नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है किसी भी तरह के दूषित जल को कटहल नाले में न छोड़ा जाए। बता दें कि कटहल नाला बारिश के पानी के लिए बनाया गया है, जो बलिया जिले में है। यह नाला गंगा नदी से भी जुड़ता है। एनजीटी ने 13 सितंबर, 2023 दिए निर्देश में कहा है कि साफ करने के बाद इस गंदे पाने को गंगा में छोड़ने के बजाय इसके उपयोग के अन्य उपाय किए जाने चाहिए।
इस मामले में एनजीटी ने नौ फरवरी, 2023 को जारी संयुक्त समिति की एक रिपोर्ट का भी जिक्र किया है। रिपोर्ट के मुताबिक गंगा में हर दिन करीब दो करोड़ लीटर दूषित सीवेज छोड़ा जाता है। इतना ही नहीं छह अलग-अलग स्थानों पर नदी को साफ करने के प्रयास कितने कारगर रहे हैं इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं है।
संयुक्त समिति ने प्रशासन की विफलता, के साथ सार्वजनिक धन की बर्बादी और गंगा को होते नुकसान को न रोकने के लिए दोषी अधिकारियों को जिम्मेवार न ठहराने पर नाराजगी जताई है।
मामले में शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने अदालत को जानकारी दी है कि सात हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस एसटीपी का निर्माण 15 नवंबर, 2023 से शुरू होगा। हालांकि इसे पूरा होने में 18 महीने लगेंगे, उन्होंने यह भी वादा किया है इस काम को बहुत जल्द पूरा कर लिया जाएगा।
इसके अलावा उन्होंने अदालत को यह भी आश्वासन दिया कि वे एक हलफनामे के माध्यम से ठोस कचरे के प्रबंधन, पुराने कचरे से निपटने और सीवेज प्रबंधन के लिए एक पूरी समयरेखा प्रदान करेंगे। उन्होंने इस समय-सीमा का पालन सुनिश्चित करने की व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेवारी ली है।
एनजीटी ने उस कार्रवाई रिपोर्ट पर भी गौर किया है, जिसमें सुरहाताल पक्षी अभयारण्य के पास एक लैंडफिल जोन होने की बात कही गई थी।
प्रमुख सचिव ने आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे की जांच करेंगे। उन्होंने यह भी देखने का वादा किया है कि क्या लैंडफिल को पक्षी अभयारण्य से दूर ले जाया जाना संभव है। इसके बाद वह इस बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत कराएंगे। अदालत ने इन कार्यों को पूरा करने की समयसीमा के साथ एक हलफनामा मांगा है, जैसा कि प्रमुख सचिव ने वादा किया था, कोर्ट ने इस हलफनामे को दो सप्ताह के भीतर जमा करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई तीन अक्टूबर, 2023 को होगी।
लखनऊ में सई नदी को दूषित कर रहा घरेलू सीवेज, एनजीटी ने तत्काल कार्रवाई का दिया निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश शहरी विकास विभाग के सचिव और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को ड्रीम ग्रीन सिटी परियोजना के चरण I और II के सेप्टिक टैंकों से नालियों के जरिए सई नदी में डाले जा रहे सीवेज को तुरंत रोकने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया है।
इस मामले में एनजीटी ने 13 सितंबर 2023 को कहा है कि संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट स्पष्ट रूप से यूपीपीसीबी के ढुलमुल रवैये को उजागर करती है और दिखाती है कि ट्रिब्यूनल के आदेश को लागू कराने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं।
रिपोर्ट यह भी दिखाती है कि यूपीपीसीबी ने ट्रिब्यूनल के आदेशों को लागू करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए हैं। न ही उन्होंने परियोजना प्रस्तावक द्वारा पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघनों को नियंत्रित करने के लिए कोई प्रभावी कार्रवाई की है।
कोर्ट ने इस मामले में आठ सप्ताह के भीतर यूपीपीसीबी से नई कार्रवाई रिपोर्ट सबमिट करने को भी कहा है।
गौरतलब है कि 24 अप्रैल, 2023 को एक संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि परियोजना जल अधिनियम 1974 और वायु अधिनियम, 1981 के तहत आवश्यक सहमति के बिना स्थापित की जा रही थी। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के वकील ने भी स्वीकार किया है कि निर्माण परियोजना पर अभी भी काम चल रहा है, जबकि अदालत ने 26 अप्रैल, 2023 को निर्देश दिया था कि अगले आदेश तक कोई और निर्माण नहीं होने चाहिए।
एनजीटी की जांच के दायरे में कुल्लू का वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 14 सितंबर 2023 मनाली नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी को निर्देश दिया है कि वो सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट द्वारा ठोस कचरे की अवैध डंपिंग के संबंध में एक नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे। मामला कुल्लू की मनाली तहसील में रंगड़ी गांव के शालेन पंचायत क्षेत्र का है।
कोर्ट ने नगर परिषद को यह भी कहा है कि यदि सेवा प्रदाता नियमों का ठीक से पालन नहीं कर रहे हैं तो उनके खिलाफ की गई कार्रवाई पर वो एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। अदालत ने संयुक्त निरीक्षण समिति की रिपोर्ट पर नाखुशी व्यक्त करते हुए कहा है कि दी गई जानकारी स्पष्ट नहीं है।