वैज्ञानिक अध्ययन के बाद ही जलकुंभी को साफ करने के लिए रसायनों का करें उपयोग: एनजीटी

एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से यह जांच करने को भी कहा है कि जलकुंभी या प्राकृतिक जल निकायों में ड्रेनजाइम का उपयोग करना व्यावहारिक है या नहीं
झील में फैली जलकुंभी; फोटो:आईस्टॉक
झील में फैली जलकुंभी; फोटो:आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि जलकुंभी पर ड्रेनजाइम का उपयोग करने से पहले इसकी जांच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ-साथ भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर), लखनऊ द्वारा की जानी चाहिए। अगर यह पुष्टि हो जाती है कि इससे जल निकाय की पारिस्थितिकी  को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा तो कानून का पालन करते हुए इसके उपयोग की इजाजत दी जा सकती है।

इस मामले में पांच अप्रैल, 2024 को एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से यह जांच करने को कहा है कि जलकुंभी या प्राकृतिक जल निकायों में ड्रेनजाइम का उपयोग करना व्यावहारिक है या नहीं। सीपीसीबी को चार महीने के भीतर ट्रिब्यूनल की पश्चिमी बेंच के रजिस्ट्रार के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है।

गौरतलब है कि हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए ट्रिब्यूनल ने यह कार्रवाई शुरू की थी। गौरतलब है कि ड्रेनजाइम, एक एंजाइम आधारित उत्पाद है, जिसकी मदद से जलाशयों को साफ करने पर विचार किया जा रहा है।

यह खबर पुणे नगर निगम (पीएमसी) द्वारा नदियों और झीलों में जलकुंभी की समस्या के समाधान के लिए जैव-एंजाइम या प्राकृतिक रसायनों के उपयोग को लेकर लिए गए निर्णय से जुड़ी थी। खबर के मुताबिक सोशल मीडिया में बड़ी संख्या में मच्छरों के आतंक का वीडियो वायरल होने के बाद पीएमसी को नदियों और झीलों पर जैव एंजाइम या प्राकृतिक रसायनों के छिड़काव का विचार आया।

खबर से पता चलता है कि पीएमसी ने बावधन की रामनदी नदी पर एक बायो-एंजाइम का छिड़काव किया है। यह भी पता चला है कि बाद में नगर निकाय ने केशव नगर, खराड़ी और मुंडवा जैसे इलाकों में मुला मुथा नदी क्षेत्र पर कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का उपयोग शुरू कर दिया।

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि इसके लिए ग्लाइफोसेट का उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है, क्योंकि इससे मानव स्वास्थ्य को खतरा है एमपीसीबी ने इस मुद्दे को संबोधित करते हुए 30 जून, 2023 को पीएमसी को एक पत्र भी भेजा था।

इस बारे में पीएमसी की ओर से एक रिपोर्ट भी दायर की गई है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि उन्होंने रामनदी के किनारे 40 वर्ग फुट के स्थिर पानी के पूल में परीक्षण के रूप में जलकुंभी पर ड्रेनजाइम का छिड़काव किया था। पीएमसी के वकील ने कहा है कि जब तक उन्हें सक्षम निकाय इस संबंध में मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक भविष्य में ऐसा कोई प्रयोग दोबारा नहीं किया जाएगा।

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