
एक वैश्विक अध्ययन से पता चला है कि मधुमेह से पीड़ित मरीजों में विटामिन डी की कमी सबसे आम है, जो इस बीमारी सी पीड़ित करीब 61 फीसदी लोगों को प्रभावित कर रही है। वहीं इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की दूसरी सबसे बड़ी कमी मैग्नीशियम की दर्ज की गई।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) न्यूट्रिशन प्रिवेंशन एंड हेल्थ में प्रकाशित इस विश्लेषण के मुताबिक करीब 42 फीसदी मरीज मैग्नीशियम की कमी का शिकार थे। यह अध्ययन इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मैनेजमेंट रिसर्च और भारती हॉस्पिटल करनाल से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।
अध्ययन से पता चला है कि टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित कई लोगों में विटामिन और खनिजों जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का स्तर बेहद कम होता है। गौरतलब है कि यह पोषक तत्व शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए बेहद मायने रखते हैं।
शोध में यह भी सामने आया है कि 28 फीसदी मरीजों के शरीर में आयरन का स्तर कम था। वहीं मधुमेह से पीड़ित 29 फीसदी मरीजों में विटामिन बी12 की कमी दर्ज की गई। अध्ययन के मुताबिक यह कमी मेटफार्मिन लेने वालों मरीजों में भी आम थी।
यह विश्लेषण 1998 से 2023 के बीच विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित 132 अध्ययनों पर आधारित है। इसमें 52,501 लोगों को शामिल किया गया था। इनमें से तीन को छोड़कर अधिकांश अध्ययन अस्पतालों में किए गए थे।
अध्ययन में पाया गया कि सभी पोषक तत्वों में विटामिन डी की कमी सबसे आम थी। इतना ही नहीं पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह समस्या होने की आशंका अधिक होती है, जिसे "हिडन हंगर" कहा जाता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक जीन, खराब खानपान, व्यायाम की कमी और अधिक वजन से टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है। अन्य अध्ययनों से भी पता चला है कि महत्वपूर्ण विटामिन और खनिजों की कमी भी शरीर में शुगर को नियंत्रित करने और इंसुलिन का उपयोग करने के तरीके को प्रभावित करके महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
मरीजों में पोषण की कमी है बड़ी समस्या
विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित मरीजों में विटामिन और खनिज की कमी दुनिया भर में कहीं कम तो कहीं ज्यादा है। शोध के मुताबिक ऐसा आहार, जीवनशैली और सांस्कृतिक आदतों में मौजूद अंतर की वजह से हो सकता है।
हालांकि निष्कर्ष दर्शाते हैं कि दुनिया भर में मधुमेह संबंधी जटिलताओं से पीड़ित 40 से 45 फीसदी मरीजों में पोषक तत्वों की कमी पाई गई है।
आंकड़ों से पता चला कि मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में ये कमी पुरुषों की तुलना में अधिक थी। 49 फीसदी महिलाओं में इन पोषक तत्वों की कमी पाई गई है। यदि देशों के आधार पर देखें तो अमेरिकी के रोगियों में यह दर सबसे अधिक (54 फीसदी) है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक यह स्पष्ट नहीं है कि पर्याप्त पोषक तत्वों की कमी के कारण रक्त शर्करा की समस्या उत्पन्न हुई, या रक्त शर्करा की समस्या के चलते पोषक तत्वों की कमी हुई।
शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि चूंकि टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित मरीजों और आम लोगों में पोषक तत्वों की कमी की तुलना करने वाले कोई अच्छे अध्ययन उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए इनकी तुलना करना संभव नहीं हैं।
मधुमेह का शिकार हैं एक चौथाई भारतीय
मधुमेह की समस्या कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया में करीब 83 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं, जिनमें से एक चौथाई से अधिक मरीज भारतीय हैं। अंतराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक भारत में करीब 21.2 करोड़ वयस्क मधुमेह का शिकार हैं।
इसके बाद चीन में मधुमेह पीड़ितों की संख्या 14.8 करोड़ दर्ज की गई है। ऐसे में भारत को दुनिया की मधुमेह राजधानी कहना गलत नहीं होगा।
दुनिया में जितने लोग मधुमेह का शिकार हैं उनमें से 42 करोड़ महिलाएं, जबकि 40.8 करोड़ पुरुष हैं। इसका मतलब है कि दुनिया में 13.9 फीसदी महिलाएं और 14.3 फीसदी पुरुष इस समस्या से जूझ रहे हैं।
वहीं पिछले तीन दशकों के आंकड़ों को देखें तो दुनिया में डायबिटीज के मामले में चार गुणा से अधिक की वृद्धि आई है। जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि दुनिया में मधुमेह के मामले बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं।
1990 में जहां इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या 63 करोड़ थी, वो 2022 में बढ़कर 83 करोड़ तक पहुंच गई है।
निम्न और मध्य-आय वाले देशों में इसके मामलों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है, हालांकि वहां आज भी करोड़ों लोगों उपचार से दूर हैं। कहीं न कहीं यह रुझान वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में मौजूद असमानताओं को प्रदर्शित करते हैं।