
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने झारखंड के पलामू जिले में अवैध पत्थर खनन पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
एनजीटी ने पुलिस अधीक्षक से अप्रैल 2024 से अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है, जिसमें दर्ज एफआईआर, जब्त वाहन, गिरफ्तारियां और दायर चार्जशीट शामिल हैं।
अवैध खनन रोकने के लिए उठाए गए कदमों की भी जानकारी मांगी गई है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 14 अक्टूबर 2025 को झारखंड के पलामू जिले में अवैध पत्थर खनन रोकने के लिए पुलिस अधीक्षक से कार्रवाई की जानकारी मांगी है।
एनजीटी ने पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया है कि वे अप्रैल 2024 से अब तक दर्ज की गई अवैध खनन से संबंधित शिकायतों की संख्या, दर्ज एफआईआर, जब्त किए गए वाहन और पत्थर, गिरफ्तारियां और रिकवरी, और दायर चार्जशीट की पूरी जानकारी प्रस्तुत करें।
एनजीटी ने यह भी निर्देश दिया है कि अवैध खनन से संबंधित कितने मामले जांच के तहत हैं, जांच पूरी होने में कितना समय लगेगा, और अवैध खनन रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी जाए। इनमें कैमरे लगाना, चेकपोस्ट बनाना और जीपीएस वाले वाहनों के माध्यम से खनन सामग्री, जैसे पत्थर, के परिवहन की अनुमति शामिल है।
एनजीटी की पूर्वी पीठ ने पलामू के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वे अवैध खनन रोकने के लिए 2020 के सैंड माइनिंग एंफोर्समेंट और मॉनिटरिंग गाइडलाइंस के तहत उठाए गए प्रत्येक उपाय की जानकारी तालिका के रूप में प्रस्तुत करें। इसके साथ ही जिला टास्क फोर्स द्वारा मारे गए छापों का विवरण और अप्रैल 2024 से अब तक हुई टास्क फोर्स की बैठकों के मिनट्स भी प्रस्तुत किए जाएं।
इसके अलावा, जिला खनन अधिकारी को स्टोन क्रशर पर लगाए गए नियमों की जानकारी, खनन पट्टेदार से कच्चे माल की आपूर्ति का खुलासा, रिपोर्टिंग और विभाग द्वारा ऑडिट, उल्लंघनों और उनके खिलाफ कार्रवाई के विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
इस मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर 2025 को होगी।
मक्खालहाटी तालाब से अब तक नहीं हटा है अतिक्रमण और कचरा, एनजीटी ने तलब की रिपोर्ट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 14 अक्टूबर 2025 को दक्षिण 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर को निर्देश दिया है कि वे रवीन्द्रनगर के मक्खालहाटी गांव स्थित जलस्रोत को अतिक्रमण और कचरे से मुक्त कराने की कार्रवाई पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करें।
तथ्यों की जांच के लिए एनजीटी के आदेश पर बनी समिति ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि राजस्व रिकॉर्ड में यह जलस्रोत ‘पुकुर’ (तालाब) के रूप में दर्ज है। समिति ने पाया कि तालाब जलकुंभी से ढका हुआ है और इसके आसपास कचरे का ढेर जमा है।
इससे पहले, 15 जनवरी 2025 को एनजीटी ने दक्षिण 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर को एक महीने के भीतर तालाब से कचरा, जलकुंभी और अन्य पौधे हटाकर उसे उसकी मूल स्थिति में बहाल करने का आदेश दिया था।
लेकिन, अदालत को जानकारी दी गई है कि संबंधित अधिकारियों ने अब तक इस पर कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं की है।
एनजीटी ने कलियासोत नदी में बायोमेडिकल कचरा फेंकने की जांच के लिए गठित की समिति
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 15 अक्टूबर 2025 को तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जो मध्य प्रदेश की कलियासोत नदी में बायोमेडिकल कचरा फेंके जाने की शिकायत की जांच करेगी। समिति मौके का दौरा कर तथ्यात्मक रिपोर्ट और की गई कार्रवाई की जानकारी एनजीटी को सौंपेगी।
इस मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर 2025 को केंद्रीय पीठ में होगी।
यह मामला भोपाल स्थित एच के कालचुरी एजुकेशन ट्रस्ट (एलएनसीटी मेडिकल कॉलेज और जे के हॉस्पिटल) द्वारा किए जा रहे पर्यावरणीय उल्लंघनों से जुड़ा है।
शिकायतकर्ता के अनुसार, ये संस्थान कलियासोत नदी में बिना रोक-टोक के बायोमेडिकल कचरा डाल रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने नदी के किनारे निर्धारित हरित पट्टी क्षेत्र में अवैध निर्माण करके पर्यावरण स्वीकृति की शर्तों का भी उल्लंघन किया है।
गौरतलब है कि कलियासोत, बेतवा नदी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है, जो अंततः गंगा नदी बेसिन में मिल जाती है।