कोठारी नदी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने में भीलवाड़ा नगरपालिका ने जताई असमर्थता, एनजीटी ने लगाया जुर्माना

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कोठारी नदी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने में विफल रहने पर भीलवाड़ा नगरपालिका परिषद पर नाराजगी जताते हुए भारी जुर्माना लगाने का निर्देश दिया है
कोठारी नदी में बहता दूषित पानी: फोटो: नन्द किशोर जांगिड़/यूट्यूब
कोठारी नदी में बहता दूषित पानी: फोटो: नन्द किशोर जांगिड़/यूट्यूब
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कोठारी नदी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने में विफल रहने पर भीलवाड़ा नगरपालिका परिषद पर नाराजगी जताते हुए भारी जुर्माना लगाने का निर्देश दिया है। ट्रिब्यूनल का कहना है कि नगरपालिका ने जो दलील दी है वो अत्यंत दुखद है। गौरतलब है कि भीलवाड़ा म्युनिसिपल कॉउंसिल ने नदी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने में असमर्थता जाहिर की थी।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भीलवाड़ा नगरपालिका परिषद से पर्यावरणीय मुआवजा वसूलने का निर्देश दिया है। मामला कोठारी नदी में बढ़ते प्रदूषण से जुड़ा है, जिसे दूर करने में नगरपालिका विफल रही थी।

ट्रिब्यूनल ने 15 मार्च, 2023 को राज्य सरकार के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुआ कहा कि भले ही परियोजनाओं के लिए 400 करोड़ रुपये दिए हों, लेकिन इन परियोजनाओं में दो साल से अधिक की देरी हुई है, जो निराशाजनक है।

ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत रूप से इन मुद्दों की निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि बजट का उचित उपयोग हो और निर्माणाधीन परियोजनाओं को सही समय पर पूरा किया जाए।

प्रमुख सचिव को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि जल स्रोतों में दूषित पानी न डाला जाए और ठोस अपशिष्ट का निपटान नियमों के अनुसार होना चाहिए। साथ ही पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने के मामले में, "गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।"

इस मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल, 2023 को होगी। इससे पहले भीलवाड़ा  नगर परिषद और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आगे की कार्रवाई और मामले में हुई प्रगति पर रिपोर्ट सबमिट करने के लिए कहा गया है।

मामले में एनजीटी, भोपाल के न्यायमूर्ति श्यो कुमार सिंह की पीठ का कहना है कि "नगर परिषद द्वारा दायर की गई प्रतिक्रियाएं दुखद हैं, इसमें नगरपालिका ने नदी प्रदूषण को रोकने में अपनी असमर्थता जाहिर की है। साथ ही जिस तरह से राजस्व संग्रह करने का मूल कार्य भी अन्य एजेंसियों को दिया गया है वो सही नहीं है।

जहरीला हो चुका है आसपास के गांवो में पानी

वहीं राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील का कहना है कि भीलवाड़ा नगरपालिका परिषद के अधिकारियों को "सीवेज और दूषित जल के उपचार के साथ ठोस कचरे के निपटान के लिए जरूरी कार्रवाई करने के लिए कई बार याद दिलाया गया था लेकिन इसके बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई है।"

वहीं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खुलासा किया है कि नगर परिषद पर 31 अक्टूबर, 2021 की अवधि तक 2.4 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। जबकि नवंबर, 2021 से जून, 2022 की अवधि के लिए परिषद पर 111.45 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। इस बाबत 12 दिसंबर, 2022 को नगर परिषद, भीलवाड़ा को नोटिस भेजा गए था लेकिन उसने इस नोटिस का भी जवाब नहीं दिया है। अदालत को जानकारी दी गई है कि जून 2022 के बाद के पर्यावरणीय मुआवजे का मूल्यांकन एसपीसीबी के समक्ष विचाराधीन है।

गौरतलब है कि इस मामले में 13 जनवरी, 2022 को बाबूलाल जाजू ने एनजीटी के समक्ष एक आवेदन दायर किया था। इसमें उन्होंने जानकारी दी थी कि राजस्थान के भीलवाड़ा के आसपास मौजूद विभिन्न कपड़ा उद्योगों के साथ-साथ अन्य भारी उद्योगों की उपस्थिति के कारण गंभीर रूप से दूषित जल क्षेत्र में आता है।

वहीं स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग द्वारा 2004 में किए एक अध्ययन में पाया गया कि कोठारी नदी के पास के गांवों में मौजूद अधिकांश कुओं का पानी जहरीला हो गया है। कोठारी नदी जो कि औद्योगिक क्षेत्र के बगल में बहती है उसमें भी क्रोमियम, सीसा, लोहा, जस्ता और सोडियम का स्तर भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तय मानकों से ऊपर पाया गया था।

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