धूम्रपान से दिमाग को स्ट्रोक या आघात पहुंच सकता है और इसे छोड़ने से उन्हें रोका जा सकता है। इस वजह से हमें घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि पहली बार वायु प्रदूषण को सबराच्नॉइड हेमरेज के लिए एक समान खतरे के रूप में पाया गया है, जो एक प्रकार का दिमागी आघात है यह तब होता है जब दिमाग और इसे कवर करने वाले ऊतकों के बीच खून की नसें फट जाती हैं।
सबराच्नॉइड हेमरेज या रक्तस्राव दिमाग के चारों ओर अरच्नोइड झिल्ली और पिया मेटर के बीच तरल पदार्थ से भरे स्थान में होने वाला रक्तस्राव है, जिसके माध्यम से प्रमुख खून की नसें गुजरती हैं।
द लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, दुनिया भर में स्ट्रोक या आघात लगने से और उससे संबंधित मौतों की घटनाएं काफी बढ़ रही हैं, जिसके लिए वायु प्रदूषण, अधिक तापमान और उच्च रक्तचाप तथा शारीरिक निष्क्रियता जैसे चयापचय संबंधी खतरे जिम्मेवार हैं।
शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से पाया कि स्ट्रोक के कारण स्वास्थ्य का खराब होना और समय से पहले मृत्यु में भयंकर गर्मी की भूमिका 1990 के बाद से 72 प्रतिशत बढ़ गई है और भविष्य में इसके और अधिक बढ़ने के आसार हैं, जिससे यह पता चलता है कि पर्यावरणीय कारक बढ़ते स्ट्रोक के मामलों पर कैसे असर डाल सकते हैं।
इसके अलावा ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स स्टडी (जीबीडी) टीम के शोधकर्ताओं के मुताबिक, पहली बार पार्टिकुलेट मैटर या पीएम वायु प्रदूषण में धूम्रपान के समान ही मस्तिष्क रक्तस्राव के घातक रूप की भूमिका पाई गई। जीबीडी के अध्ययन में विभिन्न जगहों और समय के साथ स्वास्थ्य को होने वाली हानि को मापने का सबसे बड़ा और सबसे व्यापक प्रयास किया गया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि दुनिया भर में पहली बार स्ट्रोक वाले लोगों की संख्या 2021 में बढ़कर 1.19 करोड़ हो गई, जो 1990 से 70 प्रतिशत अधिक है। जबकि स्ट्रोक से संबंधित मौतें बढ़कर 73 लाख हो गई, जो 1990 से 44 प्रतिशत अधिक है। इस प्रकार इस्केमिक हृदय रोग या हृदय को खून की कम आपूर्ति और कोविड-19 के बाद न्यूरोलॉजिकल समस्या मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बन गई है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक से प्रभावित तीन-चौथाई से अधिक लोग कम और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।
शोधकर्ता ने शोध में कहा कि स्ट्रोक से प्रभावित लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने की आशंका जताई गई है, वर्तमान में उपयोग की जाने वाली स्ट्रोक रोकथाम रणनीतियां पर्याप्त रूप से प्रभावी नहीं हैं। नई, सिद्ध प्रभावी जनसंख्या-व्यापी और प्रेरक व्यक्तिगत रोकथाम रणनीतियां जो खतरे के स्तर की परवाह किए बिना स्ट्रोक होने के खतरे वाले सभी लोगों पर लागू की जा सकती हैं, जैसा कि हाल ही में लैंसेट न्यूरोलॉजी कमीशन ऑन स्ट्रोक में सिफारिश की गई है, उन्हें दुनिया भर में तत्काल लागू किया जाना चाहिए।
शोधकर्ताओं ने शोध के माध्यम से यह भी अनुमान लगाया कि वायु प्रदूषण, अतिरिक्त शारीरिक वजन, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान और शारीरिक निष्क्रियता सहित 23 बदले जाने वाले खतरों के कारण स्ट्रोक से होने वाली मृत्यु दर बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि ये खतरे पूर्वी यूरोप, एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में सबसे अधिक हैं।
शोधकर्ताओं ने खराब आहार, वायु प्रदूषण और धूम्रपान से जुड़े खतरों से दुनिया भर में स्ट्रोक के मामलों को कम करने में हुई प्रगति को भी स्वीकार किया। उन्होंने पाया कि प्रसंस्कृत मांस में बहुत अधिक और सब्जियों में कम आहार से होने वाले खराब स्वास्थ्य में क्रमशः 40 और 30 प्रतिशत की कमी आई, जबकि पीएम वायु प्रदूषण और धूम्रपान के कारण स्वास्थ्य के खराब होने में क्रमशः 20 प्रतिशत और 13 प्रतिशत की कमी आई।
शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से कहा कि परिणामों से पता चलता है कि पिछले तीन दशकों में इन खतरों को बढ़ाने वाले कारणों के संपर्क को कम करने की रणनीतियां जैसे कि स्वच्छ वायु क्षेत्र और सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध जैसे अभियान सफल रहे हैं।
उन्होंने आने वाले सालों में दुनिया भर में स्ट्रोक के मामलों को काफी कम करने और दुनिया भर के लाखों लोगों के दिमागी स्वास्थ्य और समग्र कल्याण में सुधार के लिए स्ट्रोक पर 2023 विश्व स्ट्रोक संगठन-लैंसेट न्यूरोलॉजी आयोग में निर्धारित साक्ष्य-आधारित सिफारिशों को लागू करने और निगरानी करने की जरूरत पर जोर दिया है।
सिफारिशों में स्ट्रोक निगरानी कार्यक्रम शामिल हैं जो किसी देश में स्ट्रोक के सूचकों जैसे घटना, पुनरावृत्ति, मृत्यु दर और खतरों वाले कारकों की निगरानी करते हैं, तथा स्ट्रोक से प्रभावित लोगों के लिए देखभाल और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करते हैं।