भद्रवाह के जल स्रोतों को बचाने की मुहिम: डोडा प्रशासन ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए ठोस कदम

रिपोर्ट के मुताबिक भद्रवाह में जल स्रोतों की सुरक्षा के लिए 4.5 एमएलडी एसटीपी और 5 केएलडी एफएसटीपी के निर्माण की योजना बनाई गई है
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
Published on
सारांश
  • डोडा जिले के भद्रवाह में जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने के लिए प्रशासन ने ठोस कदम उठाए हैं।

  • 1.68 एमएलडी सीवेज के बिना उपचार के जल स्रोतों में मिलने की समस्या के समाधान के लिए 4.5 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की सिफारिश की गई है।

  • नियमित समीक्षा बैठकों के माध्यम से प्रगति की निगरानी की जा रही है।

जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में भद्रवाह के जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने के लिए जिला प्रशासन और सभी संबंधित विभाग एकजुट होकर काम कर रहे हैं। डोडा  के डिप्टी कमिश्नर की प्रगति रिपोर्ट के मुताबिक सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ नियमित समीक्षा बैठकें की जा रही हैं ताकि प्रदूषण नियंत्रण के कार्य समय पर पूरे हों सकें।

गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पुणेजा नाला, हालियन, हलून, हांगा और नील गंगा नदी सहित चार धाराओं के जल गुणवत्ता की वर्तमान स्थिति पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।

रिपोर्ट में मुख्य समस्याओं के रूप में यह सामने आया है कि घरों से निकलने वाला 1.68 एमएलडी सीवेज और सेप्टेज बिना किसी उपचार के सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से जल स्रोतों में मिल रहा है।

इस समस्या के समाधान के लिए 4.5 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करने की सिफारिश की गई है, ताकि सीवेज का उचित उपचार और सुरक्षित निपटान सुनिश्चित किया जा सके।

साथ ही, 5 केएलडी क्षमता का फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) बनाने और 5.68 किलोमीटर लंबा इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन नेटवर्क विकसित करने की भी योजना बनाई गई है, जिससे सीवेज और सेप्टेज को एकत्र कर उपचार के लिए भेजा जा सके।

डिप्टी कमिश्नर डोडा ने इस योजना के जल्द से जल्द कार्यान्वयन के लिए हाउसिंग एवं अर्बन डेवलपमेंट, ग्रामीण विकास और पंचायती राज, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा और लोक निर्माण विभागों से सहयोग लिया है।

इस दिशा में हो रही प्रगति की समीक्षा के लिए एक मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है। इसके साथ ही भद्रवाह के अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर द्वारा त्रैमासिक समीक्षा की जा रही है और डोडा के डिप्टी कमिश्नर द्वारा नियमित बैठकें कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाते हैं।

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जल गुणवत्ता पर लगातार नजर रख रहा है। समय-समय पर पानी के नमूने जांचे जा रहे हैं और सभी नमूनों की गुणवत्ता मानकों के अनुसार पाई गई है। 22 जुलाई 2025 की यह रिपोर्ट 26 सितंबर 2025 को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड की गई है।

डीजल लोकोमोटिव शेड पर क्यों लगा 2.6 करोड़ का पर्यावरणीय जुर्माना?

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने उत्तरी रेलवे के तुगलकाबाद स्थित डीजल लोकोमोटिव शेड पर पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन के लिए 2.6 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय मुआवजा लगाने की सिफारिश की है।

डीपीसीसी ने एक सितंबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपी रिपोर्ट में बताया है कि शेड से बिना ट्रीटमेंट के गंदा पानी छोड़ा जा रहा था। साथ ही, इसे जल एवं वायु अधिनियमों के तहत आवश्यक ‘कंसेंट टू ऑपरेट’ (सीटीओ) अनुमति लिए बिना ही संचालित किया जा रहा था।

पर्यावरण नियमों की उल्लंघन: एनजीटी ने जाजपुर क्वारी मामले में गठित की जांच समिति

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी पीठ ने 25 सितंबर 2025 को ओडिशा के जाजपुर जिले में एक स्टोन क्वारी द्वारा पर्यावरणीय नियमों और अनुमति से जुड़ी शर्तों के उल्लंघन की शिकायत की जांच के लिए एक संयुक्त समिति के गठन के आदेश दिए हैं।

कोर्ट के निर्देशानुसार इस समिति में जाजपुर के कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट के प्रतिनिधि, ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जाजपुर के खनिज उपनिदेशक, ओडिशा राज्य पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण के सदस्य शामिल होंगे।

संयुक्त समिति को इस मामले की जांच कर एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

यह मामला बाझबटी ब्लैक स्टोन क्वारी-2 से जुड़ा है, जो जाजपुर जिले में धर्मशाला तहसील के बाझबटी गांव में पांच एकड़ क्षेत्र में स्थित है। शिकायत में कहा गया है कि सरत चंद्र बेहेरा द्वारा संचालित इस क्वारी का संचालन अनुमति की शर्तों का उल्लंघन करते हुए किया जा रहा है।

मामले की शिकायत अधिकारियों से की गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in