केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड में हुए हादसे पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है। यह हादसा 1 जुलाई, 2020 को हुआ था। यह थर्मल पावर स्टेशन - मेसर्स नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल), तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले के नेवेली में स्थित है। इस हादसे में बॉयलर फट गया था, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 17 अन्य घायल हो गए थे।
समिति ने इस दुर्घटना के लिए निम्न कारणों को जिम्मेवार माना है:
रिपोर्ट के अनुसार सुलगने से निपटने के लिए कंपनी ने कोई योजना नहीं तैयार की थी। केवल आग लगने और अन्य दुर्घटना के लिए ही ऑनसाइट आपातकालीन योजना तैयार की गई थी। साथ ही एनएलसी के पास सुलगने और पानी से गैस के निर्माण सम्बन्धी दुर्घटना से निपटने के लिए कोई आपातकालीन योजना नहीं थी।
पिपावर ओपेनकास्ट कोल माइनिंग प्रोजेक्ट में पिछले कई वर्षों से किया जा रहा था पर्यवरण नियमों का उल्लंघन
कोयले की हैंडलिंग और परिवहन के चलते जो कोयले की धूल उड़ती है उससे वायु, जल और मिट्टी दूषित हो रही है। कोयला खनन से जुड़े इस काम के चलते लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। यह पूरा मामला पिपावर ओपेनकास्ट कोल माइनिंग प्रोजेक्ट से जुड़ा है। जो अब कोयले का खनन नहीं कर रही है। लेकिन रिपोर्ट से पता चला है कि यह प्रोजेक्ट पर्यावरण मंजूरी से जुड़ी कई शर्तों को पूरा नहीं कर रहा था। यह सिलसिला पिछले कई वर्षों से चल रहा था।
यह जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित संयुक्त जांच समिति की रिपोर्ट में सामने आई है, जिसे 27 अक्टूबर, 2020 को कोर्ट की साइट पर अपलोड किया गया है। एनजीटी ने इस समिति का गठन पिपावर ओपेनकास्ट कोल माइनिंग प्रोजेक्ट में हो रहे पर्यावरण नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए किया था। यह प्रोजेक्ट सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड का है।
इस रिपोर्ट में समिति ने नीतियों से जुड़े दो मुद्दों पर जोर दिया है:
सिनॉर लाइफ साइंसेज में हुई दुर्घटना के लिए कंपनी के कर्मचारी थे जिम्मेवार: रिपोर्ट
विशाखापत्तनम में सिनॉर लाइफ साइंसेज लिमिटेड में हुए हादसे पर सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट के सामने प्रस्तुत कर दी है। इस रिपोर्ट में हादसे के लिये सिनॉर लाइफ साइंसेज के कर्मचारियों को जिम्मेवार माना है। यह हादसा 29 जून, 2020 को हुआ था। जिसमें दो श्रमिकों की मौत हो गई थी, जबकि चार अन्य घायल हो गए थे।
यह यूनिट जवाहरलाल नेहरू फार्मा सिटी, परवाड़ा, विशाखापत्तनम में स्थित है जोकि दवाओं के लिए जरुरी घटकों (एपीआई) का निर्माण करती है। जिसमें मुख्य रूप से एंटी-अल्सरेटिव और एंटी-एलर्जिक दवाएं शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार स्टेज- III मदर लिकर (एमएल) को रिएक्टर -107 में डाला गया था। जिसमें पहले से ही स्टेज- I एमएल था। स्टेज- III एमएल को होस पाइप को बिना निप्पल के उसमें डाला गया था। जिसे इस दुर्घटना का मुख्य कारण माना गया है।