अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से दिमागी संरचना पर असर: 30,000 लोगों के ब्रेन स्कैन से खुलासा

30,000 लोगों के ब्रेन स्कैन से पता चला कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड दिमाग की संरचना बदलकर ज्यादा खाने की आदत को बढ़ावा दे सकते हैं
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ भूख, संतुष्टि और आत्म-नियंत्रण से जुड़े दिमागी हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं।
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ भूख, संतुष्टि और आत्म-नियंत्रण से जुड़े दिमागी हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं।प्रतीकात्मक छवि, फोटो साभार: आईस्टॉक
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सारांश
  • अध्ययन में 30,000 लोगों के ब्रेन स्कैन से अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड और दिमागी संरचना के बीच मजबूत संबंध सामने आया।

  • अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ भूख, संतुष्टि और आत्म-नियंत्रण से जुड़े दिमागी हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं।

  • रिसर्च के अनुसार यह असर केवल मोटापे या सूजन के कारण नहीं, बल्कि खाद्य एडिटिव्स से भी जुड़ा हो सकता है।

  • सभी प्रोसेस्ड फूड नुकसानदायक नहीं होते, लेकिन केमिकल्स और एडिटिव्स से भरपूर भोजन स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण हैं।

  • वैज्ञानिकों ने बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड सेवन घटाने और सख्त खाद्य नियमों की आवश्यकता बताई।

हाल ही में की गई एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक शोध में यह सामने आया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन हमारे दिमाग की संरचना को प्रभावित कर सकता है। इस अध्ययन में लगभग 30,000 लोगों के ब्रेन स्कैन का विश्लेषण किया गया।

शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग नियमित रूप से अल्ट्रा-प्रोसेस्ड भोजन खाते हैं, उनके दिमाग में कुछ ऐसे बदलाव दिखाई देते हैं जो ज्यादा खाने की आदत को बढ़ावा दे सकते हैं।

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अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ भूख, संतुष्टि और आत्म-नियंत्रण से जुड़े दिमागी हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड क्या होते हैं?

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड वे खाद्य पदार्थ होते हैं जो फैक्ट्रियों में बनाए जाते हैं और जिनमें प्राकृतिक सामग्री के साथ-साथ कई तरह के केमिकल, एडिटिव्स, प्रिजर्वेटिव्स, रंग, स्वाद बढ़ाने वाले तत्व और इमल्सीफायर मिलाए जाते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • पैकेट वाले चिप्स

  • प्रोसेस्ड मीट (सॉसेज, सलामी)

  • इंस्टेंट नूडल्स

  • मीठे ड्रिंक्स और सॉफ्ट ड्रिंक्स

  • पैकेट वाले केक और बिस्कुट

ये खाद्य पदार्थ स्वाद में अच्छे लगते हैं, सस्ते होते हैं और आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन इनका अधिक सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

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अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ भूख, संतुष्टि और आत्म-नियंत्रण से जुड़े दिमागी हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं।

शोध में क्या पाया गया?

अध्ययन के अनुसार, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड ज्यादा खाने वाले लोगों के दिमाग के उन हिस्सों में बदलाव देखे गए जो भूख, संतुष्टि और आत्म-नियंत्रण से जुड़े होते हैं। इसका मतलब यह है कि ऐसे लोग पेट भर जाने के बाद भी खाना जारी रख सकते हैं या उन्हें खाने पर नियंत्रण करना मुश्किल हो सकता है।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि यह अध्ययन यह साबित नहीं करता कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड सीधे दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन दोनों के बीच एक मजबूत संबंध जरूर दिखता है। यह असर केवल मोटापे या शरीर में सूजन की वजह से नहीं है, बल्कि हो सकता है कि इन खाद्य पदार्थों में मौजूद केमिकल एडिटिव्स भी इसमें भूमिका निभाते हों।

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अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ भूख, संतुष्टि और आत्म-नियंत्रण से जुड़े दिमागी हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं।

क्या सभी प्रोसेस्ड फूड खराब होते हैं?

नहीं, सभी प्रोसेस्ड फूड नुकसानदायक नहीं होते। कुछ प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ सेहत के लिए अच्छे और जरूरी भी होते हैं। उदाहरण के लिए:

  • जमी हुई सब्जियां (फ्रोजन वेजिटेबल्स)

  • दूध का पाश्चुरीकरण

  • दालें और अनाज जो साफ करके पैक किए जाते हैं

इनका उद्देश्य भोजन को सुरक्षित बनाना और पोषण बनाए रखना होता है। समस्या तब होती है जब भोजन बहुत ज्यादा केमिकल्स और कृत्रिम तत्वों से भरा हो।

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अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड क्यों खतरनाक हो सकते हैं?

  • अधिक नमक, चीनी और खराब फैट से भरे होते हैं

  • जल्दी भूख लगने का कारण बनते हैं

  • खाने की लत को बढ़ा सकते हैं

जब ये दिमाग के नियंत्रण केंद्रों को प्रभावित करते हैं, तो व्यक्ति बार-बार खाने की इच्छा महसूस करता है, जिससे मोटापा, डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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क्या है शोध के सुझाव?

यह शोध केवल व्यक्तिगत सेहत के लिए ही नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी अहम है। वैज्ञानिकों का मानना है कि लोगों को अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड कम खाने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। फूड इंडस्ट्री पर सख्त नियम बनाए जाने चाहिए। खाद्य उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले एडिटिव्स की निगरानी जरूरी है।

एनपीजे मेटाबोलिक हेल्थ एंड डिजीज में प्रकाशित इस अध्ययन से यह साफ होता है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि दिमाग को भी प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस पर और शोध की जरूरत है, लेकिन अभी के सबूत यह बताते हैं कि ऐसे भोजन से दूरी बनाना हमारी सेहत के लिए बेहतर है। ताजा, प्राकृतिक और कम प्रोसेस्ड भोजन चुनना एक स्वस्थ जीवन की ओर महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

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