विश्व मस्तिष्क दिवस: तीन अरब से अधिक लोग मस्तिष्क संबंधी समस्याओं से जूझ रहे

तंत्रिका संबंधी विकारों से होने वाली 80 प्रतिशत से अधिक मौतें और स्वास्थ्य को होने वाला नुकसान गरीब देशों में होता है
मस्तिष्क का 75 फीसदी हिस्सा पानी है: जो लोग थोड़ी सी भी मात्रा में बिना पानी के होते हैं, उनके मस्तिष्क की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिससे स्मृति और ध्यान जैसे पहलू प्रभावित होते हैं।
मस्तिष्क का 75 फीसदी हिस्सा पानी है: जो लोग थोड़ी सी भी मात्रा में बिना पानी के होते हैं, उनके मस्तिष्क की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिससे स्मृति और ध्यान जैसे पहलू प्रभावित होते हैं।फोटो साभार: आईस्टॉक
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विश्व मस्तिष्क दिवस हर साल 22 जुलाई को मनाया जाता है। इसकी स्थापना 2014 में वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजी (डब्ल्यूएफएन) के द्वारा की गई थी, जो 1957 में इसी दिन फेडरेशन की स्थापना की याद में मनाया जाता है। इस पहल का उद्देश्य मस्तिष्क के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना और दुनिया भर में न्यूरोलॉजिकल देखभाल को आगे बढ़ना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मस्तिष्क स्वास्थ्य को "संज्ञानात्मक, संवेदी, भावनात्मक, व्यवहारिक और मोटर क्षेत्रों में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली की वह स्थिति" के रूप में परिभाषित किया है, जो किसी व्यक्ति को जीवन भर अपनी पूरी क्षमता का एहसास करने में सक्षम बनाती है, चाहे उसमें विकार मौजूद हों या नहीं।

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मस्तिष्क का 75 फीसदी हिस्सा पानी है: जो लोग थोड़ी सी भी मात्रा में बिना पानी के होते हैं, उनके मस्तिष्क की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिससे स्मृति और ध्यान जैसे पहलू प्रभावित होते हैं।

आम भाषा में कहें तो मस्तिष्क स्वास्थ्य लोगों को उत्पादक और सार्थक जीवन जीने में सक्षम बनाता है, चाहे वे स्कूल में पढ़ रहे बच्चे हों, काम और रिश्तों को संभाल रहे वयस्क हों या वृद्ध लोग हों।

मस्तिष्क के स्वस्थ रहने के लिए नींद जरूरी है और पूरे एक सप्ताह तक इसके बिना रहने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। नींद की कमी मस्तिष्क के लगभग हर पहलू को प्रभावित करती है, जिससे संज्ञानात्मक, भावनात्मक और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।

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मस्तिष्क का 75 फीसदी हिस्सा पानी है: जो लोग थोड़ी सी भी मात्रा में बिना पानी के होते हैं, उनके मस्तिष्क की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिससे स्मृति और ध्यान जैसे पहलू प्रभावित होते हैं।

24 से 48 घंटे बिना नींद के रहने से मस्तिष्क की एकाग्रता, ध्यान केंद्रित करने और याददाश्त बनाए रखने की क्षमता कम हो जाती है। प्रतिक्रिया समय धीमा हो जाता है, निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है और भावनात्मक नियंत्रण कमजोर पड़ जाता है। लोग अक्सर चिड़चिड़ापन, चिंता और मनोदशा में उतार-चढ़ाव का अनुभव करते हैं।

साल 2025 के लिए डब्ल्यूएफएन ने 'सभी आयु वर्गों के लिए मस्तिष्क स्वास्थ्य' को अपनी मुख्य थीम चुनी है, जिसका उद्देश्य गर्भधारण से पहले से लेकर वृद्धावस्था तक मस्तिष्क स्वास्थ्य के महत्व पर प्रकाश डालना है।

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यह थीम मिर्गी और अन्य तंत्रिका संबंधी विकारों (2022-2031) के लिए अंतर-क्षेत्रीय वैश्विक कार्य योजना (आईजीएपी) और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप है। यह अभियान कुप्रथा से लड़ने, शीघ्र हस्तक्षेप को बढ़ावा देने और समानता व पहुंच पर जोर देने वाले नीतिगत सुधारों की वकालत करके मस्तिष्क स्वास्थ्य को दुनिया भर में प्राथमिकता के रूप में स्थापित करने का प्रयास करता है।

साल 2021 में द लैंसेट न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि दुनिया भर में तीन अरब से अधिक लोग मस्तिष्क संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इन समस्याओं के कारण होने वाली बीमारियों के कारण दुनिया भर में विकलांगता-समायोजित जीवन वर्षों में 1990 के बाद से 18 फीसदी की वृद्धि हुई है।

अहम बात यह है कि तंत्रिका संबंधी विकारों से होने वाली 80 प्रतिशत से अधिक मौतें और स्वास्थ्य को होने वाला नुकसान गरीब देशों में होता है।

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विश्व मस्तिष्क दिवस में शामिल होने का एक सबसे अच्छा तरीका मस्तिष्क और मस्तिष्क स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ अहम जानकारियों के बारे में जानना हो सकता है। इन्हें और अन्य जानकारियां दोस्तों, परिवार के सदस्यों, सहकर्मियों या अन्य लोगों के साथ साझा की जा सकती हैं, चाहे व्यक्तिगत रूप से या सोशल मीडिया के माध्यम से:

मल्टी-टास्किंग एक मिथक है (कई काम एक साथ करना) : जो लोग सोचते हैं कि वे मल्टी-टास्किंग कर रहे हैं, वे वास्तव में अपने दिमाग में संदर्भ-बदलाव का खेल खेल रहे होते हैं, जिससे गलतियों के आशंका 50 फीसदी तक बढ़ जाती है।

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मस्तिष्क का 75 फीसदी हिस्सा पानी है : जो लोग थोड़ी सी भी मात्रा में बिना पानी के होते हैं, उनके मस्तिष्क की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिससे स्मृति और ध्यान जैसे पहलू प्रभावित होते हैं।

मानव मस्तिष्क में लगभग 100 अरब न्यूरॉन्स होते हैं : यह संख्या मूलतः आकाशगंगा के तारों के बराबर है।

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