कैंसर के मरीजों को कीमोथेरेपी से मिल सकता है छुटकारा, वैज्ञानिकों ने उपचार का नया तरीका खोजा

कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी और सर्जरी जैसे पारंपरिक उपचारों में दवा प्रतिरोध और गंभीर दुष्प्रभावों से बचने के लिए नैनोथेरेपी जैसे इलाज के नए तरीके विकसित किए जा रहे हैं
कैंसर के उपचार में एक आम चुनौती, दवा प्रतिरोध पर काबू पाकर, यह नजरिया इस भयंकर बीमारी से लड़ने में एक नई सीमा प्रदान करता है।
कैंसर के उपचार में एक आम चुनौती, दवा प्रतिरोध पर काबू पाकर, यह नजरिया इस भयंकर बीमारी से लड़ने में एक नई सीमा प्रदान करता है।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, जेनीफ्रॉग
Published on

भारतीय शोधकर्ताओं ने कैंसर थेरेपी के लिए चुंबकीय हाइपरथर्मिया-आधारित हीट शॉक प्रोटीन 90 को रोकने वाले (एचएसपी90आई) के साथ अति-सूक्ष्म चुंबकीय नैनोकणों (एमडीएस) नामक विधि विकसित की है। यह तकनीक जरूरी कीमोथेरेपी खुराक को कम करके उपचार के असर को बढ़ा सकती है, जो सहायक चिकित्सा के रूप में काम करती है साथ ही बुरे प्रभावों को कम करती है।

दुनिया भर में कैंसर के मामलों में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए, नए उपचार विधियों की बहुत जरूरत है। कीमोथेरेपी और सर्जरी जैसे पारंपरिक उपचारों में दवा प्रतिरोध और गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, शोधकर्ता नैनोथेरेपी जैसे नए उपचार विकसित कर रहे हैं, जिसके शरीर पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव कम हैं।

कैंसर के इस नए उपचार विधि का विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, मोहाली के नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी) के वैज्ञानिकों ने किया है। उन्होंने चुंबकीय हाइपरथर्मिया आधारित कैंसर थेरेपी (एमएचसीटी) के साथ हीट शॉक प्रोटीन 90 (एचएसपी90) को रोकने वाले 17-डीएमएजी का उपयोग करने वाली थेरेपी, जो ताप आधारित कैंसर के उपचार में सुधार कर सकती है।

वैज्ञानिकों ने इस विधि को पशुओं के उपचार में आजमाया, ट्यूमर इंजेक्शन के माध्यम से, चूहे के ग्लियोमा मॉडल में ग्लियोमा कोशिकाएं नष्ट हुई, तथा आठ दिनों के भीतर पहले और दूसरे ट्यूमर वाली जगहों पर ट्यूमर नियंत्रण दर क्रमशः 65 और 53 फीसदी तक पहुंच गई।

एसीएस नैनो में प्रकाशित विधि कम आक्रामक है और इसके दुष्प्रभाव कम होते हैं। शोध टीम ने दिखाया कि एमएनपी, जब एक वैकल्पिक चुंबकीय क्षेत्र (एएमएफ) के संपर्क में आते हैं, तो ट्यूमर से प्रभावी रूप से मुकाबला कर सकते हैं।

दोनों चुंबकीय हाइपरथर्मिया और कीमोथेरेपी (एमएचसीटी) संबंधी नजरिया कीमोथेरेपी की आवश्यक मात्रा को कम कर सकता है, जिससे उपचार सुरक्षित और अधिक प्रभावी हो जाता है। इसके अलावा यह थेरेपी ट्यूमर की जगह पर अतिरिक्त खुराक के बिना ट्यूमर का इलाज कर सकती है, जिससे यह एक अत्यधिक प्रभावी कैंसर उपचार बन जाता है।

शोधकर्ताओं ने कहा इस नई चिकित्सा के क्लीनिकल प्रयोगों को साकार करने के लिए और शोध किए जाने की जरूरत है, जिससे एक सहायक या वैकल्पिक कैंसर चिकित्सा विकसित हो सके। यह अध्ययन अधिक कुशल और सहनीय कैंसर विरोधी उपचारों का मार्ग प्रशस्त करता है, जिससे लाखों रोगियों को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिलता है और हाइपरथर्मिया-आधारित उपचारों के लिए नई दिशाएं मिलती हैं।

शोधकर्ता डॉ. दीपिका शर्मा के नेतृत्व में शोध टीम ने एचएसपी90 की भूमिका की जांच की, जो एक ऐसा जीन है जो गर्मी से होने वाले तनाव के कारण सक्रिय हो जाता है। 17-डीएमएजी दवा का उपयोग करके एचएसपी90 को रोक करके, उनका उद्देश्य कोशिकाओं की गर्मी से होने वाले नुकसान का उपचार करने की क्षमता को कम करना था, जिससे अधिकतर ट्यूमर कोशिका नष्ट हो जाती है।

इस नवीनतम चिकित्सा का एक मुख्य लाभ प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करने की इसकी क्षमता पर निर्भर करता है, जो कैंसर के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक रक्षा को बढ़ाता है। इसके अलावा कैंसर के उपचार में एक आम चुनौती, दवा प्रतिरोध पर काबू पाकर, यह नजरिया इस भयंकर बीमारी से लड़ने में एक नई सीमा प्रदान करता है।

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि उपचार साइटोकाइन स्राव के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है, जिससे इसके ट्यूमर को नष्ट करने के प्रभाव और बढ़ जाते हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in