
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पुरी के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट को नीलकंठेश्वर देव मंदिर की सहायता से निरीक्षण समिति की सिफारिशों को लागू करने का निर्देश दिया है। यह सिफारिशें गोपीनाथपुर गांव में चंदन पोखरी जल निकाय पर अतिक्रमण हटाने से जुड़ी हैं।
पांच दिसंबर, 2024 को दिए आदेश में अदालत ने अधिकारियों को इस मामले में की गई कार्रवाई पर चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया है।
आरोप है कि अनियंत्रित प्रदूषण और अतिक्रमण के चलते यह जल निकाय अपनी जल धारण करने की क्षमता खो रहा है। आसपास के क्षेत्रों से ठोस और तरल कचरा इसमें डंप किया जा रहा है, जिसकी वजह से यह डंपिंग ग्राउंड में बदल गया है।
इस जल निकाय का उपयोग न केवल कृषि और मछली पकड़ने बल्कि साथ ही धार्मिक उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है।
समिति ने इस साइट का दौरा किया था, जिसमें पाया गया कि यह जलाशय तीन तरफ से निजी जमीनों, स्कूल और एक मंदिर परिसर से घिरा है, जबकि इसके चौथी तरफ व्यावसायिक इमारतें हैं। यह भी पाया गया कि तालाब पूरी तरह से जलकुंभी से पटा हुआ है। इसकी वजह से सूरज की रोशनी और हवा के रास्ते में बाधा पड़ रही है, जिससे पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है।
आरोप है कि कुछ घर और दुकानें सीधे तौर पर तालाब में गंदा पानी छोड़ रही हैं। इसके साथ ही तालाब के आसपास घरेलू कचरा भी डाला जा रहा है।
कौन है बढ़ते प्रदूषण के लिए जिम्मेवार, कैसे बचेगा तालाब
यह क्षेत्र पुरी नगर पालिका के अधीन न होकर पंचायत के अधिकार क्षेत्र में है, इसलिए क्षेत्र से नियमित रूप से कचरे की सफाई नहीं हो रही है। नतीजतन, तालाब बहुत प्रदूषित हो गया है और अब इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चंदन पोखरी का उपयोग पिछले आठ से दस वर्षों से आम लोगों द्वारा नहीं किया जा रहा है। इसके कारण तालाब जलकुंभी से ढंक गया है, जिसे हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। ऐसे में समिति ने इस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए तत्काल कदम उठाने की सिफारिश की है।
समिति ने सिफारिश की है कि तालाब से जलकुंभी को पूरी तरह हटा दिया जाना चाहिए। साथ ही घरों और दुकानों से निकलने वाले कचरे को जिसे तालाब में डाला जा रहा है, रोकने का निर्देश देने की बात कही गई है।
इसके अतिरिक्त, तालाब से गाद निकाली जानी चाहिए। यह भी सिफारिश की गई है कि तालाब के चारों ओर उचित तटबंध बनाए जाने चाहिए ताकि कोई बाहरी कचरा तालाब में न जा सके।
समिति ने एक आउटलेट बनाने की भी सिफारिश की है ताकि तालाब से अतिरिक्त पानी पास के ड्रेनेज सिस्टम में छोड़ा जा सके, ताकि बारिश के मौसम में आस-पास के इलाकों में पानी का बहाव न हो।