नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 13 कंपनियों पर 7 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना लगाया है जो गिर सोमनाथ और जूनागढ़ में बिना वैध पर्यावरण मंजूरी के खनन कर रही थी। पता चला है कि यह कंपनियां चूना पत्थर खनन में लगी हुई थी।
इस बारे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 14 नवंबर, 2022 को आदेश जारी किया है। पता चला है कि इनमें से तीन कंपनियों सोमनाथ हाइड्रेटेड लाइम एंड केमिकल्स इंडस्ट्रीज (गिर सोमनाथ), मैसर्स धीरजलाल पंचभाई वछानी (गिर सोमनाथ) और मेसर्स नूर महमद कालूभाई पटानी को इस जुर्माने के 41 फीसदी से ज्यादा हिस्से का भुगतान करना है।
वहीं अकेले सोमनाथ हाइड्रेटेड लाइम एंड केमिकल्स इंडस्ट्रीज (गिर सोमनाथ) पर करीब 1.26 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि जुर्माने की यह राशि अगले दो महीनों के भीतर गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा करानी है। इसका उपयोग गुजरात में पर्यावरण की बहाली के लिए किया जाएगा।
गौरतलब है कि गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खान एवं उद्योग विभाग से परामर्श करके उस क्षेत्र में पर्यावरण सुधार के लिए उक्त राशि के उपयोग पर एक महीने के भीतर योजना तैयार करेगा, जहां ये खदानें चल रही थीं।
इसके बाद, गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हितधारकों से उनके सुझाव लेकर दो सप्ताह में उक्त पर्यावरण सुधार योजना को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा और उसके दो सप्ताह के भीतर इसे अंतिम रूप देगा।
इस तरह तैयार की गई योजना को छह महीनों के भीतर क्रियान्वित किया जाएगा और गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर रिपोर्ट अपलोड की जाएगी। यह आदेश 14 नवंबर 2022 को एनजीटी पश्चिमी क्षेत्र के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की बेंच द्वारा पारित किया गया है।
नियमों के दायरे में किया गया है कोरबा में एल्युमीनियम स्मेल्टर प्लांट का विस्तार: एनजीटी
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) ने कोरबा में एल्युमीनियम स्मेल्टर प्लांट के विस्तार के लिए उचित विशेषज्ञ मूल्यांकन किया था। मामला छत्तीसगढ़ के कोरबा में रिसदा गांव का है।
गौरतलब है कि इस मामले तरुण राठौर ने 22 अप्रैल, 2022 को एनजीटी की सेंट्रल जोन बेंच के समक्ष एक याचिका दायर की थी। यह याचिका पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा मैसर्स भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) को उसके एल्युमीनियम स्मेल्टर प्लांट के विस्तार के लिए दी गई पर्यावरणीय मंजूरी के खिलाफ थी।
इस प्लांट की क्षमता में 5.75 एलटीपीए से 10.85 एलटीपीए का विस्तार करना था। अपीलकर्ता का तर्क है कि इसके पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का आंकलन करते समय कई कारकों पर ध्यान नहीं दिया गया था। साथ ही विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति के सामने गलत और भ्रामक आंकड़े प्रस्तुत करके बाल्को ने पर्यावरण मंजूरी प्राप्त की थी।
जानिए ट्राइडेंट फैक्ट्री पर पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट में क्या कुछ आया सामने
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मेसर्स ट्राइडेंट फैक्ट्री, बरनाला के मामले पर एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एसपीसीबी ने कंपनी के पेपर और केमिकल डिवीजन का दौरा किया था और पाया कि एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट और एड-ऑन वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरण (एपीसीडी) काम कर रहा था। मामला पंजाब के बरनाला में मानसा रोड, धनौला का है।
रिपोर्ट में कहा है कि धनौला नाले की ओर जाने वाली इकाई के आउटलेट पर अपशिष्ट जल का कोई प्रवाह नहीं देखा गया है। लेकिन उद्योग ने अब तक उपचारित अपशिष्ट के निर्वहन के लिए धनौला नाले में पहले से उपलब्ध कराए गए आउटलेट को सीमेंट कंक्रीट से प्लग नहीं किया है।
रिपोर्ट के अनुसार विजिट के दौरान, यह देखा गया कि पूरे उपचारित अपशिष्ट को वृक्षारोपण के लिए उपयोग किया जा रहा है। उद्योग ने अपने परिसर के बाहर शोधित अपशिष्ट जल के उपयोग के लिए विकसित मौजूदा 165 एकड़ भूमि क्षेत्र के अलावा 23 एकड़ अतिरिक्त भूमि को विकसित किया है और इसपर प्लांटेशन के लिए पीसीडी डिवीजन के उपचारित अपशिष्ट के निर्वहन के लिए पहले ही पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है।
गौरतलब है कि नेशनल एंटी करप्शन काउंसिल के अध्यक्ष बेअंत सिंह बाजवा ने ट्राइडेंट फैक्ट्री द्वारा पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के खिलाफ एनजीटी के समक्ष एक आवेदन दायर किया था। एनजीटी ने 8 फरवरी, 2022 को 'पॉल्युटर पेज प्रिंसिपल' के तहत पांच करोड़ रुपए के भुगतान का निर्देश दिया था। इस राशि का उपयोग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तैयार की जाने वाली कार्य योजना के अनुसार क्षेत्र में पर्यावरण सुधार के लिए किया जाना था।