प्रसव बाद रक्तस्राव से होने वाली मौतों को रोकने के लिए नई सिफारिशें

प्रसव के बाद होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ, फिगो और आईसीएम ने जारी की नई गाइडलाइन
एनीमिया की रोकथाम और इलाज: गर्भवती महिलाओं में आयरन और फोलिक एसिड की नियमित खुराक देना। गंभीर एनीमिया में आयरन या रक्त चढ़ाना।
एनीमिया की रोकथाम और इलाज: गर्भवती महिलाओं में आयरन और फोलिक एसिड की नियमित खुराक देना। गंभीर एनीमिया में आयरन या रक्त चढ़ाना।फोटो साभार: आईस्टॉक
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सारांश
  • प्रसवोत्तर रक्तस्राव की पहचान अब 300 मिली रक्तस्राव और असामान्य जीवन चिन्ह के आधार पर की जाएगी (पहले 500 मिली थी)। इससे उपचार जल्दी शुरू किया जा सकेगा।

  • एनीमिया की रोकथाम और इलाज: गर्भवती महिलाओं में आयरन और फोलिक एसिड की नियमित खुराक देना। गंभीर एनीमिया में आयरन या रक्त चढ़ाना।

  • असुरक्षित प्रक्रियाओं से बचाव: रूटीन एपिसियोटोमी से बचना। प्राकृतिक पेरिनियल मसाज को बढ़ावा दें ताकि प्रसव के दौरान चोट कम हो।

  • स्वास्थ्यकर्मियों का प्रशिक्षण: डॉक्टरों और मिडवाइव्स के लिए व्यावहारिक ट्रेनिंग मॉड्यूल, राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए गाइड और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए सिमुलेशन आधारित प्रशिक्षण शामिल करना।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), अंतरराष्ट्रीय स्त्री रोग महासंघ (फिगो) और अंतरराष्ट्रीय मिडवाइव्स महासंघ (आईसीएम) ने मिलकर प्रसव के बाद होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव की रोकथाम, पहचान और इलाज को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। यह गाइडलाइन खासतौर पर उन देशों और क्षेत्रों के लिए बनाई गई है जहां संसाधनों की कमी है और मातृ मृत्यु दर अधिक है।

प्रसवोत्तर रक्तस्राव क्या है?

प्रसवोत्तर रक्तस्राव वह स्थिति है जब प्रसव के बाद महिला के शरीर से अत्यधिक रक्त बहता है। यह समस्या दुनिया भर में लाखों महिलाओं पर असर डालती है और हर साल करीब 45,000 महिलाओं की मौत इसी कारण होती है। यह मातृ मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। मृत्यु के अलावा, इससे महिला को कई गंभीर शारीरिक और मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं – जैसे कि अंगों को नुकसान, बच्चेदानी निकालना (हिस्टरेक्टॉमी), चिंता और मानसिक आघात पहुंचना आदि।

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नई गाइडलाइन में क्या खास है?

जल्दी पहचान और इलाज की सिफारिश : पहले तक प्रसवोत्तर रक्तस्राव को 500 मिलीलीटर या उससे अधिक रक्तस्राव के रूप में पहचाना जाता था। अब नई गाइडलाइन कहती है कि यदि 300 मिलीलीटर रक्तस्राव के साथ महिला के जीवन चिन्ह असामान्य हों, तो तुरंत इलाज शुरू कर देना चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ गायनेकोलॉजी एंड आब्सटेट्रिक्स (फिगो) और इंटरनेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ मिडवाइव्स (आईसीएम) द्वारा प्रकाशित, ये दिशा निर्देश प्रसवोत्तर रक्तस्राव का पता लगाने के लिए नए नैदानिक मानदंड प्रस्तुत करते हैं, जो इस विषय पर अब तक के सबसे बड़े अध्ययन पर आधारित है जिसे द लैंसेट नामक पत्रिका में भी प्रकाशित किया गया है

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सटीक माप के लिए नया उपकरण

गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि डॉक्टर और मिडवाइव्स को प्रसव के बाद महिला की निगरानी करते हुए कैलिब्रेटेड ड्रेप (विशेष कपड़ा जो रक्त को मापता है) का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि रक्तस्राव को सही-सही मापा जा सके।

