बंगाल की खाड़ी में एक के बाद एक चक्रवातों का खतरा, विशेषज्ञों ने तेजी से बढ़ने की जताई आशंका

आशंका है कि 14 नवंबर को बनने वाला कम दबाव का क्षेत्र अगले दिन डिप्रेशन में बदल जाएगा और तेजी से शक्तिशाली होता जाएगा
Image: Windy.com
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बंगाल की खाड़ी में एक के बाद एक कम दबाव के दो क्षेत्र बन सकते हैं, जो आगे चलकर चक्रवात में तब्दील हो सकते हैं। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि इनमें से एक भीषण चक्रवात का रूप ले सकता है।

इस बारे में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक कम दबाव का यह पहला क्षेत्र 14 नवंबर को बनेगा। इसके लिए दक्षिण अंडमान सागर के ऊपरी वातावरण में बना हवा का चक्रवाती प्रसार जिम्मेवार है। आईएमडी के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रणाली 16 नवंबर तक कहीं ज्यादा शक्तिशाली होकर ‘डिप्रेशन’ में तब्दील हो सकती है।

मौसम विज्ञानियों ने देखा है कि बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों के ऊपर हवा का एक और चक्रवाती प्रसार बन रहा है। दक्षिण कोरिया की जेजू नेशनल यूनिवर्सिटी के टाइफून रिसर्च सेंटर के शोध वैज्ञानिक विनीत कुमार सिंह के मुताबिक इससे कम दबाव का क्षेत्र बन सकता है।

ऐसे में यदि एक ही समय में दूसरा निम्न दबाव क्षेत्र बनता है, तो यह पहले वाले के साथ परस्पर क्रिया कर सकता है। गौरतलब है कि जब ऐसा होता है, तो उसे फुजिवारा प्रभाव कहा जाता है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए), अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस (एनडब्ल्यूएस) के मुताबिक जब समुद्र में दो बड़े तूफान जैसे स्टॉर्म, चक्रवात, हरिकेन या टाइफून एक ही क्षेत्र में बनने के साथ एक ही दिशा में घूमते और एक-दूसरे के करीब आते हैं, तो वे एक केंद्र बिंदु के चारों ओर एक प्रकार का तीव्र नृत्य करना शुरू कर देते हैं।

ऐसे में यदि उनमें से एक तूफान दूसरे से ज्यादा तेज और बड़ा होता है तो छोटा तूफान बड़े तूफान के चारों ओर चक्कर लगाता रहेगा और अंत में उसके केंद्र में खिंचकर समा जाएगा। 

वहीं अमेरिकी नेशनल वेदर सर्विस के मुताबिक जब दो तूफान एक बराबर शक्तिशाली होते हैं तो वे तब तक एक-दूसरे के करीब खिंचे आ सकते हैं जब तक वे मिलते नहीं या एक साथ जुड़ नहीं जाते। इसके अलावा वे अपने अलग-अलग रास्ते पर जाने से पहले बस थोड़ी देर के लिए एक-दूसरे के चारों ओर घूम सकते हैं। कभी-कभी, दुर्लभ मामलों में, यदि तूफान एक साथ आते हैं, तो वे दो छोटे तूफान के रूप में रहने के बजाय मिलकर एक बड़ा तूफान बना सकते हैं।

फुजिवारा प्रभाव के तहत परस्पर क्रिया की सम्भावना ज्यादा नहीं

सिंह ने डाउन टू अर्थ को बताया कि, "दूसरा कम दबाव का क्षेत्र संभवतः पहले वाले के गायब होने के बाद बनेगा। ऐसे में फुजिवारा प्रभाव के तहत उनके परस्पर क्रिया करने की संभावना ज्यादा नहीं है।" हालांकि सिंह के मुताबिक, दोनों कम दबाव के क्षेत्र चक्रवात में तब्दील हो सकते हैं और आशंका है कि पहले वाला गंभीर चक्रवात का रूप ले सकता है।

सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि 14 नवंबर को बनने वाला कम दबाव का क्षेत्र कल एक डिप्रेशन में बदल जाएगा। जो तेजी से मजबूत यानी आरआई में बदल जाएगा। यह तब होता है जब एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात 24 घंटों में ही 56 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे अधिक की हवा की गति प्राप्त कर लेता है। इससे मौसम एजेंसियों के लिए यह अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है कि चक्रवात कहां जाएगा और कितना शक्तिशाली होगा।

हाल के कई उष्णकटिबंधीय चक्रवात तेजी से मजबूत हुए हैं, और इसका मुख्य कारण यह है कि समुद्र की सतह और उपसतह का तापमान सामान्य से अधिक गर्म है। उदाहरण के लिए, फरवरी से मार्च 2023 में, चक्रवात फ्रेडी अपने जीवनकाल के दौरान तेजी से शक्तिशाली यानी आरआई के सात चरणों से गुजरने वाला पहला उष्णकटिबंधीय चक्रवात बन गया था।

इस चक्रवात की उत्पत्ति ऑस्ट्रेलिया के पास हुई और यह मेडागास्कर, मलावी और मोजाम्बिक को तबाह करने के लिए पूरे दक्षिणी हिंद महासागर में फैल गया था। जून 2023 में अरब सागर में आए चक्रवात बिपरजॉय के समय में भी ऐसा ही देखने को मिला था जब यह चक्रवात तेजी से शक्तिशाली हो गया था।

हालांकि फुजिवारा प्रभाव तत्काल चिंता का विषय नहीं है, लेकिन तेजी से शक्तिशाली होने के साथ एक के बाद एक आने वाले चक्रवात भारतीय तटरेखाओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

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