इबोला संक्रमित बंदरों पर दवा का सफल परीक्षण, इंसानों के लिए जगी उम्मीद

ओबेल्डेसिविर दवा ने 80 प्रतिशत सिनोमोलगस मैकाक बंदरों और 100 प्रतिशत रीसस मैकाक बंदरों को सुरक्षित किया, जो जैविक रूप से मनुष्यों के अधिक करीब हैं।
संक्रमण के एक दिन बाद, दस बंदरों को दस दिनों तक हर दिन ओबेल्डेसिविर की एक गोली दी गई, जबकि तीन नियंत्रण वाले बंदरों को कोई उपचार नहीं मिला और उनकी मृत्यु हो गई।
संक्रमण के एक दिन बाद, दस बंदरों को दस दिनों तक हर दिन ओबेल्डेसिविर की एक गोली दी गई, जबकि तीन नियंत्रण वाले बंदरों को कोई उपचार नहीं मिला और उनकी मृत्यु हो गई।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, संचयकुमारग
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एक नए अध्ययन के अनुसार, इबोला से संक्रमित बंदरों को एक दवा की गोली से ठीक किया जा सकता है, जिससे लोगों में अधिक व्यावहारिक, किफायती उपचार का रास्ता खुल सकता है।

इबोला की पहचान सबसे पहले 1976 में हुई थी और माना जाता है कि यह चमगादड़ों से फैला था। यह एक घातक संक्रामक बीमारी है जो शरीर के तरल पदार्थों के सीधे संपर्क से फैलती है, जिससे गंभीर रक्तस्राव और अंगों का काम करना बंद हो जाता है।

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संक्रमण के एक दिन बाद, दस बंदरों को दस दिनों तक हर दिन ओबेल्डेसिविर की एक गोली दी गई, जबकि तीन नियंत्रण वाले बंदरों को कोई उपचार नहीं मिला और उनकी मृत्यु हो गई।

क्योंकि प्रकोप मुख्य रूप से उप-सहारा अफ्रीका को प्रभावित करता है, इसलिए दवा कंपनियों के पास उपचार विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता की कमी है। प्रकोप की छिटपुट प्रकृति ने क्लीनिकल या नैदानिक परीक्षणों को मुश्किल बना दिया है

साल 2019 में एक वैक्सीन को ही मंजूरी दी गई थी, जबकि दो अंतःशिरा एंटीबॉडी उपचार परिणामों में सुधार करते हैं, उन्हें महंगे कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता होती है और दुनिया के कुछ सबसे गरीब क्षेत्रों में इसका उपयोग करना मुश्किल होता है।

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शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि हम कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं जो अधिक व्यावहारिक हो, उपयोग में आसान हो, जिसका उपयोग प्रकोपों को रोकने, नियंत्रित करने में मदद के लिए किया जा सके।

साइंस एडवांसेज में प्रकाशित शोध के मुताबिक, अपने प्रयोग के लिए, शोधकर्ताओं ने एंटीवायरल ओबेल्डेसिविर का परीक्षण किया, जो अंतःशिरा रेमडेसिविर का आम रूप है, जिसे मूल रूप से कोविड-19 के लिए विकसित किया गया था।

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दवा ओबेल्डेसिविर एक पोलीमरेज अवरोधक है, जिसका अर्थ है कि यह संक्रामक के लिए अहम एंजाइम को रोक देता है। शोधकर्ताओं ने रीसस और सिनोमोलगस मैकाक को इबोला वायरस के मकोना संस्करण की बहुत अधिक खुराक से संक्रमित किया।

संक्रमण के एक दिन बाद, दस बंदरों को दस दिनों तक हर दिन ओबेल्डेसिविर की एक गोली दी गई, जबकि तीन नियंत्रण वाले बंदरों को कोई उपचार नहीं मिला और उनकी मृत्यु हो गई।

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ओबेल्डेसिविर ने 80 प्रतिशत सिनोमोलगस मैकाक बंदरों और 100 प्रतिशत रीसस मैकाक बंदरों को सुरक्षित किया, जो जैविक रूप से मनुष्यों के अधिक करीब हैं।

दवा ने न केवल उपचारित बंदरों के रक्त से वायरस को साफ किया, बल्कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को भी सक्रिय किया, जिससे उन्हें अंगों के नुकसान होने से बचने के साथ-साथ एंटीबॉडी विकसित करने में मदद मिली

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से बताया गया कि बंदरों की संख्या अपेक्षाकृत कम थी, लेकिन अध्ययन सांख्यिकीय रूप से शक्तिशाली था क्योंकि वे वायरस की असाधारण रूप से अधिक खुराक के संपर्क में थे। लोगों के लिए घातक खुराक से लगभग 30,000 गुना अधिक। इसके अलावा नियंत्रित बंदरों की जरूरत कम हो गई, जिससे अनावश्यक पशु मृत्यु सीमित हो गई।

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शोध में कहा गया है कि शोधकर्ता जिन्होंने 1980 के दशक से इबोला पर काम किया है और जिन्हें रेस्टन स्ट्रेन की खोज का श्रेय दिया जाता है, ने कहा कि ओबेल्डेसिविर का सबसे रोमांचक पहलू इसकी व्यापक-स्पेक्ट्रम सुरक्षा है, जबकि स्वीकृत एंटीबॉडी उपचार केवल इबोला की ज़ैरे प्रजाति के खिलाफ काम करते हैं। यह एक बहुत बड़ी फायदेमंद चीज है।

दवा निर्माता वर्तमान में इबोला के करीबी रिश्तेदार मारबर्ग वायरस के लिए ओबेल्डेसिविर को दूसरे चरण के क्लीनिकल या नैदानिक परीक्षणों में आगे बढ़ा रहा है। शोधकर्ताओं ने अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान से वित्त पोषण के महत्व पर भी जोर दिया, ऐसी रिपोर्ट के बीच कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के तहत दर्जनों अनुदान रद्द कर दिए गए हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया कि इबोला तथा इनमें से अनेक विदेशी विषाणुओं और रोगाणुओं के विरुद्ध विकसित की गई सभी दवाओं और टीकों का 90 प्रतिशत धन अमेरिकी सरकार से आता है। उन्होंने आगे कहा कि आम जनता इस बात पर सहमत होगी कि हमें इबोला के लिए उपचार की आवश्यकता है।

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