नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा है कि वे यमुना के पानी की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदूषण के उच्च स्तरों के मामले में क्या कदम उठा रहे हैं। अदालत ने यह निर्देश छह नवंबर, 2024 को दिया है।
इस मामले में अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया है। मामला दिल्ली के बुराड़ी में यमुना में प्रदूषण के चलते हजारों मछलियों की मौत से जुड़ा है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने अदालत को जानकारी दी है कि उसने पल्ला (घाट संख्या 4) के पास यमुना के उस क्षेत्र का निरीक्षण किया था, जहां मछलियों की मौत हुई थी। उन्होंने तीन स्थानों से पानी के नमूने एकत्र किए थे, जिनमें से सभी सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे।
नमूनों के परीक्षणों से पता चला है कि यमुना में मिलने वाली ड्रेन नंबर 8 में प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है, जो नदी के निचले हिस्से में पानी की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि यह ड्रेन हरियाणा से निकलती है। इसमें 64 मिलीग्राम प्रति लीटर बीओडी और शून्य ऑक्सीजन वाला अपशिष्ट जल होता है, जो नदी के दिल्ली में प्रवेश करने से पहले यमुना में मिल जाता है।
बिजनौर में तालाब को पाट अवैध रूप से बन रहा मॉल, एनजीटी ने अधिकारियों से मांगा जवाब
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पांच नवंबर 2024 को किरतपुर में एक जलाशय पर हो रहे अवैध अतिक्रमण के मुद्दे पर सुनवाई की। मामला उत्तर प्रदेश में बिजनौर का है।
गौरतलब है कि बिजनौर निवासी इमरान अली ने अपनी शिकायत में कहा है कि कुछ लोगों ने अवैध तरीके से एक पुराने तालाब को कूड़े-कचरे और अन्य सामग्री से भर दिया है। इन लोगों ने भराव के बाद इस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है।
राजस्व रिकॉर्ड में आधिकारिक तौर पर तालाब के रूप में दर्ज इस जमीन पर एक मॉल बनाया जा रहा है। उनका आरोप है कि इन गतिविधियों के चलते तालाब पूरी तरह से गायब हो गया है।
अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट, नगर निगम किरतपुर और अन्य प्रतिवादियों को अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले अपने जवाब प्रस्तुत करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 13 फरवरी, 2024 को होगी।