
"केरल के पहाड़ी जिलों में भूस्खलन की घटनाओं को पूरी तरह रोकना व्यावहारिक नहीं है," हालांकि, राज्य ने इसके जोखिम को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह बात 11 अगस्त 2025 को केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) के अपर सचिव द्वारा पेश रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए राज्य स्तरीय संकट प्रबंधन समूह का गठन किया गया है।
इसके साथ ही सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्टडीज द्वारा 2010 में तैयार किए गए भूस्खलन जोखिम संवेदनशीलता मानचित्र के आधार पर गांव स्तर पर खतरे की संवेदनशीलता तय की गई है। यह जानकारी 'हैजर्ड ससेप्टिबिलिटी असेसमेंट केरल 2014' नाम से एक एटलस के रूप में प्रकाशित की गई है।
राज्य सरकार ने 2015 में ऑरेंज बुक ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट का पहला वॉल्यूम प्रकाशित किया, जिसमें भूस्खलन से निपटने की विशेष कार्यप्रणाली (एसओपी) और आपातकालीन सहायता योजनाएं शामिल की गई हैं। गौरतलब है कि इस किताब को हर साल अपडेट किया जाता है और इसका नवीनतम संस्करण 2024 में जारी किया गया था। यह भी राज्य द्वारा भूस्खलन के जोखिम को कम करने के लिए उठाए गए कदमों में से एक है।
पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र और खनन पर रोक
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) ही पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) घोषित करने का अधिकार रखता है।
पश्चिमी घाट पर उच्चस्तरीय कार्यदल की रिपोर्ट के अनुसार, केरल के 123 गांवों को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ईएसए) घोषित किया गया है। मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को सैद्धांतिक रूप में स्वीकार करते हुए 31 जुलाई 2024 को छठा ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया।
इस नोटिफिकेशन में 131 गांव (नए विभाजन के कारण 8 नए गांव शामिल हैं) और कुल 9,993.7 वर्ग किमी क्षेत्र को ईएसए के रूप में चिह्नित किया है। हालांकि इस बारे में अभी अंतिम अधिसूचना जारी नहीं हुई है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ईको-सेंसिटिव क्षेत्रों में खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है। विशेष रूप से, केरल राज्य जैव विविधता बोर्ड की वेबसाइट पर प्रकाशित नक्शों में चिह्नित संवेदनशील क्षेत्रों (ईएसए) में विस्फोटक की मदद से खनन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा तय किए गए भूस्खलन के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में पत्थर खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
मध्यम जोखिम वाले क्षेत्रों में खनन के लिए जिला आपदा प्रबंधन समूह से एनओसी लेना अनिवार्य है। यह समूह 2014 में राज्य सरकार द्वारा गठित किया गया था।
इसके अलावा, 2010 के बाद से केरल में किसी भी थर्मल पावर प्लांट के निर्माण या विस्तार की अनुमति नहीं दी गई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्रों (ईएसए) में 20,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले ऊंची इमारतों और कंक्रीट संरचनाओं के निर्माण पर प्रतिबंध है। राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण ने वायनाड जिले के संवेदनशील क्षेत्रों में ऐसे किसी भी निर्माण के लिए पर्यावरण मंजूरी नहीं दी है।