशंका जताई गई है कि इसके कारण अगले 20 वर्षों में कुंभ और माघ मेले का आयोजन खतरे में पड़ जाएगा।
कचरे को लेकर दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट
दिल्ली छावनी क्षेत्र के भीतर पैदा होने वाले कचरे को ओखला में अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र की मदद से प्रोसेस किया जा रहा है। हालांकि मार्च 2023 से छंटाई और कम्पोस्टिंग प्लांट चालू हालत में नहीं है। वहीं दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड कम्पोस्टिंग प्लांट पर कचरे के प्रबंधन के लिए बोलियां आमंत्रित करने की प्रक्रिया में है। इस बारे में दायर रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि उपयुक्त स्थान पर शिफ्ट करने के बाद ही इस संयंत्र को दोबारा से चालू किया जाएगा।
यह बातें दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड की ओर से पांच दिसंबर को एनजीटी के समक्ष दायर कार्रवाई रिपोर्ट में कही गई हैं।
आर्सेनिक प्रदूषण को रोकने के लिए नियमित रूप से पानी का परीक्षण करे पश्चिम बंगाल सरकार: एनजीटी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पश्चिम बंगाल सरकार को आर्सेनिक प्रदूषण को रोकने के लिए नियमित रूप से पानी का परीक्षण करने का निर्देश दिया है। इसके अतिरिक्त, अधिकारियों को तीन वर्षों के भीतर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को तेजी से लागू करने के लिए भी कहा गया है, जिसमें भूजल योजनाओं के लिए आर्सेनिक और आयरन हटाने वाले संयंत्र स्थापित करना शामिल है।
इसके अलावा, कोलकाता नगर निगम को अगले तीन वर्षों के भीतर शहर की शेष आबादी को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति करने का भी निर्देश एनजीटी ने दिया है।