
28 जनवरी, 2025 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को असम में रैट-होल खनन को रोकने के लिए की जा रही कार्रवाई पर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
उच्च न्यायालय ने असम के मुख्य सचिव, खान एवं खनिज विभाग, पर्यावरण एवं वन विभाग, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग तथा भूविज्ञान एवं खनन निदेशालय को भी नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।
प्रतिवादियों से जनहित याचिका पर अपना जवाब देने को कहा गया है। इसके साथ ही रैट-होल खनन को रोकने के लिए असम सरकार ने क्या कुछ कार्रवाई की है उस पर ताजा जानकारी देने को कहा गया है।
इस मामले में अगली सुनवाई सात फरवरी, 2025 को होगी।
यह मामला असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में हुई कोयला खदान त्रासदी से जुड़ा है। इस त्रासदी पर स्वतः संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने उन रिपोर्टों पर गौर किया जिनमें कहा गया है कि उमरंगसो क्षेत्र में 200 से अधिक रैट-होल खदानें सक्रिय हैं।
क्या जानबूझकर इन खदानों की किया जा रहा है अनदेखा
बता दें कि छह जनवरी को खदान में पानी भरने से नौ मजदूर फंस गए थे। इसमें से चार मजदूरों के शव निकाले जा चुके हैं। वहीं पांच मजदूरों का कोई पता नहीं चल सका है।
इससे पहले 16 जनवरी 2025 को असम के मुख्यमंत्री ने इस घटना की न्यायिक जांच की घोषणा की थी। इस जांच का नेतृत्व गुवाहाटी हाईकोर्ट की रिटायर जज जस्टिस अनिमा हजारिका करेंगी।
अदालत ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया है कि कार्बी आंगलोंग जिले में बड़े पैमाने पर रैट-होल खनन हो रहा है और अधिकारी या तो इसकी अनदेखी कर रहे हैं या फिर इनके बारे में जानने के बावजूद खदानों को रोकने या बंद करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
रैट-होल खदान में एक गहरी ऊर्ध्वाधर शाफ्ट होती है जिसके किनारों पर दो से चार फीट चौड़ी संकरी सुरंगें खोदी जाती हैं। कोयला निकालने के लिए खनिक सैकड़ों फीट गहरी इन सुरंगों में उतरते हैं। इन खदानों का निर्माण और संचालन सरल औजारों का उपयोग करके किया जाता है। इनमें अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं, हालांकि इनमें से अधिकांश सामने नहीं आती हैं।