

नया सीबीडी-इन फॉर्मूला: नैनो-माइसेल तकनीक से सीबीडी सीधे मस्तिष्क तक पहुंचता है।
तेजी से दर्द में राहत: चूहे में 30 मिनट में न्यूरोपैथिक दर्द में सुधार देखा गया।
दुष्प्रभाव नहीं: पारंपरिक दर्द निवारकों जैसे स्मृति, संतुलन या गति पर कोई प्रभाव नहीं।
विशेष न्यूरॉन्स को लक्षित: केवल अत्यधिक सक्रिय न्यूरॉन्स को शांत करता है, स्वस्थ न्यूरॉन्स प्रभावित नहीं।
भविष्य की संभावनाएं: लंबे समय से चले आ रहे दर्द, मिर्गी और न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों में नई उपचार संभावनाएं बढ़ी।
हाल ही में शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिससे कैनाबिडियोल (सीबीडी) को सीधे मस्तिष्क तक पहुंचाया जा सकता है और इससे तंत्रिकाविकृति या न्यूरोपैथिक दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है। इस खोज ने विशेष रूप से उन लोगों के लिए नई उम्मीद जगाई है, जो पुराने दर्द निवारक दवाओं के दुष्प्रभाव या साइड इफेक्ट्स से परेशान हैं।
सीबीडी एक प्राकृतिक यौगिक है जो भांग से प्राप्त होता है। यह मानसिक प्रभाव नहीं देता, इसलिए इसे दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सुरक्षित विकल्प माना जाता है। पिछले दस सालों में, सीबीडी आधारित तेल, क्रीम और अन्य उत्पाद काफी लोकप्रिय हो गए हैं। 2018 में अमेरिकी कांग्रेस ने हेम्प को नियंत्रित पदार्थों की सूची से हटा दिया, जिससे हेम्प से बने सीबीडी उत्पाद कानूनी हो गए।
हालांकि सीबीडी का उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन वैज्ञानिक अभी भी यह पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं कि यह शरीर और मस्तिष्क में कैसे काम करता है। वर्तमान में, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने केवल कुछ प्रकार की मिर्गी के इलाज के लिए सीबीडी को मंजूरी दी है और गर्भावस्था में इसके इस्तेमाल की सिफारिश नहीं की जाती है।
शोध और नई खोज
यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर में न्यूरोसाइंस के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया जिसमें उन्होंने मस्तिष्क तक सीबीडी पहुंचाने का नया तरीका खोजा। इस अध्ययन में यह देखा गया कि चूहे में सीबीडी को सीधे मस्तिष्क तक पहुंचाकर न्यूरोपैथिक दर्द को बिना किसी साइड इफेक्ट के कम किया जा सकता है।
मुख्य चुनौती थी ब्लड-ब्रेन बैरियर। यह एक प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली है जो मस्तिष्क को हानिकारक पदार्थों से बचाती है। परंपरागत सीबीडी तेल का पानी में घुलनशील होना मुश्किल है, इसलिए केवल थोड़ी मात्रा ही मस्तिष्क तक पहुंच पाती है।
इस समस्या को हल करने के लिए शोधकर्ताओं ने इन्क्लूसिव-कॉम्प्लेक्स-एनहांस्ड नैनो-माइसेल फॉर्मूलेशन (सीबीडी-इन) विकसित किया। इस तकनीक में सीबीडी के अणुओं को छोटे, पानी में घुलनशील गोले के अंदर रखा जाता है। ये नैनो-माइसेल्स खाद्य और औषधियों में सुरक्षित माने जाते हैं।
सीबीडी-इन से दर्द में राहत
जब चूहों को सीबीडी-इन दिया गया, तो उन्हें 30 मिनट के भीतर दर्द में राहत मिली। इसके अलावा यह प्रभाव लगातार उपयोग पर भी बना रहा और सामान्य दर्द निवारक दवाओं जैसे स्मृति, संतुलन या गति में कमी के साइड इफेक्ट्स नहीं देखे गए।
सेल केमिकल बायोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह भी पाया गया कि सीबीडी-इन केवल अत्यधिक सक्रिय न्यूरॉन्स को शांत करता है, जो चोट या चोट के बाद दर्द महसूस करते हैं। यह स्वस्थ न्यूरॉन्स को प्रभावित नहीं करता।
अनोखी बात यह है कि यह असर कैनाबिनोइड रिसेप्टर्स (सीबी1 और सीबी2) पर निर्भर नहीं करता, जो टीएचसी और अन्य भांग के यौगिकों को प्रभावित करते हैं। इसके बजाय, सीबीडी-इन न्यूरॉन्स में विद्युत और कैल्शियम संकेतों को नियंत्रित करता है, जिससे दर्द कम होता है। इसका मतलब है कि यह बिना किसी दुष्प्रभाव के दर्द में राहत देता है।
भविष्य के लिए संभावनाएं
शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहना है कि नैनो टेक्नोलॉजी प्राकृतिक यौगिकों को अधिक प्रभावी और सटीक बनाने में मदद कर सकती है। यह तकनीक केवल दर्द से जुड़े न्यूरॉन्स को लक्षित करती है, जिससे लंबे समय से चला आ रहा दर्द, मिर्गी और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के उपचार में संभावनाएं बढ़ती हैं।
हालांकि यह अध्ययन अभी चूहों पर किया गया है। मानवों में इसका प्रभाव और सुरक्षा जांचने के लिए क्लिनिकल ट्रायल्स की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा, लंबी अवधि में सीबीडी-इन के प्रभाव और विशेष परिस्थितियों में इसका उपयोग अभी ज्ञात नहीं है।
सीबीडी-इन तकनीक न्यूरोपैथिक दर्द के इलाज में सुरक्षित और प्रभावी विकल्प साबित हो सकती है। यह दर्द निवारक दवाओं की तरह साइड इफेक्ट्स या निर्भरता पैदा नहीं करती और केवल प्रभावित न्यूरॉन्स को ही प्रभावित करती है। यदि मानव अध्ययन भी सफल होते हैं, तो यह तकनीक लंबे समय से चले आ रहे दर्द और अन्य न्यूरोलॉजिकल रोगों के इलाज में क्रांति ला सकती है।
सीबीडी-इन शोध ने एक बात स्पष्ट कर दी है कि प्राकृतिक यौगिकों का सही तरीके से मस्तिष्क तक पहुंचाना, नई चिकित्सा संभावनाओं के लिए दरवाजे खोल सकता है।