केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा मॉनिटर किए जा रहे 123 में से 24 जलाशय 100 फीसदी भर गए हैं। सीडब्ल्यूसी द्वारा 10 सितंबर, 2020 को जारी बुलेटिन के अनुसार, आठ जलाशय महाराष्ट्र में, पांच कर्नाटक में, दो-दो झारखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में, एक-एक ओडिशा और राजस्थान में स्थित हैं।
महाराष्ट्र और कर्नाटक में मौसम विभाग ने कुछ हिस्सों में भारी बारिश होने की भविष्यवाणी की थी, इसलिए इन राज्यों के जलाशयों में हालात बिगड़ सकते हैं। दोनों राज्यों में कम से कम पांच बांध पूर्ण रूप से 100 फीसदी भर गए हैं। सीडब्ल्यूसी ने यहां कड़ी निगरानी की सलाह देते हुए कहा था कि बांध के अधिकारियों को पानी को छोड़ने में सावधानी बरतनी चाहिए और अंतिम क्षण तक इंतजार नहीं करना चाहिए।
कई राज्य-स्तरीय बांध प्राधिकरणों पर अक्सर ’रूल क्रव’ का ठीक से पालन नहीं करने और केवल वर्षा के दौरान पानी छोड़ने का आरोप लगाया जाता है।
रूल क्रव से आशय बांधों के प्रबंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनाए जा रहे अभ्यास से है, जो यह सुनिश्चित करता है कि बांध केवल मानसून के अंत तक भरे हों, जिससे उन्हें अतिरिक्त बारिश के दौरान एक कुशन प्रदान किया जाए और बहाव वाले क्षेत्रों में बाढ़ की संभावनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। बांध प्रबंधन अधिकारियों द्वारा इसका पालन किया जाना चाहिए, क्योंकि किसी भी चूक से बांध की वजह से बाढ़ आ सकती है। देश में इस तरह के कई उदाहरण भी हैं।
गुजरात का सरदार सरोवर बांध इस तरह के कुप्रबंधन का उदाहरण है। आरोप है कि 31 अगस्त को बांध की वजह से भरूच जिले में बाढ़ आ गई, क्योंकि बांध 90 फीसदी से अधिक भर चुका था, लेकिन 29 अगस्त के शुरुआती घंटों में बांध के गेट नहीं खोले गए, जबकि लगातार भारी बारिश हो रही थी।
नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण की नर्मदा बेसिन की दैनिक रिपोर्ट बताती है कि जलाशय में लगातार पानी भर रहा था, लेकिन बांध संचालकों ने समय पर पानी नहीं छोड़ा, जिस वजह से बाढ़ आई।
29 अगस्त को ही 3231.1 क्यूबिक मीटर प्रति सेकेंड (क्यूमेक्स) पानी छोड़ा गया था, जबकि बांध में 28 अगस्त को 2422 क्यूमेक्स पानी भरा, जो 29 अगस्त को बढ़कर 5501 क्यूमेक्स आया।
लेकिन 30 अगस्त को बड़े पैमाने पर (16,379.7 क्यूमेक्स) पानी छोड़ा गया, जो आसपास के कई गांवों में भर गया। 29 अगस्त और 2 सितंबर के बीच लगभग 95,209 क्यूमेक्स पानी छोड़ा गया।
साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डेम्स, रिवर्स एंड पीपुल द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जब बांध का जलस्तर 70 प्रतिशत के आसपास था तो बांध संचालक ने बिजली घरों को चालू नहीं किया।
29 अगस्त और 1 सितंबर के बीच तकरीबन 30,000 क्यूमेक्स पानी स्पिलवे के माध्यम से छोड़ा गया था, जबकि इससे पहले या बाद में कुछ भी नहीं छोड़ा गया। सीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट में कहा गया, "इससे गौड़ेश्वर और चंदोद से भरुच तक बहाव के साथ बड़े पैमाने पर बाढ़ के हालात बन गए, लेकिन सरदार सरोवर परियोजना प्राधिकरण या गुजरात सरकार परेशान नहीं दिखाई दी।"
सीडब्ल्यूसी द्वारा मॉनिटर किए जा रहे 123 जलाशयों में जलस्तर 142.234 बिलियन क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया, जो इनकी कुल लाइव स्टोरेज क्षमता का 83 प्रतिशत है।