पर्यावरण मुकदमों की डायरी:दिल्ली हाई कोर्ट ने कोविड-19 की जांच के लिए जारी किया नया निर्देश

देश के विभिन्न अदालतों में विचाराधीन पर्यावरण से संबंधित मामलों में क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें
पर्यावरण मुकदमों की डायरी:दिल्ली हाई कोर्ट ने कोविड-19 की जांच के लिए जारी किया नया निर्देश
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दिल्ली हाई कोर्ट ने  8 सितंबर, 2020 को कोविड-19 की जांच के लिए एक नया निर्देश जारी किया है| इस निर्देश के अनुसार दिल्ली के किसी भी निवासी को जिसे कोरोनावायरस का पता लगाने के लिए रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) जांच अपने खर्च पर करवानी है, उसे इसके लिए किसी डॉक्टर द्वारा दिया नुस्खा प्रस्तुत करना जरुरी है|

इसके लिए उस व्यक्ति को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा जारी फॉर्म को भरना होगा| साथ ही वह दिल्ली का नागरिक है इस बात को प्रमाणित करने के लिए अपना आधार कार्ड भी दिखाना होगा| इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि जांच के लिए दिल्ली के हर जिले में चार वैन उपलब्ध होनी चाहिए| इन वैनों को उपयुक्त स्थानों या फिर प्रमुख डीएमआरसी टर्मिनलों के पास होना चाहिए|

दिल्ली सरकार द्वारा मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के सहयोग से सितंबर माह में सीरो सर्विलैंस-3 आयोजित किया गया था। सीरो सर्विलैंस-3 के परिणाम आज भी आपस में मेल नहीं खा रहे थे| जिसे दिल्ली सरकार द्वारा कोर्ट के सामने प्रस्तुत की जाने वाली स्थिति रिपोर्ट के साथ रिकॉर्ड के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए| जिससे परिक्षण की ताजा स्थिति का पता चल सके|

आयल रिफाइनरियों द्वारा बचे हुए कैटेलिस्ट के गैर वैज्ञानिक तरीके से निपटान के मामले में सीपीसीबी ने प्रस्तुत की रिपोर्ट

सीपीसीबी ने वेस्ट कैटेलिस्ट के निपटान के मामले में एनजीटी के सामने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है| यह रिपोर्ट 8 सितंबर 2020 को कोर्ट के सामने रखी गई है| गौरतलब है कि आयल रिफाइनरियों में जो कैटेलिस्ट इस्तेमाल किया जाता है उसमें निकल, कैडमियम, जस्ता, तांबा, आर्सेनिक, वैनेडियम और कोबाल्ट होते हैं। जिस कारण वो एक हानिकारक वेस्ट कहलाता है|

इस बचे हुए कैटेलिस्ट को 2016 के हानिकारक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 की अनुसूची IV के अंतर्गत हानिकारक कचरे के रूप में वर्गीकृत किया गया है

पोलावरम और उससे विस्थापित होने वाले लोगों के मामले में एनजीटी के सामने दायर की गई याचिका

पोलावरम प्रोजेक्ट के कारण विस्थापित होने वाले सैकड़ों परिवारों के मुद्दे पर डॉ पोंगुलेटि सुधाकर रेड्डी द्वारा एनजीटी के समक्ष याचिका दायर की गईं है| यह याचिका भद्रचलम में बाढ़ के मामले में और उससे सैकड़ों परिवारों के होने वाले विस्थापन के खिलाफ है| साथ ही इस मुद्दे पर 20 फरवरी को कोर्ट द्वारा एक आदेश जारी किया गया था| जिसमें सीपीसीबी, अतिरिक्त पीसीसीएफ, तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला कलेक्टर, खम्मम को लेकर एक कमेटी बनाने का आदेश दिया था|

इस मामले में समिति ने 8 सितंबर को अपनी रिपोर्ट कोर्ट के सामने प्रस्तुत कर दी है| इस रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि पोलावरम परियोजना पूरी होने वाली है| इस परियोजना के चलते वहां जो प्रभाव पड़ेगा उसका और ओडिशा और छत्तीसगढ़ के लोगों पर पड़ने वाले असर का आंकलन कर लिया गया है| हालांकि लोगों के पुनर्वास और तटबंधों के विषय में अभी कार्यवाही नहीं हुई है, लेकिन उसके विषय में योजना बनाई गई थी| इस मामले पर अभी भी ओडिशा और छत्तीसगढ़ सरकारों द्वारा कोई एक विकल्प पर निर्णय नहीं लिया गया है|

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