विश्व कैंसर दिवस: साल 2050 तक कैंसर के मामलों के 77 फीसदी बढ़ने की आशंका
दुनिया भर में हर साल चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन में पेरिस के कैंसर के खिलाफ चार्टर पर हस्ताक्षर किए जाने के पच्चीस साल पूरे हो गए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 2022 में कैंसर विश्व में मृत्यु का प्रमुख कारण रहा, जिससे लगभग एक करोड़ मौतें या लगभग पांच में से एक मौत के पीछे कैंसर को जिम्मेवार माना गया। कैंसर के निदान के बाद पांच सालों के भीतर जीवित रहने वाले लोगों की अनुमानित संख्या 5.35 करोड़ थी। लगभग पांच में से एक व्यक्ति के जीवनकाल में कैंसर होता है, लगभग नौ में से एक पुरुष और 12 में से एक महिला इस बीमारी से मर जाती है।
चार फरवरी, 1999 को पेरिस में कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन के दौरान पहली बार विश्व कैंसर दिवस की घोषणा की गई थी। विश्व कैंसर दिवस की औपचारिक स्थापना उसके अगले साल चार फरवरी, 2000 को हुई, जब नई सहस्राब्दी के लिए कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन के दौरान पेरिस के कैंसर के खिलाफ चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए।
कैंसर की देखभाल, अनुसंधान और उपचार में प्रगति सहित महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने के अलावा, यह चार्टर कैंसर के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की जरूरत पर प्रकाश डालता है।
विश्व कैंसर दिवस 2025 का विषय, "यूनाइटेड बाय यूनिक", कैंसर के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तिगत, रोगी के आधार पर देखभाल के महत्व पर प्रकाश डालता है। यह इस बात पर जोर देता है कि प्रत्येक रोगी की अलग जरूरतों के अनुसार उपचार को अपनाना कितना महत्वपूर्ण है।
यह थीम तीन साल के अभियान का हिस्सा है जो 2025- 2027 के बीच कैंसर रोगियों, जीवित बचे लोगों और देखभाल करने वालों के व्यक्तिगत अनुभवों पर गौर करेगा। यह परियोजना कैंसर की देखभाल में सहानुभूति, करुणा और विविधता को बढ़ावा देने का प्रयास करते हुए अधिक व्यक्तिगत उपचार विधियों को आगे बढ़ाती है।
यदि समय रहते पता चल जाए और प्रभावी ढंग से इलाज किया जाए तो कई तरह के कैंसर ठीक हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, खतरों से बचने और मौजूदा साक्ष्य-आधारित रोकथाम रणनीतियों को लागू करके वर्तमान में 30 से 50 फीसदी कैंसर को रोका जा सकता है। सबसे आम कैंसर स्तन, फेफड़े, बृहदान्त्र, मलाशय और प्रोस्टेट कैंसर हैं।
कैंसर से होने वाली लगभग एक तिहाई मौतें तंबाकू के सेवन, ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स, शराब के सेवन, फलों और सब्जियों के कम सेवन और शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण होती हैं। इसके अलावा, वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर के लिए एक बड़े खतरे का कारण है।
कैंसर पैदा करने वाले संक्रमण, जैसे कि ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) और हेपेटाइटिस, निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में लगभग 30 फीसदी कैंसर के मामलों के लिए जिम्मेदार हैं।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) और कैंसर पर दुनिया भर में किए गए डब्ल्यूएचओ के सर्वेक्षण से पता चलता है कि भाग लेने वाले देशों में से केवल 39 फीसदी ने सभी नागरिकों के लिए अपने वित्तपोषित मुख्य स्वास्थ्य सेवाओं, 'स्वास्थ्य लाभ पैकेज' (एचबीपी) के हिस्से के रूप में कैंसर प्रबंधन की बुनियादी बातों को कवर किया।
भाग लेने वाले देशों में से केवल 28 फीसदी ने अतिरिक्त रूप से उन लोगों की देखभाल को कवर किया जिन्हें सामान्य रूप से दर्द निवारण सहित सभी तरह की देखभाल की आवश्यकता होती है, न कि केवल कैंसर से जुड़ी देखभाल की।
अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान संस्था (आईएआरसी) की ग्लोबल कैंसर ऑब्ज़र्वेटरी पर उपलब्ध नए अनुमानों से पता चलता है कि 2022 में दुनिया भर में नए मामलों और मौतों में से लगभग दो-तिहाई कैंसर के 10 प्रकार शामिल थे। आंकड़ों में 185 देशों में 36 तरह के कैंसर को कवर किया गया है।
फेफड़े का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम कैंसर था, जिसमें 25 लाख नए मामले सामने आए, जो कुल नए मामलों का 12.4 फीसदी था। महिला स्तन कैंसर दूसरे स्थान पर रहा (23 लाख मामले, 11.6 फीसदी), उसके बाद कोलोरेक्टल कैंसर (19 लाख मामले, 9.6 फीसदी), प्रोस्टेट कैंसर (15 लाख मामले, 7.3 फीसदी) और पेट का कैंसर (9,70,000 मामले, 4.9 फीसदी) था।
कैंसर से होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण फेफड़ों का कैंसर था (18 लाख मौतें, कुल कैंसर मौतों का 18.7 फीसदी), इसके बाद कोलोरेक्टल कैंसर (9,00,000 मौतें, 9.3 फीसदी), लिवर कैंसर (7,60,000 मौतें, 7.8 फीसदी), स्तन कैंसर (6,70,000 मौतें, 6.9 फीसदी) और पेट का कैंसर (6,60,000 मौतें, 6.8 फीसदी)। सबसे आम कैंसर के रूप में फेफड़े के कैंसर का फिर से उभरना एशिया में लगातार तंबाकू के सेवन के कारण बताया गया है।
डब्ल्यूएचओ ने 2050 में 3.5 करोड़ से अधिक नए कैंसर के मामले सामने आने की आशंका जताई है, जो 2022 में अनुमानित दो करोड़ मामलों से 77 फीसदी अधिक है।