सरस्वती नदी के किनारों से हटाएं जाए अतिक्रमण, एनजीटी ने दिया निर्देश

आरोप है कि अधिकारी सरस्वती नदी में बढ़ते प्रदूषण और अतिक्रमण को रोकने में विफल रहे हैं
सरस्वती नदी के किनारों से हटाएं जाए अतिक्रमण, एनजीटी ने दिया निर्देश
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न्यायमूर्ति बी अमित स्थालेकर की अध्यक्षता में एनजीटी की पूर्वी बेंच ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को सरस्वती नदी के पूरे हिस्से से अतिक्रमण हटाने के संबंध में हलफनामा दायर करने को कहा है। 20 जनवरी, 2025 को दिए अपने आदेश में अदालत ने इसके लिए 15 मई, 2025 तक का समय दिया है।

सुभाष दत्ता ने अपने आवेदन में आरोप लगाया है कि अधिकारी सरस्वती नदी में बढ़ते प्रदूषण और अतिक्रमण को रोकने में विफल रहे हैं। यह नदी पश्चिम बंगाल में हुगली और हावड़ा जिलों से होकर बहती है और आगे गंगा में मिल जाती है।

आरोप है कि 50 किलोमीटर के क्षेत्र में साफ किए बिना सीवेज छोड़े जाने के कारण नदी की जल गुणवत्ता खराब हो गई है। इसके अलावा, नदी के किनारों पर अतिक्रमण के चलते नदी का प्रवाह अवरुद्ध हो रहा है।

केरल एसपीसीबी ने रिपोर्ट में दी जानकारी, प्रयोगशालाएं हैं तैयार, खाली पड़े हैं पद

केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) ने जानकारी दी है कि उसे यहां 19 पद रिक्त हैं, इनमें चार तकनीकी, 11 वैज्ञानिक के और चार प्रशासनिक पद शामिल हैं। हालांकि, यह भी कहा गया है कि सभी एसपीसीबी प्रयोगशालाओं में पर्याप्त उपकरण हैं और वे ठीक से काम कर रही हैं।

रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि केरल एसपीसीबी के पास अपना काम करने के लिए पर्याप्त प्रयोगशालाएं हैं। एर्नाकुलम में इसकी एक केंद्रीय प्रयोगशाला है, जिसे एनएबीएल और ईपीए से मान्यता प्राप्त है। इसी तरह कोझिकोड में एक क्षेत्रीय प्रयोगशाला भी है, और अन्य सभी जिलों में अपनी प्रयोगशालाएं हैं।

एक जनवरी, 2025 को एनजीटी के समक्ष दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है कि एलूर में एक प्रयोगशाला पर्यावरण निगरानी केंद्र से जुड़ी है। यह केंद्र क्षेत्र में उद्योगों की निरंतर निगरानी करता है।

गौरतलब है कि 24 अक्टूबर 2023 को अंग्रेजी अखबार दक्कन हेराल्ड में प्रकाशित एक खबर के आधार पर अदालत ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया है।

23 सितंबर 2024 को सीपीसीबी ने सभी एसपीसीबी और पीसीसी को इस मामले में एक जनवरी 2025 तक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। अदालत के आदेशानुसार हलफनामे के रूप में दी जाने वाली रिपोर्ट में रिक्तियों, प्रयोगशाला के बुनियादी ढांचे और प्रयोगशालाओं की संख्या के बारे में विवरण शामिल होना चाहिए।

पीपीसीसी ने पर्यावरण निगरानी को बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे को किया है मजबूत: रिपोर्ट

पुडुचेरी प्रदूषण नियंत्रण समिति (पीपीसीसी) में तीन पद खाली हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) ने एनजीटी को आश्वासन दिया है कि इन खाली पदों को चार महीनों के भीतर भर दिया जाएगा। यह रिपोर्ट आठ जनवरी, 2025 को एनजीटी में दाखिल की गई है।

जनशक्ति की कमी से निपटने के लिए, पीपीसीसी आउटसोर्सिंग के माध्यम से छह तकनीकी सलाहकारों और तीन वैज्ञानिक सलाहकारों की भर्ती कर रहा है। चूंकि कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं हैं, इसलिए पीपीसीसी ने प्रशासनिक और लेखा कार्यों के प्रबंधन के लिए चार सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को सलाहकार के रूप में नियुक्त करने की भी योजना बनाई है।

विभिन्न कार्यों के लिए अपनी टीम को मजबूत करने के लिए पीपीसीसी अपनी स्टाफिंग आवश्यकताओं की भी समीक्षा कर रहा है।

पुडुचेरी प्रदूषण नियंत्रण समिति प्रयोगशाला को एनएबीएल प्रमाणन प्राप्त हुआ है।

पुडुचेरी सरकार ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण विभाग तथा पुडुचेरी प्रदूषण नियंत्रण समिति के लिए कार्यालय भवन और प्रयोगशाला के निर्माण को मंजूरी दे दी है। पर्यावरण प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए नियमों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

पीपीसीसी ने नए कार्यालय भवन और प्रयोगशाला के निर्माण के बाद विभिन्न मापदंडों की निगरानी के लिए अपनी वायु और जल प्रयोगशालाओं को मजबूत करने की योजना बनाई है। पीपीसीसी वर्तमान में दो प्रयोगशालाएं संचालित कर रही है, इनमें से एक पुडुचेरी में जबकि दूसरी कराईकल क्षेत्र में है।

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