
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मध्यप्रदेश की नदियों में अवैध खनन के आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की है
यह समिति उमरार, महानदी, हलाली और बेलकुंड नदियों में धनलक्ष्मी मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किए गए अवैध खनन की जांच करेगी
समिति को छह सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मध्यप्रदेश की नदियों में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध खनन के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए चार सदस्यीय संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है।
यह जांच धनलक्ष्मी मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड (डीएमपीएल) द्वारा उमरार, महानदी, हलाली और बेलकुंड नदियों में बिना किए गए अवैध खनन को लेकर की जाएगी।
समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राज्य पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण, मध्यप्रदेश और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य शामिल होंगे। अदालत ने समिति को मौके पर निरीक्षण करने और छह सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट व की गई कार्रवाई का विवरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
आरोप है कि कंपनी ने नरसिंहपुर, रायसेन, होशंगाबाद और कटनी जिलों में पर्यावरणीय मंजूरी के बिना और निर्धारित क्षेत्र से बाहर जाकर खनन किया है। भारी मशीनों से उमरार, महानदी, हलाली और बेलकुंड नदी धाराओं में सीधे खनन किया गया, जिससे जल प्रवाह बाधित हुआ, किनारे टूट गए और जलीय जीवन प्रभावित हुआ।
क्या है पूरा मामला
यह भी कहा गया कि खनन लीज सीमित क्षेत्र और मात्रा के लिए दी गई थी, लेकिन कंपनी ने सभी नियमों की खुलकर अनदेखी की। इतना ही नहीं वहां बिना अनुमति सड़कों और बांधों का निर्माण किया गया। इसके अलावा, मानसून के दौरान भी खनन जारी रहा, जो नियमों का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन है। यह भी आरोप है कि नदियों की देखभाल, पेड़ लगाना और गंदगी को रोकना जैसे जरूरी काम भी नहीं किए जा रहे हैं।
इस मामले में स्थानीय ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों ने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी कई जगहों पर बिना लीज और पर्यावरणीय स्वीकृति के खनन कर रही है।
याचिकाकर्ता खुशी बग्गा ने कहा है कि इस खनन के गंभीर परिणाम सामने आए हैं। भूजल के पुनः भरने की प्राकृतिक प्रणाली ध्वस्त हो गई है, पारंपरिक जल संचयन संरचनाएं नष्ट हो गई हैं, और नदी की तलछट व्यवस्था बिगड़ गई है।
इससे खेतों में मिट्टी का कटाव हो रहा है, फसलें बर्बाद हो रही हैं और नदियों में पानी के बहाव की क्षमता कम हो गई है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।