हाइपरथाईमेसिया: 17 वर्षीय लड़की की असाधारण स्मृति क्षमता पर शोध से खुले नए रास्ते

आने वाले सालों में यह शोध न केवल स्मृति या याददास्त संबंधी बीमारियों को समझने में मदद करेगा बल्कि हमें यह भी बताएगा कि मानव मस्तिष्क की संभावनाएं कितनी अद्भुत हैं।
हाइपरथाईमेसिया बेहद दुर्लभ लेकिन आश्चर्यजनक क्षमता है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि यादें कैसे काम करती हैं, वे हमारी पहचान को कैसे गढ़ती हैं।
हाइपरथाईमेसिया बेहद दुर्लभ लेकिन आश्चर्यजनक क्षमता है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि यादें कैसे काम करती हैं, वे हमारी पहचान को कैसे गढ़ती हैं।फोटो साभार: आईस्टॉक
Published on
Summary
  • आत्मकथात्मक स्मृति हमारी पहचान और जीवन की कहानी को आकार देती है, जिसमें भावनाएं और तथ्य दोनों शामिल होते हैं।

  • हाइपरथाईमेसिया एक दुर्लभ क्षमता है, जिसमें व्यक्ति किसी भी तारीख की घटनाओं को सटीक और जीवंत रूप में याद कर सकता है।

  • 17 वर्षीय लड़की ने अपनी यादों को व्यवस्थित करने के लिए "स्मृति स्थल" और "सफेद कमरा" जैसी मानसिक संरचनाएं बनाई हैं।

  • वैज्ञानिक परीक्षणों से पता चला कि वह न सिर्फ अतीत को गहराई से याद करती है बल्कि भविष्य की घटनाओं की भी सजीव कल्पना कर सकती है।

  • यह शोध स्मृति संबंधी विकारों और मस्तिष्क की असाधारण क्षमताओं को समझने के नए रास्ते खोलता है।

हम सभी के जीवन में कई यादें होती हैं, कुछ मीठी, कुछ कड़वी, कुछ धुंधली और कुछ बेहद स्पष्ट। यह यादें ही हमारी पहचान को आकार देती हैं और हमें हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य से जोड़ती हैं। इन्हीं को विज्ञान की भाषा में आत्मकथात्मक स्मृति (ऑटोबायोग्राफिकल मेमोरी) कहा जाता है। इसमें न सिर्फ घटनाओं की तस्वीरें और भावनाएं होती हैं, बल्कि नाम, तारीख और स्थान जैसी तथ्यात्मक जानकारी भी शामिल होती है।

अधिकतर लोगों के लिए यह यादें समय के साथ धुंधली होने लगती हैं। कभी-कभी तो हम पूरी घटना ही भूल जाते हैं, या फिर उसे अलग रूप में याद करते हैं। लेकिन बहुत ही दुर्लभ मामलों में कुछ लोग इतने अद्भुत ढंग से अपनी यादों को संभाल कर रखते हैं कि वे किसी भी तारीख से जुड़ी घटनाओं को सटीकता से बता सकते हैं। इस विशेष क्षमता को हाइपरथाईमेसिया या आत्मकथात्मक हाइपरम्नेसिया कहा जाता है।

यह भी पढ़ें
दुनिया में एक अरब से अधिक लोग मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं: डब्ल्यूएचओ
हाइपरथाईमेसिया बेहद दुर्लभ लेकिन आश्चर्यजनक क्षमता है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि यादें कैसे काम करती हैं, वे हमारी पहचान को कैसे गढ़ती हैं।

हाइपरथाईमेसिया: यादों का अनूठा खजाना

न्यूरोकेस नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि हाइपरथाईमेसिया वाले लोग कैलेंडर की किसी भी तारीख को पकड़कर बता सकते हैं कि उस दिन उन्होंने क्या किया था, कैसा महसूस किया था और किन परिस्थितियों में थे। मान लीजिए किसी ने उनसे पूछा कि 15 जुलाई 2004 को आपने क्या किया था, तो वे न सिर्फ घटनाओं का ब्योरा देंगे बल्कि उस समय की भावनाएं और माहौल भी उसी तरह महसूस करेंगे।

वैज्ञानिकों के अनुसार यह क्षमता बेहद दुर्लभ है और अब तक दुनिया में इसके केवल कुछ ही मामलों की पहचान की गई है।

यह भी पढ़ें
आपदा के समय मानसिक स्वास्थ्य की डोर है डब्ल्यूएचओ का एमएसपी पैकेज
हाइपरथाईमेसिया बेहद दुर्लभ लेकिन आश्चर्यजनक क्षमता है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि यादें कैसे काम करती हैं, वे हमारी पहचान को कैसे गढ़ती हैं।

हमारी पहचान और स्मृति

आत्मकथात्मक स्मृति का हमारे जीवन में गहरा महत्व है। यह न केवल हमें हमारे अतीत से जोड़ती है, बल्कि हमारे जीवन की कहानी भी रचती है। जब हम अतीत को याद करते हैं या भविष्य की कल्पना करते हैं, तो एक विशेष प्रकार की चेतना काम करती है जिसे स्वायत्त चेतना (ऑटोमेटिक कांशसनेस) कहा जाता है। यही हमें मानसिक रूप से समय में पीछे जाने या आगे की कल्पना करने में सक्षम बनाती है।

एक अनोखा मामला

वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक लड़की पर अध्ययन किया जो केवल 17 साल की उम्र में असाधारण स्मृति क्षमता की धनी है। खास बात यह है कि वह अपनी यादों को बड़ी व्यवस्थित तरीके से संभालती और नियंत्रित करती है।

