धरती के 40 प्रतिशत जंगलों के जलने व कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार हैं 88 बड़े उद्योग, जानें कैसे?

शोधकर्ताओं ने पाया कि 1986 के बाद से जंगल की आग से 1.98 करोड़ एकड़ में फैला जंगली इलाका खाक हो गया
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स
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एक शोध के मुताबिक, पिछले 40 सालों में पश्चिमी अमेरिका और दक्षिण-पश्चिमी कनाडा में जंगल की आग से जले हुए लगभग 40 प्रतिशत जंगली इलाकों के लिए दुनिया के 88 सबसे बड़े उद्योग जिम्मेवार है। इन उद्योगों को जीवाश्म ईंधन और सीमेंट निर्माण से जुड़े कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। शोध में कहा गया है कि, तेल और गैस कंपनियां जलवायु परिवर्तन को लेकर अपनी भूमिका के लिए जवाबदेह हैं।

शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि जीवाश्म ईंधन को निकालने के साथ-साथ उन ईंधनों के जलने से होने वाले उत्सर्जन ने वैश्विक तापमान और सूखे को बढ़ाकर जंगल में आग लगने के खतरे को बढ़ा दिया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बढ़ते हुए इस सूखे ने वातावरण में पानी की भारी कमी कर दी है, जिसके कारण पेड़ों से नमी निकल रही है जिससे आग लगने के आसार बढ़ गए हैं।

अध्ययन चरम घटना या इसके विज्ञान के रूप में जाने वाले शोध के लिए नया है, जो इस बात को निर्धारित करना चाहता है कि ग्लोबल वार्मिंग ने लू या हीटवेव, सूखे और जंगल की आग जैसी घटनाओं में कितना योगदान दिया है।

प्रमुख जलवायु वैज्ञानिक शोधकर्ता क्रिस्टीना डाहल ने कहा हम आशा करते हैं कि जंगल की आग से प्रभावित लोग इस काम को देखेंगे और सोचेंगे कि क्या वे इन कंपनियों को जवाबदेह ठहराना चाहते हैं।

डाहल और उनके सहयोगियों ने जंगल की आग पर जीवाश्म ईंधन उद्योग के प्रभाव को मापने के लिए शोध किया। शोध में दिखाया कि एक्सॉन मोबिल, बीपी, शेवरॉन और शेल समेत शीर्ष 88 जीवाश्म ईंधन उत्पादकों और सीमेंट निर्माताओं के कार्बन उत्सर्जन का पता लगाया गया। इन सभी उद्योगों ने औसत तापमान में बढ़ोतरी की जिससे पृथ्वी गर्म हुई है। सीमेंट उत्पादन मानव निर्मित कार्बन डाइऑक्साइड के आठ फीसदी के लिए जिम्मेदार है, जो कि जीवाश्म ईंधन के जलने से काफी कम है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि 1986 के बाद से जंगल की आग से 1.98 करोड़ एकड़ जंगली इलाका खाक हो गया।

उन्होंने कहा हालांकि क्षेत्र कानूनी कार्रवाइयों के लिए आंकड़े प्रदान करने के लिए मौजूद नहीं है, यह कुछ मायनों में कानून के सवालों से उत्पन्न हुआ है। 

पिछले महीने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तेल और गैस कंपनियों से अपील सुनने से इंकार कर दिया था। जो राज्य और स्थानीय सरकारों द्वारा दायर जलवायु परिवर्तन पर मुकदमों की मांग कर रहे थे। इस फैसले ने दर्जनों समान मुकदमों के लिए राज्य की अदालतों में सुनवाई का रास्ता साफ कर दिया, जहां मुकदमा करने वाले समुदायों के लिए बड़े नुकसान से पार पाने की बेहतर संभावना है।

लेकिन साथ ही, हम जानते हैं कि जीवाश्म ईंधन उद्योगों को दशकों से यह पता है कि, उनके उत्पादों का हमारे जलवायु पर क्या असर होगा और उन कंपनियों से जुड़े उत्सर्जन ने हमारे जलवायु को काफी बदल दिया है। हम वास्तव में पश्चिम की बिगड़ती जंगल की आग को पैदा करने में जीवाश्म ईंधन उद्योग की भूमिका पर प्रकाश डालना चाहते थे ताकि उन्हें लागत के अपने हिस्से के लिए जवाबदेह ठहराया जा सके। यह शोध जर्नल एनवायरमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ है।

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