विश्व हेपेटाइटिस दिवस: 30.4 करोड़ लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित

तत्काल और निरंतर कार्रवाई नहीं की गई तो संक्रामक हेपेटाइटिस के कारण 2030 तक अतिरिक्त 95 लाख नए संक्रमण, 21 लाख लीवर कैंसर के मामले और 28 लाख मौतें होने की आशंका है
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और सी से 13 लाख लोगों की मौत हुई।
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और सी से 13 लाख लोगों की मौत हुई। फोटो साभार: आईस्टॉक
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हेपेटाइटिस और स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। हेपेटाइटिस एक चिकित्सीय स्थिति है जो यकृत (लीवर) में सूजन का कारण बनती है।

संक्रामक संक्रमण, अत्यधिक शराब का सेवन, विशेष दवाएं और स्व-प्रतिरक्षी बीमारियां इस सूजन के कुछ कारण हैं। हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई जैसे वायरसों के कारण होने वाला संक्रामक हेपेटाइटिस दुनिया भर चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि इनके संचरण के तरीके और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव अलग-अलग हैं।

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डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और सी से 13 लाख लोगों की मौत हुई।

हेपेटाइटिस यकृत की वह समस्या है जो हर साल मलेरिया या एचआईवी से भी अधिक लोगों की जान लेती है। आज ही के दिन हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज करने वाले वैज्ञानिक डॉ. बारूक एस. ब्लमबर्ग का जन्मदिन है। उनका जन्म 1925 में न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में हुआ था। अमेरिकी नौसेना में सेवा देने और कोलंबिया विश्वविद्यालय में चिकित्सा की पढ़ाई करने के बाद, उनकी रुचि इस बात में हुई कि बीमारियां कैसे फैलती हैं।

अपने शोध के दौरान वे नाइजीरिया जैसे देशों में गए, जहां उन्होंने खून के नमूनों का अध्ययन किया और आनुवंशिक अंतर का पता लगाया जिससे उन्हें आखिरकार हेपेटाइटिस बी वायरस की पहचान करने में मदद मिली। इस बड़ी चिकित्सा उपलब्धि के लिए उन्हें 1976 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला

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हेपेटाइटिस बी और सी दुनिया भर में 30.4 करोड़ लोगों के अंदर जिंदा हैं, जिनमें से अधिकतर को इसकी जानकारी भी नहीं है। लीवर जो शायद हमारा सबसे अधिक काम करने वाला अंग है, चुपचाप इससे जूझ रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, दुनिया के आधे से भी कम शिशुओं को जन्म के 24 घंटों के भीतर हेपेटाइटिस बी का टीका लग पाता है। यह दवाइयों की कहानी नहीं है। यह व्यवस्थाओं, पहुंच और एक तरह की भयंकर उदासीनता की कहानी है।

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डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और सी से 13 लाख लोगों की मौत हुई।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस साल की थीम 'हेपेटाइटिस: आइए इसे तोड़ें' निर्धारित की गई है, जो सेवाओं को सरल बनाकर और उन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में जोड़कर हेपेटाइटिस की रोकथाम, परीक्षण और उपचार में बाधाओं को कम करने के महत्व पर जोर देता है।

डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और सी से 13 लाख लोगों की मौत हुई।

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डब्ल्यूएचओ की एचआईवी, वायरल हेपेटाइटिस और यौन संचारित संक्रमणों पर वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र की रणनीति (2022-2030) सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में वायरल हेपेटाइटिस को खत्म करने के स्पष्ट लक्ष्यों पर आधारित है। इस रणनीति का लक्ष्य 2030 तक नए हेपेटाइटिस संक्रमणों को सालाना 5,20,000 मामलों और हेपेटाइटिस से संबंधित मौतों को 4,50,000 तक कम करना है, जो 2015 की तुलना में घटनाओं में 90 फीसदी की कमी और मृत्यु दर में 65 फीसदी की कमी को दर्शाता है।

हालांकि तत्काल और निरंतर कार्रवाई के बिना, संक्रामक हेपेटाइटिस के कारण 2030 तक अतिरिक्त 95 लाख नए संक्रमण, 21 लाख लीवर कैंसर के मामले और 28 लाख मौतें होने का अनुमान है।

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हेपेटाइटिस के लक्षण

हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी या ई से पीड़ित कई लोगों में केवल हल्के लक्षण दिखाई देते हैं या कोई लक्षण दिखाई ही नहीं देते। हालांकि वायरस का प्रत्येक रूप अधिक गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है, गर्भवती महिलाओं में हेपेटाइटिस ई का भारी संक्रमण होता है।

संक्रामक हेपेटाइटिस के लक्षणों में बुखार, अस्वस्थता, भूख न लगना, दस्त, मतली, पेट में तकलीफ, गहरे रंग का मूत्र और पीलिया (त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीला पड़ना) शामिल हो सकते हैं।

हेपेटाइटिस बी, सी और डी वायरस एक लंबे समय तक यकृत में संक्रमण भी पैदा कर सकते हैं जो बाद में सिरोसिस (यकृत पर घाव) या यकृत कैंसर में बदल सकता है। इन रोगियों को अकाल मृत्यु का खतरा होता है।

हेपेटाइटिस डी (एचडीवी) केवल उन लोगों में पाया जाता है जो पहले से ही हेपेटाइटिस बी (एचबीवी) से संक्रमित हैं। हालांकि, एचबीवी और एचडीवी का दोहरा संक्रमण एक अधिक गंभीर संक्रमण और सिरोसिस व कैंसर की तीव्र प्रगति का कारण बन सकता है। एचबीवी, एचसीवी और एचडीवी हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा का कारण बनते हैं और इन्हें कैंसरकारी माना जाता है।

हेपेटाइटिस का उपचार

हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) संक्रमण से बचाव के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीके उपलब्ध हैं। जब इन्हें जन्म के समय, बचपन में टीकाकरण के हिस्से के रूप में दिया जाता है, तो ये मां से बच्चे में संक्रमण के खतरों को काफी कम कर देते हैं। हेपेटाइटिस बी का टीका हेपेटाइटिस डी वायरस (एचडीवी) संक्रमण से भी बचाता है।

क्रोनिक एचबीवी संक्रमण का इलाज एंटीवायरल एजेंटों से किया जा सकता है। उपचार से सिरोसिस की प्रगति धीमी हो सकती है, यकृत कैंसर के मामलों में कमी आ सकती है और लंबी जीवन प्रत्याशा में सुधार हो सकता है।

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क्रोनिक एचबीवी संक्रमण वाले केवल कुछ ही लोगों को उपचार की जरूरत पड़ती है। हेपेटाइटिस ए (एचएवी) और ई (एचईवी) के संक्रमण से बचाव के लिए भी एक टीका उपलब्ध है। इन संक्रमणों के कारण यकृत के कार्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव के कारण अनावश्यक दवाओं से बचने की सलाह दी जाती है।

स्वच्छ और सुरक्षित पानी के स्रोतों की कमी और दूषित भोजन के बढ़ते खतरों के कारण, कम और मध्यम आय वाले देशों में एचएवी और एचईवी सबसे आम हैं। एचएवी और एचईवी संक्रमणों से बचाव के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी टीका उपलब्ध है।

अधिकांश एचएवी और एचईवी संक्रमण हल्के होते हैं और अधिकांश लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं और आगे के संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। हालांकि ये संक्रमण लीवर फेल होने के जोखिम के कारण गंभीर और जानलेवा भी हो सकते हैं।

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