
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिजनौर में जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के क्षेत्रीय अधिकारी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि ईंट भट्टे पर्यावरण नियमों का पालन करें और संचालन से पहले उचित स्वीकृति (सीटीओ) प्राप्त करें।
25 फरवरी, 2025 को अदालत ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) को एक नोटिस जारी करने के लिए कहा गया है। यह नोटिस उन ईंट भट्टों के लिए जारी किया जाएगा जो ईंट बनाने के लिए मिट्टी की खुदाई करते हैं। इस नोटिस में खनन के लिए पर्यावरण मंजूरी (ईसी) देने के संबंध में कानूनी स्थिति को स्पष्ट किया जाना चाहिए।
इसमें ईआईए अधिसूचना, 2006 के प्रावधानों को भी स्पष्ट किया जाना चाहिए। पर्यावरण मंत्रालय को खनन की मंजूरी देने और निगरानी के लिए जिम्मेवार एजेंसी के बारे में भी जानकारी देनी होगी।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को मिट्टी की ऊपरी परत की सुरक्षा और खनन वाली भूमि को बहाल करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए। नियमों में फ्लाई ऐश का निपटान, पेड़ लगाना और मिट्टी और ईंट परिवहन के लिए सड़कें बनाना शामिल होना चाहिए। उनमें धूल को कम करने के लिए पानी का छिड़काव, खनन वाले क्षेत्रों को बहाल करना और उचित भूजल उपयोग भी शामिल होना चाहिए।
सीपीसीबी को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक ईंट भट्ठा अपने परिसर में एक प्रमुख निगरानी स्थान पर नोटिस बोर्ड लगाए।
नोटिस बोर्ड पर ईंट भट्ठे का नाम, स्थान (भू-निर्देशांक) और फोन नंबर होना चाहिए। इसमें भट्ठे का प्रकार (ज़िग-ज़ैग/ट्रेंच), मिट्टी खनन का स्थान, मात्रा, कुल भट्ठा क्षेत्र, वार्षिक ईंट उत्पादन, ग्रीन बेल्ट क्षेत्र, भूजल अनुमति और प्रदूषण बोर्ड की मंजूरी (सीटीई/सीटीओ) जारी करने की तारीख आदि भी शामिल होनी चाहिए।
सीपीसीबी को एक विशेषज्ञ समिति या अन्य उपयुक्त विधि अपनाकर यह अध्ययन करना चाहिए कि ईंट भट्टे राख का उपयोग कैसे करते हैं। साथ ही ईंट भट्टों को मंजूरी (सीटीई/सीटीओ) देते समय आवश्यक शर्तें शामिल करने के लिए नियम भी निर्धारित करने चाहिए।
ठोस कचरे के प्रबंधन में क्या कुछ हुई है प्रगति, कोयंबटूर नगर निगम ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट
कोयम्बटूर नगर निगम ने 24 फरवरी, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष एक रिपोर्ट दायर की है। यह रिपोर्ट ठोस कचरे के प्रबंधन से जुड़ी है।
रिपोर्ट में म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट प्रबंधन, जैव-खनन के माध्यम से पुराने कचरे की सफाई, वेल्लोर में खुले में कूड़ा फेंकने को रोकने, दुर्गंध को कम करने और नई परियोजनाएं शुरू करने के प्रयासों को रेखांकित किया गया है।
इस रिपोर्ट में कचरा प्रबंधन, सतत समाधानों का उपयोग और वेल्लोर में खुले में कूड़ा फेंकने को रोकने की कोयम्बटूर सिटी नगर निगम की प्रतिबद्धता को भी दर्शाया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक कोयंबटूर सिटी नगर निगम ने डिप्टी कमिश्नर की अध्यक्षता में एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन समिति का गठन किया है। इस समिति में 14 सदस्य हैं, जिनमें इंजीनियर, सहायक आयुक्त और सभी क्षेत्रों के स्वच्छता अधिकारी शामिल हैं। यह समिति खाद संयंत्र में अपशिष्ट प्रबंधन कार्यों की देखरेख करती है।
एक निजी सेवा प्रदाता (पीएसपी) हर दिन कचरा एकत्र करता है और उसे उक्कदम और पीलामेडु के ट्रांसफर स्टेशनों पर ले जाता है। वहां से, कोयंबटूर एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन इस कचरे को कॉम्पैक्टर डिब्बों का उपयोग करके वेल्लोर कम्पोस्ट यार्ड तक पहुंचाता है।
इसी तरह वर्मीकम्पोस्ट की देखरेख के लिए डिप्टी कमिश्नर की अगुआई में 17 अधिकारियों की एक समिति बनाई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि परियोजना प्रगति पर है और समीक्षा के बाद इसमें बदलाव के आदेश दिए गए हैं।
अधिकारी यह जांच करेंगे कि वेल्लोर डंप यार्ड में वर्मीकंपोस्टिंग ठीक से चल रही है या नहीं। वे खर्चों की भी समीक्षा करेंगे और डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से कमिश्नर को रिपोर्ट सौंपेंगे।