तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) ने चेन्नई की बकिंघम नहर में तेल के मौजूद होने की पुष्टि की है। बता दें कि एक निजी समाचार चैनल ने बकिंघम नहर में तेल फैलने से हो रहे प्रदूषण के बारे में जानकारी दी थी।
चैनल के मुताबिक बकिंघम नहर में बहुत सारा तेल फैल चुका है और वो एन्नोर क्रीक तक पहुंच गया है। इसके अंश मछुआरों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली नावों पर भी चिपके पाए गए हैं, जिससे उनकी गतिविधियों पर असर पड़ा है।
गौरतलब है कि इस खबर के आधार पर, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक दल ने सात दिसंबर को उक्त क्षेत्र का निरीक्षण किया था। इस टीम ने कारगिल नगर पुल से कोडुंगैयुर तक बकिंघम नहर की जांच की थी। अपने निरीक्षण के दौरान, उन्होंने नहर में, ज्यादातर किनारों पर, तेल इकट्ठा होते देखा। यह भी देखा गया कि तेल मुख्य रूप से मनाली औद्योगिक क्षेत्र के बरसाती नाले से आ रहा है जो आगे जाकर बकिंघम नहर में मिल रहा है।
जांच में यह भी देखा गया कि चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीपीसीएल) के दक्षिणी गेट के पास जो स्टॉर्म आउटलेट है, वहां अभी भी तेल और पानी का मिश्रण मौजूद था। जो धीरे-धीरे नहर में मिलने लगा था। जांच दल ने पाया कि तेल ऊपर की ओर विशेष रूप से चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पास कोडुंगैयुर और टोंडियारपेट क्षेत्रों से भी आ रहा था। इसके अतिरिक्त, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के टोंडियारपेट टर्मिनल और बकिंघम नहर के किनारे कोरुकुपेट और कोडुंगैयुर क्षेत्र में मौजूद कंटेनर टर्मिनल से भी तेल आता देखा गया।
वहीं सीपीसीएल के मुताबिक तीन से चार दिसंबर, 2023 को हुई भारी बारिश के बाद पूंडी एवं पुझल जलाशयों से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण सीपीसीएल परिसर सहित मनाली औद्योगिक क्षेत्र और उसके आसपास भारी बाढ़ आ गई थी। जब सीपीसीएल ने प्लांट को बचाने के लिए रुके पानी को बाहर निकाला, तो जमीन पर मौजूद तैलीय पदार्थ भी जलस्रोत तक पहुंच गया। सीपीसीएल का कहना है कि इसके अलावा कच्चे माल और उत्पादों को ले जाने वाली पाइपलाइनों सहित टैंक या प्रक्रिया क्षेत्र से कोई रिसाव नहीं हुआ है।
जानकारी दी गई है कि इस मुद्दे को शीघ्रता से हल करने और नहर से जल्द से जल्द तेल हटाने के लिए टीएनपीसीबी ने आठ दिसंबर को मनाली, कोडुंगैयुर और टोंडियारपेट के तेल उद्योगों के साथ बैठक की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, सीपीसीएल ने बरसाती पानी के आउटलेट से तेल निकालना शुरू कर दिया है और आठ दिसंबर तक वे तेल को बकिंघम नहर तक पहुंचने से रोकने में कामयाब रहे हैं।
हिंडन नदी में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या कुछ उठाए गए हैं कदम, रिपोर्ट में दी गई जानकारी
उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने छह दिसंबर 2023 को एनजीटी में सौंपी अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि उसने हिंडन नदी में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या कुछ कदम उठाए हैं।
अक्टूबर 2023 की नवीनतम निगरानी रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि 27 ऐसे नाले हैं जहां बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड यानी बीओडी 0 से 150 मिलीग्राम प्रति लीटर है, वहीं दो नालों में बीओडी का स्तर 150 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है।
इसके अतिरिक्त, 17 नालों में केमिकल ऑक्सीजन डिमांड यानी सीओडी का स्तर 0 से 250 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीच था, जबकि 12 नालों में सीओडी का स्तर 250 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है।
उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा साझा की गई ताजा जानकारी के मुताबिक हिंडन नदी बेसिन में हर दिन 943.63 एमएलडी सीवेज पैदा हो रहा है। वहां इस सीवेज के उपचार के लिए 867.5 एमएलडी की संयुक्त उपचार क्षमता वाले 16 सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) स्थापित किए गए हैं। वर्तमान में, ये 16 एसटीपी कुल 711.6 एमएलडी की उपयोग क्षमता पर काम कर रहे हैं।
रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि राज्य उपचार क्षमता में मौजूद इस अंतर को पाटने के लिए कदम उठा रहा है। वर्तमान में, 86 एमएलडी क्षमता वाले चार सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) निर्माणाधीन हैं, और 221 एमएलडी की कुल क्षमता वाले साथ और एसटीपी स्थापित करने की योजना है। इस पहल का लक्ष्य दिसंबर 2025 तक कुल 1,174.5 एमएलडी क्षमता हासिल करना है।
मंगलपडी ग्राम पंचायत में कचरा प्रबंधन से जुड़े नियमों का नहीं किया जा रहा पालन: केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कासरगोड की मंगलपडी ग्राम पंचायत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 को लागू करने में विफल रही है। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा सात दिसंबर, 2023 को दिए आदेश पर दायर की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार मंगलपडी ग्राम पंचायत में स्थानीय निकाय के आधीन एक अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधा है। यह यूनिट कचरे को प्रोसेस और रीसायकल करने के लिए स्थापित की गई थी। इसके साथ ही अपशिष्ट उपचार संयंत्र में गीले और सूखे कचरे को प्रोसेस करने की भी सुविधा मौजूद थी। हालांकि कुछ समय तक चलने के बाद यह प्लांट बंद हो गया है।
2023 में, कासरगोड जिला कार्यालय के पर्यावरण अभियंता ने तीन नवंबर को इस साइट का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान यह पूरा क्षेत्र घनी जंगली झाड़ियों से भरा पाया गया, जिससे वहां पहुंचना मुश्किल हो गया। वहीं साइट पर बड़ी मात्रा में पुराना कूड़ा-कचरा और हाल के दिनों में एकत्र किया कूड़ा-कचरा मौजूद था।
हालांकि अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधा बंद थी। ऐसे में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी), 2016 के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का पालन न करने के लिए स्थानीय निकाय के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर रहा है।