सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माने की राशि में फेर-बदल करने से किया इंकार, कहा एनजीटी ही लेगी अंतिम फैसला

यशश्वी रसायन हादसे के मामले में एनजीटी ने विस्थापित हुए लोगों के लिए प्रति व्यक्ति 25,000 रुपए मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया था|
गुजरात के भरूच जिले में स्थित यशश्वी रसायन प्राइवेट लिमिटेड के केमिकल प्लांट में हुए विस्फोट के बाद उठता हुआ धुआं। फोटो: सलीम पटेल
गुजरात के भरूच जिले में स्थित यशश्वी रसायन प्राइवेट लिमिटेड के केमिकल प्लांट में हुए विस्फोट के बाद उठता हुआ धुआं। फोटो: सलीम पटेल
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सुप्रीम कोर्ट ने 22 जून को यशश्वी रसायन प्राइवेट लिमिटेड को आदेश दिया है कि वो मुआवजे के मामले में एनजीटी के पास जाए| गौरतलब है कि गुजरात में भरूच जिले के दहेज स्पेशल इकोनॉमिक जोन में चल रहे इस रासायनिक कारखाने में विस्फोट हो गया था जिसमें 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी| इसी के चलते नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस कंपनी को विस्फोट में मारे गए और प्रभावित हुए लोगों को हर्जाना देने का आदेश दिया था| यशिस्वी रसायन प्राइवेट लिमिटेड नामक यह कंपनी विस्थापितों को मुआवजे के भुगतान के संबंध में दिए गए न्यायाधिकरण के आदेश में संशोधन चाहती थी| इसी बाबत उसने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी|

इस उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील हरीश साल्वे ने बताया कि जिन लोगों की मृत्यु इस हादसे में हुई है| उनके लिए कोर्ट ने जो 15 लाख रुपए, अंतरिम मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया है| उससे उद्योग को कोई आपत्ति नहीं है। साथ ही कंपनी गंभीर रूप से घायल लोगों के लिए 5 लाख रुपए प्रति व्यक्ति और अस्पताल में भर्ती व्यक्तियों के इलाज के लिए एनजीटी के आदेशानुसार 2.5 लाख रुपए प्रति व्यक्ति मुआवजा देने को तैयार है|

विस्थापितों को 25,000 का हर्जाना देने से बचना चाहती है कंपनी

इसके साथ ही एनजीटी ने विस्थापित हुए लोगों के लिए प्रति व्यक्ति 25,000 रुपए मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया था| जिससे कंपनी को आपत्ति है| गौरतलब है कि इस हादसे में करीब 4800 व्यक्ति विस्थापित हुए हैं| ऐसे में कंपनी को विस्थापित हुए लोगों के लिए करीब 12 करोड़ रूपए का मुआवजा भरना पड़ेगा| जिससे कंपनी बचना चाहती है| कंपनी के वकील ने दलील दी है कि कई लोगों को सिर्फ कुछ घंटे के लिए विस्थापित होना पड़ा था, ऐसे में यह जो मुआवजे की रकम है वो बहुत ज्यादा है|

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी से पूछा है कि यदि जरुरी हो तो आंकड़ों के आधार पर मुआवजे पर एक बार फिर से विचार कर सकते हैं| हालांकि इस मामले में हर्जाने की राशि को एनजीटी द्वारा तय किया जाना है| यह बात सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दी है| सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को 10 दिनों के अंदर हर्जाने की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था| इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जब तक एनजीटी द्वारा कोई नया फैसला नहीं ले लिया जाता तब तक हर्जाने की राशि में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और वो 25,000 ही मानी जाएगी|

क्या था पूरा मामला

यह पूरा मामला यशश्वी रसायन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी से जुड़ा है जोकि पेस्टिसाइड (कीटनाशक) बनाती है| यह केमिकल प्लांट गुजरात में भरूच जिले के दहेज स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसईजेड) में चल रहा था| जिसमें 3 जून 2020 को विस्फोट हो गया था| इस हादसे में करीब 10 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 58 लोग घायल हुए थे| जबकि 4,800 लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा था| हादसे की वजह, आग लगने के कारण ओर्थो डाईक्लोरो बेनजीन टैंक में दबाव बढ़ गया था जिसके कारण उसके बायलर में विस्फोट हो गया था, को बताया गया है|

इस हादसे में मारे गए और प्रभावित हुए लोगों को सहायता देने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मृत व्यक्तियों के लिए 15 लाख रूपए कंपनी को मुआवजा देने का आदेश दिया था| जबकि गंभीर रूप से घायलों के लिए 5 लाख रुपए प्रति व्यक्ति और अस्पताल में भर्ती लोगों के इलाज के लिए 2.5 लाख प्रति व्यक्ति की दर से हर्जाना देना था| साथ ही विस्थापितों के लिए प्रति व्यक्ति 25,000 रुपए मुआवजा देना था| इसके साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए कंपनी पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था और उसे तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया था| गौरतलब है कि इससे पहले 7 मई 2020 को विशाखापट्टनम में एलजी पॉलिमर नाम की एक केमिकल फैक्ट्री में आग लगने के कारण 11 लोगों की मौत हो गई थी। विशेषज्ञ इन हादसों की वजह लॉकडाउन के बाद खोलने की हड़बड़ी में पर्यावरण सम्बन्धी नियमों की अनदेखी को मान रहे हैं| जिस पर ध्यान देने की जरुरत है, जिससे भविष्य में इस तरह के हादसे फिर न हो सकें|

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