विश्व लीवर दिवस हर साल 19 अप्रैल को दुनिया भर में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लिवर या यकृत से संबंधित बीमारियों और उनके बारे में जागरूकता बढ़ाना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, लिवर की बीमारी भारत में मौत का 10वां सबसे आम कारण है।
शरीर में लिवर या यकृत दूसरा सबसे बड़ा और सबसे जटिल अंग है, जो सभी महत्वपूर्ण कार्य करता है। लिवर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता, पाचन और मेटाबॉलिज्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ग्लूकोज को ग्लाइकोजन में बदलने, अमीनो एसिड विनियमन, रक्त प्लाज्मा के लिए प्रोटीन के उत्पादन आदि के लिए जिम्मेदार है।
क्या है वर्ल्ड लिवर डे 2023 थीम?
विश्व लिवर दिवस 2023 की थीम है "सतर्क रहें, नियमित लिवर की जांच कराएं, फैटी लीवर किसी को भी प्रभावित कर सकता है”।
लिवर के रोग बिना किसी लक्षण के चुपचाप विकसित होते हैं। हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर, नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) जैसी बीमारियां अब लोगों को पहले से कहीं ज्यादा प्रभावित कर रही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 1990 से 2017 के बीच, लिवर कैंसर के नए मामलों में 100 फीसदी की वृद्धि हुई है, जिनमें से दो-तिहाई हेपेटाइटिस के संक्रमण कारण होते हैं और 16 फीसदी अज्ञात कारणों से होते हैं, जिसमें लिवर भी शामिल है। एक महत्वपूर्ण अंग जो शरीर में कई आवश्यक कार्य करता है, जिसमें हानिकारक पदार्थों का विषहरण, पाचन में सहायता के लिए पित्त का उत्पादन और चयापचय का नियमन शामिल है।
इसलिए, लिवर से संबंधित बीमारियों को रोकने के लिए इस अंग की देखभाल करना महत्वपूर्ण है। मोटापा, मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे चयापचय विकारों को रोकने या प्रबंधित करने से इससे संबंधित बीमारी को रोका जा सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक लिवर की सबसे आम बीमारियों में से एक फैटी लिवर की बीमारी है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। फैटी लिवर की बीमारी तब होती है जब लिवर में वसा का जमाव हो जाता है, जो अग्रिम चरणों में लिवर के ऊतकों को सूजन और नुकसान पहुंचा सकता है। जबकि वसायुक्त लिवर रोग अक्सर एसिम्प्टोमैटिक होता है, कुछ संकेतों से रोग का पता लग सकता हैं।
हम अपने लिवर को निम्नलिखित तरीकों से स्वस्थ रख सकते हैं
वजन सही बनाए रखना, एक संतुलित आहार करना, अवैध दवाओं के प्रयोग से बचना, शराब का इस्तेमाल कम करना, नियमित रूप से व्यायाम करना, व्यक्तिगत स्वच्छता वस्तुओं को साझा करने से बचना, रक्त के संपर्क में आने की स्थिति में चिकित्सा देखभाल लेना, दूषित सुई से बचना तथा विषाक्त पदार्थों से बचना आदि है।