
एक नए शोध के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत के बगीचों में रहने वाले चमगादड़ों के गुर्दे में कई तरह के अज्ञात रोगाणु पाए गए हैं, जिनमें से दो ऐसे हैं जो घातक निपाह और हेंड्रा वायरस से बहुत करीब से संबंधित हैं।
यह खोज युन्नान इंस्टीट्यूट ऑफ एंडेमिक डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के गुओपेंग कुआंग और चीन के दाली विश्वविद्यालय के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा की गई। वैज्ञानिकों के द्वारा 10 अलग-अलग प्रजातियों के 142 चमगादड़ों में सूक्ष्मजीवों की पहचान करने के लिए आनुवंशिक विश्लेषण किया गया। जहां 20 नए वायरस मिले, साथ ही एक नया जीवाणु और एक नया प्रोटोजोआ परजीवी भी मिला।
चिंता का विषय यह कि दोनों वायरस हेनिपावायरस हैं, जो अपने लंबे जीनोम और चमगादड़ों की विस्तृत श्रृंखला के लिए जाने जाते हैं। नए वायरस के आधे से अधिक जीन निपाह और हेंड्रा वायरस से मिलते-जुलते हैं, जो संक्रमित मनुष्यों के लिए बेहद घातक होते हुए भी हमारी प्रजातियों में अपेक्षाकृत दुर्लभ हैं।
शोध के मुताबिक, यह स्पष्ट नहीं है कि इन दो नए हेनिपावायरस में चमगादड़ों से दूसरी प्रजातियों में जाने के लिए आनुवंशिक तंत्र है या नहीं, लेकिन ज्ञात मानव रोगजनकों से उनकी समानता का मतलब है कि वैज्ञानिक उन पर कड़ी नजर रखेंगे।
शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि ये वायरस विशेष रूप से चिंताजनक हैं क्योंकि ये मुख्य रूप से चमगादड़ के गुर्दे में पाए गए थे, जो मूत्र उत्पादन से जुड़ी जगह है, जिससे दूषित फलों या पानी (पिछले प्रकोपों में शामिल मार्ग) के माध्यम से लोगों में रोग फैलाने के बारे में चिंता बढ़ गई है।
पीएलओएस पैथोजन्स पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक, चमगादड़ों को फलों के बागों में पकड़ा गया था, इसका मतलब है कि अगर वायरस प्रजातियों के बीच फैलने में सक्षम थे, तो मनुष्य और पालतू जानवर आसान लक्ष्य बन सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर चमगादड़ बागों के लिए भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं, वे फलों का परागण कर सकते हैं, मिट्टी को उपजाऊ बना सकते हैं और कीटों का शिकार कर सकते हैं। उदाहरण के लिए चीन में 90 प्रतिशत कीटभक्षी चमगादड़ देश के सेब किसानों को हर साल फसल के नुकसान में लगभग दो अरब अमेरिकी डॉलर बचाते हैं।
यह खोज क्यों अहम हो सकती है?
यह खोज घातक कोविड-19 के प्रकोप के कुछ साल बाद आई है, जिसके कारण दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हो गई थी। इसका पहला ज्ञात मामला 2019 के अंत में चीन के वुहान शहर में पहचाना गया था।
वुहान वायरस रिसर्च सेंटर चमगादड़ों में पाए जाने वाले कोरोनावायरस पर काम करने के लिए जाना जाता है। पहले ऐसे सिद्धांत थे जो बताते थे कि महामारी वुहान लैब से वायरस के लीक होने के बाद शुरू हुई थी, शायद किसी संक्रमित कर्मचारी के जरिए ऐसा हो सकता है।
नवीनतम शोध में, टीम ने पाया कि चमगादड़ फलों के बगीचों के पास बसेरा कर रहे थे, जो ग्रामीण लेकिन आबादी वाले गांवों से सटे थे। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि इनका मूत्र हेनिपावायरस में संचरण मार्ग के रूप में काम कर सकता है, जिससे यह खतरा बढ़ जाता है कि ये चमगादड़ फलों को दूषित कर सकते हैं, जिन्हें मनुष्य या जानवर खाते हैं। हो सकता है यह एक और प्रकोप का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
अध्ययन में दो पहले से अज्ञात हेनिपावायरस की खोज के बारे में बात की गई है, जिन्हें युन्नान बैट हेनिपावायरस 1 और 2 कहा जाता है। यह इस वायरस प्रकार के पहले पूर्ण-लंबाई वाले जीनोम पर प्रकाश डालता है जो चीन में चमगादड़ों में पाया गया था।
शोध में कहा गया है कि हेंड्रा और निपाह के करीबी विकासवादी चचेरे भाई के अन्य उदाहरण उपलब्ध हैं, जिनके फैलने को लेकर किसी भी तरह की चिंता नहीं हैं, इसलिए वास्तविक खतरा का पता लगाने के लिए इन नए वायरसों पर कुछ और प्रयोगशाला अध्ययन करने की जरूरत पड़ेगी।