दिवाली के बाद भी दिल्ली-फरीदाबाद सहित देश के कई शहरों में बढ़ता प्रदूषण थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। स्थिति किस कदर बिगड़ चुकी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिल्ली-रोहतक सहित छह शहरों में तो सूचकांक एक बार फिर 400 के पार पहुंच गया है।
ऐसा नहीं है कि प्रदूषण का यह कहर केवल बड़े शहरों तक सीमित है, इस मामले में छोटे शहर भी पीछे नहीं हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो हनुमानगढ़, हिसार, जयपुर, जींद, कैथल सहित 28 शहरों में हवा बेहद खराब है। वहीं 52 अन्य शहरों में हालात खराब हैं, जहां प्रदूषण का स्तर 200 के पार है।
कुछ शहरों में तो स्थिति इतनी खराब हो चली है कि वहां सांस लेना तक दुश्वार हो गया है, ऐसा लगता है कि लोग गैस चैम्बर में रह रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल दिवाली पर दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था, लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोगों ने पटाखे जलाए हैं, जिसका असर अब भी साफ तौर पर अब भी हवा में देखा जा सकता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 16 नवंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 243 में से महज आठ शहरों में हवा 'बेहतर' रही। वहीं केवल 51 शहरों की श्रेणी 'संतोषजनक' थी जबकि 98 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' रही।
वहीं भोपाल-सांगली सहित 52 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू रहा, जबकि हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर सहित 28 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा हो गया है। वहीं चुरू (452), दिल्ली (419), फरीदाबाद (424), नारनौल (435), रोहतक (409), सीकर (452) में प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति में पहुंच गया है। कुल मिलकर देखें तो इन शहरों में स्थिति ऐसी हो गई है जैसे वो कोई गैस चैम्बर हैं।
यदि दिल्ली की बात करें तो यहां की वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 419 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 424, गाजियाबाद में 376, गुरुग्राम में 363, नोएडा में 355, ग्रेटर नोएडा में 340 पर पहुंच गया है।
देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 168 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 191, चेन्नई में 90, चंडीगढ़ में 171, हैदराबाद में 138, जयपुर में 331 और पटना में 271 दर्ज किया गया।
देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ
देश के महज जिन आठ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 19, बागलकोट 45, कोहिमा 47, ऋषिकेश 36, सिलचर 43, तिरुवनंतपुरम 42, थूथुकुडी 47 और विजयपुरा 40 शामिल रहे।
वहीं अनंतपुर, बारीपदा, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, ब्यासनगर, चामराजनगर, चेन्नई, छाल, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, कुड्डालोर, देहरादून, धारवाड़, दुर्गापुर, एलूर, गडग, गंगटोक, गुवाहाटी, हसन, होसुर, इंफाल, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, काशीपुर, कोच्चि, कोलकाता, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, मदिकेरी, मैहर, मंगुराहा, मिलुपारा, मैसूर, पंचकुला, पुदुचेरी, रायपुर, रामनाथपुरम, शिलांग, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, शिवसागर, त्रिशूर, तिरुपुर, तुमिडीह, उडुपी, वाराणसी, वातवा और विजयवाड़ा आदि 51 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।
वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।
इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।