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इलाज के लिए मोटिव पद्धति : प्रसवोत्तर रक्तस्राव की पहचान होते ही तुरंत मोटिव पद्धति अपनाने की सलाह दी गई है:

एम – मसाज: बच्चेदानी की मालिश करें

ओ – ऑक्सीटोसिक्स: संकुचन लाने वाली दवाएं दें

टी – ट्रेनेक्सामिक एसिड: रक्तस्राव कम करने की दवा

आई– इंट्रावेनस फ्लुइड्स: शारीरिक तरल पदार्थ चढ़ाना

वी – वेजाइनल एग्जामिनेशन: योनि व जननांगों की जांच

ई – एस्कैलाशन ऑफ केयर: स्थिति गंभीर हो तो तुरंत वरिष्ठ स्तर पर उपचार बढ़ाना

यदि इन उपायों के बावजूद रक्तस्राव नहीं रुकता, तो सर्जरी या रक्त चढ़ाने जैसी उन्नत चिकित्सा की सलाह दी जाती है।

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रोकथाम के लिए जरूरी उपाय

नई गाइडलाइन में रोकथाम पर भी जोर दिया गया है। गर्भावस्था के दौरान अच्छी देखभाल से प्रसवोत्तर रक्तस्राव का खतरा कम किया जा सकता है।

एनीमिया से बचाव : गर्भवती महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) प्रसवोत्तर रक्तस्राव का खतरा बढ़ा देती है। इसलिए रोजाना आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां लेनी चाहिए। अगर एनीमिया ज्यादा हो, तो इंजेक्शन के जरिए आयरन दिया जा सकता है।

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अनुचित तरीकों से बचाव से बचना चाहिए, जैसे एपिसियोटॉमी (योनि में चीरा) जैसे अनावश्यक उपायों से बचें। गर्भावस्था के अंतिम चरण में प्राकृतिक मालिश को बढ़ावा दें।

दवाओं का सही प्रयोग

प्रसव के तीसरे चरण में ऑक्सीटोसिन या हीट-स्टेबल कारबेटोसिन नाम की दवाओं का उपयोग करें जो बच्चेदानी को सिकुड़ने में मदद करती हैं। यदि ये दवाएं उपलब्ध न हों, तो मिसोप्रोस्टोल को अंतिम विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

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स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण

इन गाइडलाइनों के साथ-साथ डब्ल्यूएचओ और इसके सहयोगी संस्थानों ने मिडवाइव्स और डॉक्टरों के लिए प्रशिक्षण सामग्री भी तैयार की है। इनमें शामिल हैं। प्रैक्टिकल मॉड्यूल्स, राष्ट्रीय स्तर पर गाइडलाइन लागू करने के उपाय, आपातकालीन स्थितियों के लिए सिमुलेशन आधारित ट्रेनिंग।

रिपोर्ट में आईसीएम की प्रमुख प्रो. जैकलिन डंकली-बेंट के हवाले से कहा गया है कि मिडवाइव्स जानती हैं कि प्रसवोत्तर रक्तस्राव कितनी तेजी से जानलेवा हो सकता है। ये गाइडलाइन गेम-चेंजर हैं, लेकिन इसके लिए सरकारों और स्वास्थ्य प्रणाली को तेजी से इसे अपनाना और संसाधन उपलब्ध कराना जरूरी है।

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भविष्य की योजना

यह गाइडलाइन 2025 के फिगो वर्ल्ड कांग्रेस में, केपटाउन (दक्षिण अफ्रीका) में लॉन्च की गई। यह 2023 से 2030 के बीच प्रसवोत्तर रक्तस्राव का मुकाबला करने के लिए वैश्विक रोडमैप का हिस्सा है। इसका लक्ष्य दुनिया भर में प्रसव के दौरान होने वाली रोकी जा सकने वाली मौतों को समाप्त करना।

नई गाइडलाइन से यह स्पष्ट है कि प्रसव के बाद रक्तस्राव को समय रहते पहचानना और तुरंत सही इलाज देना हजारों महिलाओं की जान बचा सकता है। सरकारों, स्वास्थ्य संगठनों और समुदायों को मिलकर काम करना होगा ताकि हर महिला सुरक्षित प्रसव का अनुभव कर सके।

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