नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मेसर्स आशापुरा ग्रुप ऑफ कंपनीज, ग्राम लीर, तालुका भुज, जिला कच्छ, गुजरात को निर्देश दिया कि जिप्सम के भंडारण की वजह से भूजल और मिट्टी दूषित हो रही है, इकाई तीन महीने की अवधि के अंदर इसके निवारण का काम पूरा करें।
इस काम की देखरेख केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) की संयुक्त समिति करेगी। समिति समय-समय पर जांच करेगी और उपचारात्मक उपायों की निगरानी करेगी।
जीपीसीबी ने 28 जुलाई, 2020 की अपनी रिपोर्ट में एनजीटी को 21 जुलाई को किए गए निरीक्षण के आधार पर अनुपालन की स्थिति के बारे में जानकारी दी।
39 स्थानों में से, 26 स्थानों से अपशिष्ट जिप्सम को हटा दिया गया है और शेष 13 स्थानों पर अभी भी अपशिष्ट जिप्सम पड़ा हुआ है। इसके अलावा, 13 स्थानों में से, 2 स्थानों पर इकाई ने गुजरात औद्योगिक और तकनीकी परामर्श संगठन लिमिटेड (जीआईटीसीओ) की सिफारिश के अनुसार वृक्षारोपण शुरू किया है।
इकाई ने 1 जनवरी, 2019 से 21 जुलाई, 2020 के दौरान कचरा निपटाने के तहत और सह-प्रसंस्करण के लिए सीमेंट उद्योगों को 101742 मीट्रिक टन (मीट्रिक टन) जिप्सम का कचरा दिया है। छोड़ी गई खानों को भरने के लिए 42271 मीट्रिक टन अपशिष्ट जिप्सम का उपयोग किया गया।
रिपोर्ट में भूजल प्रदूषण और बहाली की स्थिति का भी उल्लेख किया गया है। अमोनियाकॉल नाइट्रोजन से दूषित भूजल के संबंध में, इकाई ने तटस्थकरण (न्यूट्रलाइजेशन) प्रक्रिया के लिए ताजे चूने का उपयोग किया गया।
पर्यावरण क्षतिपूर्ति के संबंध में, जिला स्तरीय मुआवजा समिति (गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार गठित) ने 31.65 लाख रुपये के मुआवजे का आकलन किया है। मामले को आगे की कार्रवाई के लिए 15 जुलाई, 2020 को भुज, कच्छ के प्रधान जिला न्यायाधीश को भेज दिया गया है।
हालांकि जीपीसीबी ने 18 जून, 2019 को पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में 97,50,000 / रुपये वसूले और आशापुरा ग्रुप ऑफ कंपनीज ने 2 मई, 2019 को 15 लाख रुपये की बैंक गारंटी भी दी गई थी।
उत्तर प्रदेश के आगरा नहर के किनारे, फरीदाबाद के सेक्टर 87 में स्थित मॉडर्न दिल्ली पब्लिक स्कूल के सामने जमा कचरे और सीवेज की सफाई के साथ ही इसके आस-पास के सभी अतिक्रमण हटा दिए गए हैं। यह बात फरीदाबाद के नगर निगम उपायुक्त और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष ग्राम कोट खुर्द, जालंधर के गुरमेल सिंह द्वारा एक याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि गांव के पूरे अपशिष्ट जल को सीधे उनके घर से सटे तालाब में डाला जा रहा है।
पंचायती राज विभाग के अधिकारी ने खुलासा किया कि शिकायतकर्ता के घर के पास का तालाब काफी पुराना है। यह एनजीटी के समक्ष 1 सितंबर को पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया था।
उपर्युक्त तथ्य को ध्यान में रखते हुए, ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग ने ग्राम कोट खुर्द के बाहरी इलाके में स्थित तालाब की क्षमता को बढ़ाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। ताकि गांव के पूरे अपशिष्ट जल को इसमें डाला जा सके और उसका उपचार किया जा सके। गुरमेल सिंह (शिकायतकर्ता) के घर से सटे तालाब में डाले जा रहे अपशिष्ट जल को 3 महीने के अंदर रोक दिया जाएगा।
मृदा और जल संरक्षण विभाग तीन महीने के भीतर गांव के बाहरी इलाके में स्थित एक तालाब के माध्यम से संपूर्ण अपशिष्ट जल के उपयोग के लिए सिंचाई योजना तैयार और कार्यान्वित करेगा। जालंधर के जिला विकास पंचायत अधिकारी (डीडीपीओ) सभी संबंधित विभागों और ग्राम कोट खुर्द के सरपंच के साथ समन्वय स्थापित करेंगे ताकि निर्धारित समय के भीतर कार्यों को अच्छी तरह से पूरा किया जा सके।
सीपीसीबी और जीपीसीबी की संयुक्त समिति को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गुजरात के खीरा जिले में स्थित खारीकट नहर प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है।
नगर आयुक्त को अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करनी चाहिए और समयबद्ध कार्ययोजना तैयार करके तत्काल आगे की सुधारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए, जिसे एक महीने के भीतर जीपीसीबी को प्रस्तुत करना है। इसका निरीक्षण गुजरात के शहरी विकास सचिव के द्वारा किया जाएगा। इस पर जीपीसीबी और गुजरात के शहरी विकास सचिव द्वारा दो महीने के भीतर एक अनुपालन रिपोर्ट को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
एनजीटी के समक्ष विचार के लिए यह मुद्दा खारीकट नहर में खोले गए अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्टों को नियंत्रित करने के लिए उठाए जाने वाले कदम थे, जो खारी नदी की सहायक नदी है।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, उक्त नदी के द्वारा सिंचाई की जाती है और यह जानवरों के पानी पीने का स्रोत है। जीपीसीबी की अनुमति के बिना खोदे गए बोरवेल जल स्तर को प्रभावित कर रहे हैं। अहमदाबाद नगर निगम द्वारा स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से ओवरफ्लो होकर सीवेज नदी में बह रहा था।
जीपीसीबी ने 13 अगस्त की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जब खारीकट नहर की निगरानी जीआईडीसी नरोदा से वत्वा गुजरात इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जीआईडीसी) के बहाव क्षेत्र में 18 फरवरी को की गई थी - यह देखा गया कि अनुपचारित घरेलू अपशिष्ट जल को खारीकट नहर में विभिन्न स्थानों पर छोड़ा जा रहा था।
इसके अलावा, अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) द्वारा अनुपचारित घरेलू अपशिष्ट जल और स्टॉर्म वाटर के बहने के लिए कई आउटलेट बनाए गए हैं।
एनजीटी ने उल्लेख किया कि जल (प्रदूषण और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1974 का गंभीर उल्लंघन हो रहा था। एनजीटी ने कहा, "पीसीबी द्वारा अब तक शुरू की गई कार्रवाई अपर्याप्त है। न तो पर्यावरण को हुए नुकसान का मुआवजा और न ही आकलन किया गया है और न ही अभियोजन शुरू किया गया है।"