यह भी पढ़ें
मानसिक स्वास्थ्य पर असर: परफेक्ट सेल्फी की चाहत ने बढ़ाई कॉस्मेटिक सर्जरी की मांग
हाइपरथाईमेसिया बेहद दुर्लभ लेकिन आश्चर्यजनक क्षमता है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि यादें कैसे काम करती हैं, वे हमारी पहचान को कैसे गढ़ती हैं।

उसकी स्मृतियां दो हिस्सों में बंटी हैं : पहली ब्लैक मेमोरी – इसमें स्कूल से सीखी हुई किताबों की जानकारी या तथ्यों का भंडार है, जिनमें भावनाएं नहीं जुड़ी होतीं। दूसरी व्यक्तिगत स्मृति – इनमें उसके जीवन के अनुभव, परिवार, छुट्टियां, दोस्त और बचपन की चीजें शामिल हैं।

लड़की ने अपनी इन यादों को एक स्मृति स्थल में सहेजा हुआ है। वह एक "सफेद कमरा" की कल्पना करती है जहां यादें बाइंडरों में रखी हुई हैं। वह चाहें तो उन्हें पन्ने की तरह पलट सकती है।

यह भी पढ़ें
स्मार्टफोन के सेंसर बता सकता है आपकी दिमागी हालत
हाइपरथाईमेसिया बेहद दुर्लभ लेकिन आश्चर्यजनक क्षमता है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि यादें कैसे काम करती हैं, वे हमारी पहचान को कैसे गढ़ती हैं।

भावनाओं से निपटने का अनोखा तरीका

लड़की ने नकारात्मक यादों को संभालने के लिए भी खास व्यवस्था की है। जैसे: अपने दादाजी की मृत्यु की स्मृति को वह एक बंद संदूक में रखती है। गुस्से को शांत करने के लिए उसने "बर्फ का कमरा" बनाया है। समस्याओं पर विचार करने के लिए "समस्या रूम" है। और पिता के सेना में जाने के समय उसने एक "मिलिट्री रूम" की कल्पना की, जिसमें सैनिक मौजूद रहते हैं। इस प्रकार वह अपने मन की पीड़ा को नियंत्रित करती है और यादों के बोझ से परेशान नहीं होती।

वैज्ञानिक मूल्यांकन

वैज्ञानिकों ने लड़की की क्षमता को परखने के लिए टीमपाऊ और टीम जैसे परीक्षणों का उपयोग किया। इनसे यह देखा गया कि वह न सिर्फ अतीत की घटनाओं को बड़ी गहराई से याद करती है, बल्कि भविष्य की घटनाओं की भी बहुत विस्तृत और सजीव कल्पना कर सकती है।

इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि भविष्य की कल्पना और अतीत की यादें एक जैसी मानसिक प्रक्रियाओं पर आधारित होती हैं। दोनों ही स्थितियों में इंद्रियों (दृष्टि, ध्वनि, गंध आदि) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है।

यह भी पढ़ें
प्राकृतिक आपदा से बचने के बाद भी सालों तक सता सकती है यह बीमारी, अध्ययन में खुलासा
हाइपरथाईमेसिया बेहद दुर्लभ लेकिन आश्चर्यजनक क्षमता है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि यादें कैसे काम करती हैं, वे हमारी पहचान को कैसे गढ़ती हैं।

शोध की नई दिशाएं

वैज्ञानिकों का मानना है कि हाइपरथाईमेसिया का संबंध सिनेस्थेसिया नामक अवस्था से भी हो सकता है। इसमें एक इंद्रियों के काम करने पर दूसरी इंद्रिय भी सक्रिय हो जाती है, जैसे कोई ध्वनि सुनकर रंग दिखाई देना। हालांकि लड़की स्वयं सिनेथेट नहीं है, लेकिन उसके परिवार के कुछ सदस्य इस अवस्था से गुजरते हैं।

अब तक मस्तिष्क की संरचना में हाइपरथाईमेसिया वाले और सामान्य लोगों में कोई ठोस अंतर नहीं मिला है। लेकिन कुछ शोध यह इशारा करते हैं कि ऐसे लोगों के दिमाग के वे हिस्से अधिक सक्रिय होते हैं जो स्मृति और दृश्य जानकारी को संभालते हैं।

यह भी पढ़ें
जलवायु संकट से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य का बढ़ रहा है संकट
हाइपरथाईमेसिया बेहद दुर्लभ लेकिन आश्चर्यजनक क्षमता है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि यादें कैसे काम करती हैं, वे हमारी पहचान को कैसे गढ़ती हैं।

हाइपरथाईमेसिया बेहद दुर्लभ लेकिन आश्चर्यजनक क्षमता है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि यादें कैसे काम करती हैं, वे हमारी पहचान को कैसे गढ़ती हैं और भविष्य की कल्पना से कैसे जुड़ी होती हैं।

किशोरी यह दिखाती है कि यादों के इस सागर को न सिर्फ संभाला जा सकता है, बल्कि इसे एक व्यवस्थित रूप देकर सकारात्मक दिशा में भी उपयोग किया जा सकता है। आने वाले सालों में यह शोध न सिर्फ स्मृति संबंधी बीमारियों को समझने में मदद करेगा बल्कि हमें यह भी बताएगा कि मानव मस्तिष्क की संभावनाएं कितनी अद्भुत हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in