बेगूसराय-फरीदाबाद-हनुमानगढ़ में गंभीर बना हुआ है प्रदूषण, दिल्ली में भी बेहद खराब रहे हालात

तीन शहरों बेगूसराय, फरीदाबाद और हनुमानगढ़ में अभी भी प्रदूषण गंभीर बना हुआ है। वहीं दिल्ली में भी गिरावट के बावजूद वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' है
बेगूसराय-फरीदाबाद-हनुमानगढ़ में गंभीर बना हुआ है प्रदूषण, दिल्ली में भी बेहद खराब रहे हालात
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भारत के कई शहरों में प्रदूषण थमने का नाम ही नहीं ले रहा, स्थिति किस कदर बिगड़ चुकी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बेगूसराय, फरीदाबाद और हनुमानगढ़ में प्रदूषण आपात स्थिति पर बना हुआ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के पार है। ऐसा नहीं कि प्रदूषण का कहर केवल बड़े शहरों तक सीमित है, इस मामले में छोटे शहर भी पीछे नहीं हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो भागलपुर-कटक सहित 41 शहरों में हवा 'बेहद खराब' है। वहीं भुवनेश्वर-किशनगंज सहित 61 अन्य शहरों में हालात खराब हैं, जहां प्रदूषण का स्तर 200 के पार  है।

फरीदाबाद सहित कुछ शहरों में तो स्थिति इतनी खराब हो चली है कि वहां सांस लेना तक दुश्वार हो गया है, ऐसा लगता है कि लोग गैस चैम्बर में रह रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 25 नवंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 244 में से महज 32 शहरों में हवा 'बेहतर' रही। वहीं 45 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' थी जबकि 62 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' रही। 

चरखी दादरी-देहरादून सहित 61 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू रहा, जबकि बल्लभगढ़-छपरा सहित 41 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा हो गया है। वहीं बेगूसराय (411), फरीदाबाद (416) और हनुमानगढ़ (447) में प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति में पहुंच गया है, कुल मिलकर देखें तो इन शहरों में स्थिति जानलेवा है।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 26 अंकों की गिरावट के साथ 389 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 416, गाजियाबाद में 389, गुरुग्राम में 336, नोएडा में 366, ग्रेटर नोएडा में 368 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 124 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 252, चेन्नई में 46, चंडीगढ़ में 213, हैदराबाद में 85, जयपुर में 285 और पटना में 316 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 32 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 13, अनंतपुर 36, अरियालूर 11, बागलकोट 44, बेलगाम 50, चामराजनगर 42, चेंगलपट्टू 32, चेन्नई 46, चिकबलपुर 29, चिक्कामगलुरु 38, चित्तूर 46, कुड्डालोर 18, दावनगेरे 46, एलूर 37, गडग 48, होसुर 34, कडपा 31, कलबुर्गी 32, कोलार 46, कोल्लम 47, मदिकेरी 44, मैसूर 46, ऊटी 27, पुदुचेरी 38, रामानगर 33, रामनाथपुरम 26, सिलचर 33, शिवसागर 49, थूथुकुडी 30, तिरुपति 48, तिरुपुर 47, वेल्लोर 44 शामिल रहे।

वहीं बेंगलुरु (54), ब्रजराजनगर 88, छाल 84, कोयंबटूर 58, देहरादून 85, धारवाड़ 69, गांधीनगर 77, गंगटोक 55, हसन 58, हावेरी 60, हुबली 64, हैदराबाद 85, इंफाल 76, जलना 83, कल्याण 97, कन्नूर 55, काशीपुर 95, कोच्चि 98, कोहिमा 63, कोल्हापुर 91, कोप्पल 53, कोरबा 74, लातूर 74, महाड 95, मैहर 91, मंगलौर 75, मंगुराहा 79, मिलुपारा 65, परभनी 90, रायचुर 88, रायपुर 96, ऋषिकेश 57, सलेम 81, सतना 95, शिलांग 56, शिवमोगा 55, सिलीगुड़ी 92, सोलापुर 97, तिरुवनंतपुरम 54, त्रिशूर 58, तुमकुरु 69, उडुपी 98, वाराणसी 94, विजयवाड़ा 97, यादगीर (52) आदि 45 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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