सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए दिए नेशनल टास्क फोर्स के गठन के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने टास्क फोर्स से डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकने पर ध्यान देने को कहा है
कोरोना के मुश्किल दौर में लोगों की मदद को तत्पर मेडिकल स्टाफ; फोटो: आईस्टॉक
कोरोना के मुश्किल दौर में लोगों की मदद को तत्पर मेडिकल स्टाफ; फोटो: आईस्टॉक
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सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नेशनल टास्क फोर्स (एनटीएफ) के गठन के निर्देश दिए हैं। इस बारे में 20 अगस्त, 2024 को निर्देश दिए गए हैं। टास्क फोर्स का गठन डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया है। साथ ही इसका मकसद उनके कल्याण से जुड़ी चिंताओं को हल करने के लिए एक प्रोटोकॉल विकसित करना है।

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक नेशनल टास्क फोर्स को कार्य योजना तैयार करते समय दो मुख्य पहलुओं पर विचार करना चाहिए, सबसे पहले उन्हें चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकने की जरूरत है।

साथ ही प्रशिक्षुओं, आम लोगों, बुजुर्गों, डॉक्टरों, नर्सों और सभी चिकित्सा कर्मचारियों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक परिस्थितियों को सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाना चाहिए।

इस मामले में एनटीएफ को तीन सप्ताह के भीतर अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने में अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करनी होगी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच द्वारा पारित किया गया है।

क्यों हलफनामे में नहीं गंगा सागर द्वीप पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण का जिक्र: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 14 अगस्त, 2024 को कहा कि पश्चिम बंगाल द्वारा दायर हलफनामे में गंगा सागर द्वीप पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण का जिक्र नहीं है। ट्रिब्यूनल के मुताबिक पर्यावरण अध्ययन और वेटलैंड प्रबंधन संस्थान के अतिरिक्त निदेशक ने अपने हलफनामे में इन मुद्दों को शामिल नहीं किया है।

वहीं पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत से विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल तटीय प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से 21 मई, 2024 को पर्यावरण अध्ययन और वेटलैंड प्रबंधन संस्थान के अतिरिक्त निदेशक ने एक हलफनामा दायर किया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सागर द्वीप पर कपिल मुनि मंदिर के आसपास डाला आर्केड, नट मंदिर, एक टॉयलेट ब्लॉक, बस टर्मिनस, इको-कैंप कॉम्प्लेक्स और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं सहित निर्माण परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

अदालत के मुताबिक हालांकि इस हलफनामे में यह नहीं बताया गया है कि ये निर्माण हाई फ्लड लाइन (एचएफएल) से अनुमत दूरी के भीतर हैं या नहीं। इसके साथ ही यह हलफनामा 15 जनवरी, 2024 को अंग्रेजी अखबार हिन्दू में उठाए मुद्दों को भी संबोधित करने में विफल रहा है। हिन्दू में छपी इस खबर का दावा है कि सागर द्वीप पर अधिकांश निर्माण तटीय विनियमन क्षेत्र का उल्लंघन करके किया गया है।

जल निकाय पर अतिक्रमण के मामले में एनजीटी ने पश्चिम बंगाल सरकार को भेजा नोटिस

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) को नोटिस भेजने का आदेश दिया है। मामला दक्षिण दम दम नगर पालिका में जल निकाय पर अतिक्रमण से जुड़ा है। अदालत ने इन सभी से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

इस मामले में लगाए गए आरोपों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने 16 अगस्त, 2024 को आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी गठित करने का भी आदेश दिया है। यह समिति क्षेत्र का निरीक्षण करेगी और चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सौंपेगी।

गौरतलब है कि इस मामले में अधिकारियों से दक्षिण दम दम नगर पालिका में 'नयनजूली' जल निकाय के अवैध भराव को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की गई है। साथ ही यह पता लगाने का भी आग्रह किया गया है कि जल निकाय को भरने का काम कितने समय पहले किया गया था।

इस बारे में कोर्ट में दाखिल आवेदन के साथ वहां की तस्वीरें भी दाखिल की गई हैं। इन तस्वीरों से पता चला है कि जल निकाय करीब-करीब पौधों से ढंक गया है और उसमें कचरे भी भरा पड़ा है। इन तस्वीरों में आस-पास की दुकानें और ऊंची इमारतें भी देखी जा सकती हैं, जिनके चारों ओर कूड़ा बिखरा हुआ है।

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