

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सुखनाग नदी में अवैध खनन से हुए नुकसान की जांच के लिए संयुक्त समिति को चार सप्ताह का समय दिया है।
जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में हो रहे इस खनन से नदी की पारिस्थितिकी पर बुरा असर पड़ रहा है। समिति को निर्देश दिया गया है कि वे बिना पक्षपात के सही आकलन करें और जिम्मेदार लोगों की पहचान करें।
याचिकाकर्ता, राजा मुजफ्फर भट का कहना है कि इलाके में बड़े पैमाने में नदी तल पर खनन हो रहा है और इसके लिए धड़ल्ले से जेसीबी मशीनों और क्रेनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे सुखनाग नदी की पारिस्थितिकी पर बुरा असर पड़ रहा है और प्राकृतिक बहाव प्रभावित हो रहा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 9 दिसंबर 2025 को सुखनाग नदी में अवैध और असंगत रिवरबेड माइनिंग से हुए नुकसान पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए संयुक्त समिति को अतिरिक्त समय दिया है। मामला जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले का है। इस मामले में अगली सुनवाई 26 फरवरी 2026 को होगी।
याचिकाकर्ता, राजा मुजफ्फर भट का कहना है कि इलाके में बड़े पैमाने में नदी तल पर खनन हो रहा है और इसके लिए धड़ल्ले से जेसीबी मशीनों और क्रेनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे सुखनाग नदी की पारिस्थितिकी पर बुरा असर पड़ रहा है और प्राकृतिक बहाव प्रभावित हो रहा है।
24 सितंबर 2025 की सुनवाई में ट्रिब्यूनल को बताया गया कि नुकसान का आकलन करने के लिए बीरवाह के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई गई है, जो खनन, शॉर्ट टर्म परमिट और अवैध खनन से हुए प्रभावों की जांच कर रही है।
उच्चस्तरीय संयुक्त समिति करेगी देखरेख
लेकिन एनजीटी ने निर्देश दिया था कि यह कार्य एक स्वतंत्र उच्चस्तरीय संयुक्त समिति की देखरेख में किया जाए। इसके बाद एक संयुक्त समिति गठित की गई है। इस समिति में जम्मू कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति के मेंबर सेक्रेटरी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, चंडीगढ़, और जी बी पंत संस्थान के एक विशेषज्ञ शामिल होंगे।
कोर्ट के निर्देशानुसार इस संयुक्त समिति का समन्वय जम्मू कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति के मेंबर सेक्रेटरी करेंगे। समिति यह सुनिश्चित करेगी कि डिप्टी कमिश्नर बडगाम द्वारा 27 अगस्त 2025 को बनाई गई समिति खनन, अल्पकालिक परमिट और अवैध खनन से हुए नुकसान का सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सही आकलन करे और जिम्मेदार लोगों की पहचान बिना किसी पक्षपात या भेदभाव के करे।
जरूरत पड़ने पर, एनजीटी द्वारा गठित संयुक्त समिति का कोई प्रतिनिधि मौके पर जाकर जांच भी कर सकता है।
समय सीमा खत्म, रिपोर्ट अब तक दाखिल नहीं
ट्रिब्यूनल ने संयुक्त समिति को रिपोर्ट सौंपने के लिए दस सप्ताह का समय दिया था, लेकिन समय सीमा पूरी होने के बावजूद रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है। इस पर जम्मू-कश्मीर सरकार और जम्मू कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति की ओर से बताया गया कि रिपोर्ट अब चार सप्ताह के भीतर जमा कर दी जाएगी।
ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिया है कि इसकी एक प्रति पहले ही याचिकाकर्ता के वकील को दी जाए, ताकि वे दो सप्ताह के भीतर अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकें।
दिल्ली: अवैध कब्जे और गंदगी से त्रस्त जोहड़, एनजीटी ने सरकारी एजेंसियों से मांगा जवाब
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 9 दिसंबर 2025 को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को नोटिस जारी कर जवाब तलब करने का निर्देश दिया है। मामला दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के काफरपुर कलां गांव के एक पारंपरिक तालाब (जोहड़) में प्रदूषण और अतिक्रमण से जुड़ा है।
गौरतलब है कि यह कार्रवाई जाफरपुर कलां के निवासी जितेंद्र द्वारा भेजी गई पत्र याचिका के आधार पर की गई है। इस याचिका में शिकायत की गई है कि गांव के जोहड़ में गंदा सीवर और कूड़ा डाला जा रहा है, जिससे जलस्रोत बुरी तरह दूषित हो गया है।
साथ ही, जोहड़ की जमीन पर अवैध कब्जे की भी बात कही गई है। इतना ही नहीं वहां गैर-कानूनी तरीके से मिट्टी भी डाली जा रही है।
ऐसे में एनजीटी ने दोनों एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे इस मामले पर रिपोर्ट पेश करें और बताएं कि जलस्रोत को प्रदूषण और अतिक्रमण से बचाने के लिए अब तक क्या कार्रवाई की गई है।