सहरसा में 53 अंक बढ़कर 421 पर पहुंचा एक्यूआई, विजयपुरा से 11 गुणा ज्यादा रहा प्रदूषण

सहरसा में प्रदूषण की स्थिति यह है कि वहां हालत गैस चैम्बर जैसे बन गए हैं। इसी तरह देश के 26 अन्य शहरों में भी स्थिति जानलेवा बनी हुई है
सहरसा में 53 अंक बढ़कर 421 पर पहुंचा एक्यूआई, विजयपुरा से 11 गुणा ज्यादा रहा प्रदूषण
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दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों को पीछे छोड़ सहरसा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 53 अंक बढ़कर 421 पर पहुंच गया है। सहरसा में प्रदूषण की स्थिति यह है कि वहां हालत गैस चैम्बर जैसे बन गए हैं। इसी तरह देश के 26 अन्य शहरों में भी स्थिति जानलेवा बनी हुई है।

इन शहरों में अंगुल (348), आरा (336), आसनसोल (323), औरंगाबाद (बिहार) (348), बल्लभगढ़ (322), भागलपुर (399), बिहारशरीफ (312), बीकानेर (325), बर्नीहाट (341), चंडीगढ़ (339), छपरा (356), धौलपुर (366), ग्वालियर (313), हनुमानगढ़ (309), करौली (356), किशनगंज (356), मंडी गोबिंदगढ़ (341), पटना (343), पूर्णिया (338), राजगीर (360), समस्तीपुर (342), श्रीगंगानगर (392) आदि शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है।

इसी तरह देश के छोटे-बड़े 59 अन्य शहरों में भी हालात दमघोंटू बने हुए हैं। वहीं यदि उस शहर की बात करें जहां प्रदूषण का स्तर सबसे कम है तो इस मामले में विजयपुरा की स्थिति सबसे बेहतर है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 39 दर्ज किया गया है। हालांकि देश के ज्यादातर शहरों में वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं है। कुछ शहरों में तो प्रदूषण का आलम यह है कि वहां चल रही हवा लोगों को बहुत ज्यादा बीमार करने के लिए काफी है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 30 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 245 में से महज आठ शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 51 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 100 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

जींद-क्योंझर सहित 59 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि अगरतला-बहादुरगढ़ सहित 26 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। वहीं सहरसा में प्रदूषण का स्तर बढ़कर गंभीर हो गया है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स एक अंक बढ़कर 357 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 298, गाजियाबाद में 317, गुरुग्राम में 247, नोएडा में 336, ग्रेटर नोएडा में 358 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 114 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 244, चेन्नई में 122, चंडीगढ़ में 339, हैदराबाद में 97, जयपुर में 218 और पटना में 343 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन आठ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बागलकोट 50, चामराजनगर 46, गंगटोक 40, कडपा 49, कोरबा 50, मदिकेरी 40, उडुपी 49 और विजयपुरा 39 शामिल रहे।

वहीं आइजोल, अनंतपुर, अरियालूर, बेलगाम, बेंगलुरु, बीदर, बिलासपुर, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कुड्डालोर, दावनगेरे, एलूर, गडग, हसन, हावेरी, हुबली, हैदराबाद, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, कोलार, महाड, मैहर, मंगलौर, मिलुपारा, मैसूर, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, रायपुर, रामानगर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सलेम, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, सूरत, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, तिरुपुर, वाराणसी, वातवा, वेल्लोर, वृंदावन आदि 51 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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