एनजीटी ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) और पंचकुला के जिला मजिस्ट्रेट को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) की एक रिटेल आउटलेट की स्थापना के मामले में तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इस रिपोर्ट को 22 जनवरी 2021 से पहले प्रस्तुत किया जाना है। गौरतलब है कि यह आउटलेट पिंजौर गार्डन के परिसर में है।
यहां पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 7 जनवरी, 2020 और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 5 फरवरी, 2020 को जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ था। यही वजह है कि कोर्ट ने इसकी विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं|
इस मामले में आवेदक, तरसेम कुमार ने बताया है कि आउटलेट को पार्किंग स्थल से बाहर निर्मित किया गया है, जोकि पिंजौर कालका अर्बन कॉम्प्लेक्स मास्टर प्लान 2030 का भी उल्लंघन है| ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा है कि यदि पेट्रोल पंप दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए पाया गया तो उसे स्थानांतरित कर दिया जाएगा| जिसपर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला मजिस्ट्रेट को सुनिश्चित करना होगा कि दिशानिर्देशों का ठीक से पालन हो रहा है।
राजस्थान सरकार ने सूरसागर झील के संरक्षण के मामले में एनजीटी के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है, जिसमें उसने जानकारी दी है कि वो झील को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है| गौरतलब है कि यह झील राजस्थान के जोधपुर शहर में है| राजस्थान सरकार द्वारा यह रिपोर्ट एनजीटी के 6 फरवरी और 13 जुलाई, 2020 को दिए आदेश पर जारी की गई है| जिसे एनजीटी की वेबसाइट पर 1 अक्टूबर 2020 को अपलोड किया गया है| यह रिपोर्ट झील के मानचित्रण से जुड़े सर्वेक्षण और इसकी सीमा निर्धारण से भी सम्बंधित है|
रिपोर्ट में एनजीटी को सूचित किया गया है कि राजस्थान झील (संरक्षण और विकास) प्राधिकरण अधिनियम, 2015 की धारा 4 द्वारा मिली शक्तियों केआधार पर राजस्थान सरकार ने 10 अगस्त, 2020 को एक अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना में इस झील के क्षेत्रफल के साथ-साथ इसकी भौगोलिक सीमा और उसके आसपास के क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है| यह क्षेत्र तहसील और जिला जोधपुर के बगान गांव के आसपास स्थित है|
29 सितंबर 2020 को गुजरात के दाहोद औद्योगिक क्षेत्र में चल रहे कुछ उद्योगों द्वारा ईंधन के रूप में लकड़ी के उपयोग का मामला एनजीटी में उठाया गया था। जानकारी मिली है कि इसके कारण आसपास के इलाकों में कार्बन प्रदूषण बढ़ रहा है।
इस मामले में गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी माना है कि यहां पर्यावरण नियमों का उल्लंघन हुआ था| इस बाबत 16 जुलाई, 2020 को जारी रिपोर्ट में मुआवजे के आकलन सहित प्रदूषण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया गया है| हालांकि मुआवजे की अब तक वसूली नहीं हुई है, क्योंकि इस मामले में अभी सम्बंधित इकाइयों पर सुनवाई होनी बाकी है| जिसे उच्च न्यायालय के एक आदेश पर दो महीनों के भीतर किया जाना है| एनजीटी ने निर्देश दिया है इस मामले में पर्यावरण मानदंडों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाए।
अजमेर के जिला मजिस्ट्रेट ने 23 जुलाई, 2020 को गोंडावल झील संरक्षण के मामले में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है| इस रिपोर्ट के अनुसार झील संरक्षण के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं। यह रिपोर्ट झील पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर एनजीटी में दायर एक अर्जी के जवाब में प्रस्तुत की गई है|
इस अर्जी के अनुसार अतिक्रमण के चलते मदनगंज किशनगंज में झील संकरी हो गई है| रिपोर्ट में कहा गया है कि झील संरक्षण के लिए मास्टर प्लान को ध्यान में रखकर जरुरी कदम उठाए गए हैं। आगे भी झील के संरक्षण के लिए जो जरुरी होंगे वो कदम उठाए जाएंगे।