मद्रास उच्च न्यायालय ने दिए बकिंघम नहर से अतिक्रमण हटाने और उसकी बहाली के निर्देश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
मद्रास उच्च न्यायालय ने दिए बकिंघम नहर से अतिक्रमण हटाने और उसकी बहाली के निर्देश
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मद्रास उच्च न्यायालय ने चेन्नई लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन संगठन, अरनियारू स्टॉर्म वाटर ड्रेन डिवीजन को छह महीने के अंदर बकिंघम नहर की सीमा का सीमांकन पूरा करने का निर्देश दिया है। इस आदेश को मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति एन माला की पीठ ने 12 सितंबर, 2022 को पारित किया है।

इस बारे में मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि, “सीमा का सीमांकन नहर की मूल लंबाई और चौड़ाई के संदर्भ में किया जाना चाहिए, जैसा कि मूल अभिलेखों में पाया गया है।“ साथ ही कोर्ट ने नहर को उसकी मूल सीमाओं में बहाल करने की भी बात कही है। कहा गया है कि सीमांकन पूरा होने के एक वर्ष के भीतर इस नहर से अतिक्रमण पूरी तरह हट जाना चाहिए।

कोर्ट का कहना है कि अतिक्रमण हटने के बाद, अतिक्रमण से नहर की रक्षा और रखरखाव का जिम्मा भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का होगा। इसमें तमिलनाडु सरकार आवश्यक सहायता प्रदान करेगी। गौरतलब है कि मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (एमआरटीएस), फ्लाईओवर और पुलों के लिए लगाए गए खम्बों को छोड़कर बकिंघम नहर पर मौजूद सभी संरचनाओं को आदेश के एक वर्ष के भीतर हटाना है जिसे नहर में नावों का आवागमन हो सके।

पूरा मामला कस्तूरीभा नगर व इंदिरा नगर खंड के कैनाल बैंक रोड बढ़ते अतिक्रमण से जुड़ा है। इस बारे में याचिकाकर्ता (कस्तूरभा और इंदिरा नगर रेजिडेंट्स वेलफेयर फोरम) का कहना है कि इन अवैध अतिक्रमणों में झुग्गी-झोपड़ी के साथ-साथ आवासीय और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए बनाए गए कंक्रीट और अर्ध-कंक्रीट के ढांचे शामिल हैं।

इस बारे में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि कैनाल बैंक रोड पर अवैध अतिक्रमण से बहुत सारा कचरा पैदा होता है, जिसे बकिंघम नहर में फेंक दिया जाता है। इसकी वजह से नहर तूफान के समय जल निकासी के रूप में काम नहीं कर सकती है।

गुवाहाटी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर एनजीटी ने जारी किए नोटिस

गुवाहाटी शहर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता और उसके स्वास्थ्य पर पड़ते बुरे प्रभावों को लेकर एक आवेदन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष दायर किया गया है। इस मामले में एनजीटी ने कहा है कि गुवाहाटी शहर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मुद्दे और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर विचार करने की जरुरत है।

ऐसे में कोर्ट ने गुवाहाटी नगर निगम, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और असम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किया है। इस मामले में सम्बंधित अधिकारियों को अगले चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि इस मुद्दे पर आवेदक हिमांशु नाथ ने कहा था कि गुवाहाटी शहर उत्तर-पूर्वी भारत के सबसे दूषित शहरों में से एक है और इसका वायु गुणवत्ता सूचकांक, 13 मार्च, 2022 को 310 तक पहुंच गया था। वहीं 15 मार्च, 2022 को यह 308 दर्ज किया गया था।

हुगली में जलस्रोतों पर होते अतिक्रमण की जांच के लिए एनजीटी ने दिए समिति गठित करने के निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 12 सितंबर 2022 को हुगली में जलस्रोतों पर होते अतिक्रमण की जांच के लिए समिति बनाने के निर्देश दिए हैं। मामला हुगली में उत्तरपारा कोटरुंग नगर पालिका का है। 

कोर्ट के निर्देशानुसार समिति विचाराधीन स्थल का दौरा करेगी और उसके बाद तालाब अथवा जल निकाय की प्रकृति और स्थिति के बारे में चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करेगी। साथ ही समिति भूमि रिकॉर्ड और क्षेत्र के आधार पर उस तालाब के कुल क्षेत्रफल का आकलन भी करेगी, जिसपर अतिक्रमण किया गया है।

साथ ही इस मामले में कोर्ट ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तालाब/जल निकाय की जल विश्लेषण रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। इसके अलावा समिति तालाब को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने के लिए उपचारात्मक उपायों को लेकर अपने सुझाव भी कोर्ट के सामने रखेगी।

ढेंकनाल में होते अवैध खनन पर तीन सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करें अधिकारी: एनजीटी

ओडिशा के ढेंकनाल में होते अवैध खनन के मामले में एनजीटी ने अधिकारियों को तीन सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपने का निर्देश दिया है। मामला ओडिशा में ढेंकनाल जिले की हिंडोल तहसील के गंडानाली मौजा का है। जहां अवैध रूप से काले पत्थर का खनन किया जा रहा था। 

इस मामले में एनजीटी ने ढेंकनाल के जिला कलेक्टर, संभागीय वन अधिकारी, ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), उप मुख्य विस्फोटक नियंत्रक और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

इस मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर 2022 को होगी। पूरा मामला ढेंकनाल की हिंडोल तहसील के गंदनाली मौजे में हो रहे काले पत्थर के अवैध खनन से जुड़ा है। इस बारे में याचिकाकर्ता ने कोर्ट को जानकारी दी है कि खदान संचालक के पास संचालन के लिए वैध सहमति नहीं है।

इसके बावजूद वहां खान पर विस्फोटकों और भारी जेसीबी मशीनों के साथ-साथ 50 डंपरों का भी उपयोग की जा रहा है, जो सम्बंधित खदान से पत्थरों को ले जाने का काम कर रहे हैं।

साथ ही उन्होंने कोर्ट को बताया है कि खदान संचालक पर्यावरण मंजूरी के बिना ही इस खान का संचालन कर रहा है। इतना ही नहीं ग्राम्या जंगल वन भूमि में बिना पूर्व अनुमति के ही रोड़ के निर्माण के लिए पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया है।  

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